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छोटीसादडी। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर युवाओ को कोविड 19 के तहत इपोस्टर के माध्यम से जागरूक किया और कहा कि स्वर्णिम पत्तियों के रूप में तंबाकू को जाना जाता है। इसकी खेती किसानो, व्यापारियों, उद्योगपतियों के लिए मुनाफा और लोगों के लिए मौत का सबब बन रही है। दुनिया में चीन और ब्राजील के बाद दुनिया में भारत तीसरा बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है। तंबाकू के कारण दुनियां में प्रतिवर्ष 80 लाख और भारत में 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है। तंबाकू श्वसन तंत्र और फेफड़ों को कमजोर करता है। हृदयघात, तपेदिक, कैंसर, मुंह एवं फेफड़े का कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू है। कोरोनो वायरस भी फेफड़ों पर आक्रमण कर रहा है। तंबाकू नियंत्रण के लिए बने कानून को प्रभावी बनाने का समय है। भारत सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है जिसमें तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली विकसित करने की बात की गई है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ नगर निगम ने इसे लागू कर दिया है। इसके अच्छे परिणाम आने लगे हैं। हिमाचल प्रदेश देश का प्रथम राज्य है, जो धूम्रपान रहित क्षेत्र के रूप में घोषित हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में 15-24 वर्ष के आयु वर्ग में 12.4 प्रतिशत लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। यह अत्यंत चिंताजनक है। इस वर्ष विश्व तंबाकू दिवस की थीम कमिट टू क्विट है। इसे साकार करने के लिए कोटपा अधिनियम मजबूती के साथ पारित होने जरूरी है कि युवा पीढ़ी दृढ़ संकल्पित हो ताकि वह तंबाकू सेवन से स्वयं को एवं परिवार को संकट में नहीं डालें।किशोर, युवाओं के बीच व्यापक जनजागरण करते रहने की जरूरत है। वही युवा संगठन ग्राम पंचायत के साथ मिलकर अपने गांव को तंबाकू मुक्त घोषित करने के प्रयास करे। सरकारी कार्यालयों,सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान की तरह किसी भी प्रकार के तंबाकू के अन्य उत्पाद के सेवन पर भी पाबंदी हो।
मनीष टेलर, पूर्व स्वयंसेवक नेहरू युवा केन्द्र छोटीसादड़ी