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भुवनेश व्यास
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। शहर व जिले में राज्य सरकार के कोरोना से निपटने के हर संभव प्रयासों को स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पानी फेर रही है और संक्रमण बढ़ने का लगातार खतरा बना हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के सबसे बड़े श्री सांवलियाजी चिकित्सालय में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाॅ. दिवेश वैष्णव की मनमानी व जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग तथा नगर परिषद के बीच तालमेल के अभाव में कोरोना संक्रमण से बचाव की जगह और फैलता जा रहा है। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप उपचार के दौरान कोविड संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद उसके शव के अंतिम संस्कार तक की व्यवस्थाएं निशुल्क नगर परिषद वहन करेगी लेकिन जिला अस्पताल व नगर परिषद के बीच तालमेल के अभाव के चलते अस्पताल व कोविड केयर सेंटर में मरने वाले मरीज के शव को स्वास्थ्य विभाग पोलीथीन में लपेटकर परिजनों को सीधे ही सौंप रहा है जबकि ऐसे मामलों की तत्काल नगर परिषद में बने कंट्रोल रूम पर सूचना दिये जाने का प्रावधान है जो नहीं दी जा रही है। ऐसा ही एक मामला शहर की लखारी घाटी निवासी महिला सुमनदेवी उपाध्याय के साथ हुआ जब रविवार को उसकी मौत हो गई और परिजन के नाम पर केवल उसका एक पुत्र ही था इसके बावजूद उसे शव सौंप दिया जिसने किसी तरह शव को गांधीनगर मोक्षधाम पहुंचाया जहां कुछ मित्रों को बुलवा उसने अंतिम संस्कार की व्यवस्थाएं की इस दौरान किसी के भी पास पीपीई किट था ही नहीं। इसके अलावा चिकित्सा विभाग की जिला चिकित्सालय व सीताफल बाग में बने कोविड सेम्पल जांच केंद्र में भी आने वालों से सोशल डिस्टेंसी रखे जाने को कहने वाला कोई नहीं है जिसके चलते वहां आने वाला निगेटिव व्यक्ति भी यहां से कोरोना संक्रमितों के सम्पर्क में आ रहा है।
इस अव्यवस्था को लेकर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डाॅ. दिनेश वैष्णव ने स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि ऐसा जान बूझकर नहीं हुआ है लेकिन नगर परिषद व स्वास्थ्य विभाग के बीच कम्यूनिकेशन गैप रहने के चलते हुए ऐसे मामलों की जांच करवा रहे हैं, वहीं कोविड सेम्पल जांच केंद्रों पर भीड़ के चलते सोशल डिस्टेंसी मैनेज नहीं कर पा रहे हैं इसलिए आज से हमने महाराणा प्रताप महाविद्यालय में भी एक और जांच केंद्र प्रारम्भ किया है जहां प्रतिदिन सुबह नौ से ग्यारह बजे के बीच कोरोना जांच की जाएगी और सोशल डिस्टेंसी का पूर्ण ध्यान रखा जाएगा। इधर शव के अंतिम संस्कार को हुए कम्यूनिकेशन गैप को सभापति संदीप शर्मा ने भी स्वीकार किया लेकिन साथ ही कहा कि हमने अस्पताल को तीन एम्बूलेंस दे रखी है और एक कंट्रोल रूम भी बना रखा है लेकिन हमें अगर अस्पताल से ही सूचना नहीं मिलेगी तो हमें कैसे पता चलेगा कि किस मरीज की मौत हुई है। बहरहाल इसी तरह का आलम जिले के गांवों में भी है जहां मरने वाले कोरोना मरीजों को स्वास्थ विभाग ग्राम पंचायत को सूचना देने की बजाय परिजनों को ही सौंप रहे हैं जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है।