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धरती पर यदि सभी कार्य करने की कोई क्षमता रखता है
शिवगंज।सम्पूर्ण व परिपूर्ण है ।तो वह एक परमात्मा ही है । दूसरा सरकारी शिक्षक भी है । राजकीय सेवा मे 22 वर्ष पुरे होने को आए है। जब सरकारी शिक्षक के रुप मे सेवा शुरू की तब यह भाव था कि बच्चों को पढाऊंगा ।लायक बनाऊंगा ।मैं दोणाचार्य , संदिपनी , वशिष्ठ , विश्वामित्र , शुक्राचार्य , परशुराम जैसा गुरु बनुंगा । मेरे शिष्य राम , कृष्ण , पांडव , कर्ण , भीष्म , अर्जुन , एकलव्य बनेंगे ।बहुत खुशी थी कि मुझे सृजन , निर्माण , विद्यादाता, भाग्य निर्माता , गुरु बनने का अवसर मिला ।बहुत जोश था ।लेकिन जब स्कूल मे पहुँचा तो कुछ और ही करने को दिया गया ।पढाना तो धीरे - धीरे गौण होता गया ।लेकिन बहुत सी दूसरी विद्याओं मे सरकार ने पारगंत कर दिया ।अब मैं परिपूर्ण और सम्पूर्ण हो गया ।शिक्षक तो थोड़ा ही रहने दिया है ।पर अब मुझे रसोई , कारीगरी ,निर्माण कार्य, ठेकेदारी , मैनेजर , व्यवस्थापक , पुलिस , चिकित्सक , राशन वितरक , गणक , लिपिक ,सफाई कर्मी , लेखन ,आया मां आदि कार्यों मे महारत हो गई है । पोषाहार प्रभारी होने से खरीदना , पकाना , परोसना , आंकड़े मिलाना , जोड़ तोड करना , समायोजन करना सीख लिया ।संस्था प्रधान, अधिकारी अभिभावकों से तालमेल बिठाकर चलना भी सीख लिया । आया था पढाने खुद पाकशाला का पाठ सीख गया ।दूध , फल सब्जी का सारा प्रबंधन भी सीख गया ।अब मैं एएनएम , जीएनएम के साथ आधा अधुरा चिकित्सक भी बन गया । लगभग 19 वर्ष तक बूथ पर व घर-घर पोलियो की दवाई बच्चों को पिलाई । आइरन व एजबेन्डाडोल की गोलियां खिलाई । कोई स्कूल मे घायल हुआ तो मरम पट्टी भी की ।चिकित्सा व्यवस्था मे बहुत कुछ दक्षता हासिल हो गई ।खेलों का दक्ष प्रशिक्षण दाता भी बन गया।बहुत से खेलों का कोच भी हो गया ।सरकारी विद्यालय मे अनेकानेक निर्माण कार्य भी करवाये , मरम्मत कार्य भी करवाये ।नतीजा ठेकेदार , कारीगर , मजदूर , साठगाठ आदि की कला मे भी पारंगत होना पडा ।खैर उसका फायदा घर निर्माण मे हुआ । दूसरों के लिये भी उपयोगी हो गया । अब निर्माण कार्य संबंधित सलाहकार भी हूँ ।पशु गणना , जनगणना , घर गणना और हर सरकारी गणना योजना मे मुख्य भूमिका रखने से कुशल गणक बन गया ।लिपिक तो पक्का हूँ मैं ।अनेकानेक कैश बुक लिखी निर्माण की , जन सहयोग की , छात्र कोष की।बहुत से वाऊचर , बिल बनाये।पक्का सीए व बही खाता लेखक भी बन गया हूँ ।ओडिट कराई , ओडिट टीम से निपटना भी सीखना पडा ।स्कूल मे पढाता रहा रिश्वत लेना और देना पाप है ।लेकिन हकीकत कुछ और देखनी पड़ती है । मतलब खरीदने से ठिकाने लगाने तक और गड़बड़ी पर सैंटिग सब सीखना पडा ।प्रबंधन व मैनेजरी भी बहुत बार करनी पडी । विद्यालय का कार्यवाहक प्रधानाध्यापक व व्यवस्था प्रभारी रहने से स्कूल चलाना , पोषाहार चलाना , स्टाफ को लेकर चलना , अधिकार से "इफ न बट केवल यस सर "करना सीख गया ।सफाई कार्य मे तो औरतों व सफाई कर्मियों से आगे बहुत आगे हूँ ।स्कूल के कमरों की सफाई , शौचालय , मूत्रालय , पोषाहार के बर्तनों की सफाई करना कोई सीखना चाहे तो बहुत अनुभव हो गया है लाभ अवश्य लेना ।राशन वितरण , चैक पोस्ट ड्यूटी , रोगियों का मनोरंजन , हवाई यात्रियों का ध्यान रखने , रेलवे यात्राओं का ध्यान रखने , मजदूरों का ध्यान रखने सबकी व्यवस्था करने का बहुत ज्ञान कराया है सरकार ने मुझे ।मुझे खबरें लिखना प्रकाशन कराना भी सीखाया है ।सरकारी फरमान आता है कार्यक्रम करवाकर अखबारों की कटिंग व फोटो भेजे ।नतीजा पत्रकार , लेखक , प्रकाशक , संपादक भी बनना पडा।चस्का ऐसा लगा की अखबारों की एक खबर बनकर रह गया । कार्यक्रम आयोजन मे तो हमारा कोई मुकाबला नही कर सकता ।उद्घाटन मे सत्तारूढ़ दल या विपक्ष तो समापन मे विपक्ष या सत्तारूढ़ ।सबको खुश रखना हमको आ गया है ।मैं निर्वाचन अधिकारी के सारे गुणों मे माहीर हो गया । वोटर लिस्ट बनाने से लेकर प्रधानमंत्री बनाने तक सारे कार्य हम ही करते है।नतीजा नेताओं को चुनवाते चुनवाते । चुनाव कराते कराते ।एक सरकारी शिक्षक से शिक्षक नेता बन गया ।नेता , प्रशासन चुनाव आयोग और बाकी सब तो केवल हमारे बहाये पसीने की क्रेडिट लेते है ।मैं व मेरे शिक्षा विभाग राजस्थान व भारत सरकार के साथी पीठासीन अधिकारी , मतदान अधिकारी , गणक , जोनल मजिस्ट्रेट आदि कार्यों मे भी निपुण व परिपूर्ण है ।हम पक्के निर्वाचन अधिकारी बन गये ।इसका फायदा हमारे से नीजि संस्थान व संगठन भी लेने लगे । नीजि संस्थाओं और संगठनों मे हमे निर्वाचन व चुनाव अधिकार बनाते है क्योंकि जो सरकारी चुनाव कराना जाने उसके लिये संस्था व संगठनों के चुनाव तो गौण कार्य है ।हम शांती व्यवस्था के कार्य व न्यायिक कार्य करने मे सबसे आगे है ।निष्पक्ष व ईमानदारी से ।रोजाना दर्जनों केस निपटाते है ।जिसमे दीवानी फौजदारी सब केस होते है ।केस का फैसला तुरंत करते है ।कोई पैन्डैन्सी नही रखते ।पुलिस , वकील है खुद हो जाते है । कभी - कभी दोनों पार्टी यानी शिकायत कर्ता व शिकायती को ही पीट देते है हम ।तनाव के कारण तो हम खुद पार्टी बन जाते है।अभिभावक हमारे को पुलिस , न्यायालय भी दिखा देते है ।तीन चार बार हमारा भी पाला पुलिस से पडा । अनुभव कडवा हुआ पीडित है या प्रताड़ित । अपराधी है या अपराध करने वाले वहाँ सबको देना ही है ।जलील होना ही है ।हम पुलिस , वकील , न्यायाधीश , निर्वाचन अधिकारी आदि कार्यों मे भी महारत हासिल कर चुके है । जैसे परिपूर्ण परमात्मा है वैसे ही सरकारी अध्यापक भी परिपूर्ण है। यह केवल हम ही नही सरकार भी सोचती है । गरीब , दलित पिछड़े , जरुरत मंद समाज के बच्चे हमारे पास पढ़ने आते है ।उन बच्चों व अभिभावकों को अपने हितों का ध्यान नही है । इसलिए वो सरकारी शिक्षक की पैरवी नही करते है ।सभी नेताओं वार्ड पंच से लेकर विधायक , सांसद , मंत्री , धनवान ,व्यापारी , प्रशासनिक अधिकारी या तक की मध्यम वर्ग के 90 से 95 प्रतिशत सक्षम लोगों के बच्चे प्राईवेट स्कूलों मे पढ़ते है ।इसलिए भारत के सक्षम 95 प्रतिशत लोगों को सरकारी स्कूल व सरकारी शिक्षक की चिन्ता बिल्कुल नही है ।वो लोग सरकारी शिक्षक की निन्दा करेंगे । सरकारी विद्यालय की निन्दा करेंगे ।सरकारी शिक्षक कुछ नही करता के ताने देंगे ।लेकिन उनकी समस्याओं को नही समझेंगे ।जबकि सरकारी शिक्षक के ऊपर गैर शैक्षिक कार्यों की इतनी भारी गठरी रहती है कि मुख्य कार्य शिक्षण तो भूलने लग जाता है।सरकारी शिक्षक व सरकारी विद्यालयों का राजनीतिकरण बंद करना होगा , गैर शैक्षिक कार्यों से मुक्ति दिलानी होगी । तभी गरीब तबके के बच्चों को लाभ होगा ।
राव गोपालसिंह पोसालिया अध्यापक राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय सिरोही 8078632423