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छोटीसादड़ी। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के सदस्यों ने सोमवार को उपखंड कार्यालय पहुंचकर जबरन आदिवासी विस्थापन को रोकने की मांग को लेकर सोमवार को राष्ट्रपति के नाम एसडीएम कार्यालय पर तहसीलदार सुंदरलाल कटारा को ज्ञापन सौपा गया। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के सदस्यों ने ज्ञापन में बताया कि सिंधु घाटी सभ्यता काल से ही भील आदिवासियों का जबरन विस्थापन किया जा रहा है। जबकि भील आदिवासी भारत भूमि का इंडिजिनस आदिवासी समूह है,जो अरावली विंध्याचल सतपुड़ा सहयाद्रि पर्वत- मालाओं और नदियों के उत्पत्ति काल से ही जन्मा मूल वंश है। जो इन पर्वतमाला और नदियों के काल से ही रहते चले आ रहे हैं। भील आदिवासी समूह लोकतांत्रिक शांतिप्रिय अहिंसक निसर्ग वादी और सरल जीवन यापन करने वाले आदिवासी समूह है। जिनकी अपनी राजव्यवस्था रही है। जो सप्ताह संरक्षण वाले लोगों से ऐतिहासिक काल से ही उत्पीड़न झेल रहे हैं। हाल ही में केवडिया से इस समुदाय को विस्थापित किया जा रहा है जिसे रोकने की मांग राष्ट्रपति से की गई। इस दौरान जगदीश प्रसाद मीणा, प्रदीप मीणा,हरिराम बरगोट,पिंटू मीणा,शांति लाल बरगोट,नारायण लाल निनामा,देवीलाल माल,दीपक माल,प्रकाश माल, रोहित बोड,हरलाल मीणा आदि मौजूद रहे।