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छोटीसादड़ी। करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए खास होता है। इस दिन महिलाएं अपनी पति के लंबी आयु के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखकर। इस दिन पौराणिक रीति-रिवाजों के साथ उपवास रखा जाता है। इसके साथ ही सूर्योदय से पहले सरगी खाने की परंपरा भी है। इसके बाद कथा श्रवण कर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। पण्डित कैलाश उपाध्याय ने बताया कि इस बार करवा चौथ बुधवार को मनाया जा रहा है। इस दिन परधान मृगशिरा नक्षत्र है, जो चंद्रोदय के समय रहेगा। इसके साथ ही अमृत योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी है। बुधवार के दिन करवा चौथ पड़ने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है, क्योंकि बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। त्योहार के लिए इन दिनों बाजार में खासतौर पर लटकन से सजे कंगन और विभिन्न आकर्षक चूड़ियां नजर आ रही हैं। इस साल लटकन से सजे कंगन महिलाओं को खूब पसंद आ रहे हैं। खास बात तो यह है कंगनों की वैरायटी में यह नई डिजाइन है, इसलिए इसका क्रेज काफी ज्यादा है। छोटीसादड़ी की चूड़ियां अपने आप में फेमस हैं, लेकिन त्योहारी सीजन को देखते हुए इनमें भी कई रंग और डिजाइन हैं।
सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण व्रत
करवा चौथ सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण व्रत का दिन है। इसकी तैयारियां एक पखवाड़े से ही महिलाएं करने लगती हैं। पूजा-पाठ के लिए विशेष पूजा थाली, छलनी और कलश इन दिनों बाजारों की रौनक बढ़ा रहे हैं। खासकर इस व्रत के लिए नई छलनी खरीदने का सिलसिला जारी है। महिलाएं करवा चौथ के दिन चंद्रोदय के बाद चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देकर ही जल-भोजन ग्रहण करती हैं। छलनी से चंद्रमा को देखती हैं, फिर उसी छलनी से अपने पति को भी निहारती हैं।
बाजार में पैकेट भी उपलब्ध
करवा चौथ से पहले ही बाजार पूरी तरह से सज गया है। सड़कों पर भी छोटे स्टाल लगाए गए हैं। सुहागिनों के लिए चूड़ियां व अन्य सामान के पैकेट बेचे जा रहे हैं। इन पैकेटों में मिट्टी के कलश, छलनी सिंगार सामान आदि मिल रहा है।
ये हैं सोलह श्रृंगार
करवा चौथ के दिन महिलाएं सिर से लेकर पांव तक श्रृंगार करती हैं। बिंदिया से लेकर पैर की बिछिया के साथ ही कर्ण फूल, बाजूबंद, कमरबंद, पायल, चूड़ियां, मेहंदी, छलनी, नेल पॉलिश, सिंदूर, गजरा, काजल, गले का हार, मांग टीका, नथ, इत्र पूजा की थाली के साथ दुल्हन का जोड़ा सोलह श्रृंगार में आता है।
कुम्भकार बेच रहे मिट्टी के करवे
करवा चौथ के दिन यू तो बाजार में शक्कर से बने करवे भी खूब बिक्री हो रहे है। साथ ही कुम्हार कारीगरों ने मिट्टी के करवे बनाकर पिछले दिनों से बाजारों में बेचे जा रहे है।जिन्हें सुहागिनों ने करवाचौथ के दिन चन्द्र दर्शन के बाद अपने पति के हाथों से मिट्टी के करवे से जल ग्रहण करती है। साथ ही इन करवो में अन्न,शक्कर व गुड़ आदि भरकर सुहागिनों को दान भी करती है।