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चिराग जहाँ भी जाएगा रोशनी लुटायेगा
(रियल लाईफ हीरो)
सीधा सवाल सिरोही/मुम्बई। कहते है कि हर आदमी को स्थितियों के अनुरूप ढलना चाहिए बदलना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए वर्तमान में कोरोना लोक डाउन के चलते बहुत से मुम्बई के प्रवासी अपने अपने गांवो में चले गए और गांव में काम करने लगे ऐसी हालात में कलम से कविताए और कहानियां लिखने वाले कवि ने अपने हाथों में कुल्हाड़ी उठाई और युवाओ को परिश्रम के लिए प्रेरित करने का एक नया सन्देश दिया। एक लेखक ने खुद मनरेगा के मजदूर बनकर मजदूरों का दर्द जाना पहचाना और समझा।लेखक ने सीधाा सवाल संवाददाता के सवालो का जवाब देते हुए विस्तार से चर्चा की और बताया कि -
परिश्रम ही जीवन है -
जीवन मे अगर हर जगह हर क्षेत्र में सफल होना हो तो हमे परिश्रम करते रहना चाहिए कई बार हमें हालातो और परिस्थितियो के अनुरूप मेहनत करना चाहिए ताकि हम हर हाल में खुश हो सके।
काम कोई छोटा या बड़ा नही होता -
जीवन में कोई भी परिश्रम से जुड़ा काम छोटा या बड़ा नही होता आदमी अपने कर्म से महान बनता है और आगे भी बढ़ता है हर व्यक्ति को समय का सदुपयोग करते हुए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।
एक साहित्यकार के मेहनत करने से युवा हुए प्रेरित
जब मनरेगा में परिश्रम करते हुए एक कवि और लेखक को देखा तो टीवी चैनल एवं अखबारों की नजर पड़ी तो उन्होंने इस संदेश को सब जगह पहुचाया तो प्रवासी युवा प्रेरित हुए और कहने लगे जब मुम्बई के एक लेखक मेहनत कर सकते है तो हम भी कर सकते है।
लेखक ने खुद मजदूर बनकर जाना मजदूरों का दर्द
एक लेखक या कवि जितना हकीकत से रूबरू होगा उसकी कलम उतनी ही परिपक्व होती चली जाएगी। लेखक मनरेगा मजदूरी के अनुभव बताते है कि वहां लोग परिश्रम करते है हिल मिलकर रहते है भाईचारे का संदेश देते है हर हाल में वो परिश्रम करके कुल्हाड़ी कुदाली और गेंती से नया इतिहास लिखते है। औरते सुबह जल्दी उठकर घर से खाना बनाकर साथ लेकर जाती है कई बार उनका नाम मजदूरी करने वालो में नही आता तो वो दुःखी भी होती है। मगर वह एकता ईमानदारी और परिश्रम का संदेश देती है।