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प्रमोद भार्गव
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
विश्व में घातक परमाणु हथियार इकट्ठा करने की होड़ लगी हुई है। स्टॉकहोम स्थित 'अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान’ (एसआईआरआई) के एक अध्ययन ने दावा किया है कि चीन के पास 350, पाकिस्तान 165 और भारत के पास जनवरी 2021 तक 156 परमाणु हथियार मौजूद थे। ऐसा लगता है कि ये तीनों पड़ोसी देश अपने परमाणु शस्त्रगारों का विस्तार कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस समय 13,080 परमाणु हथियार दुनिया के देशों के पास हैं। इनमें 90 प्रतिशत से ज्यादा रूस और अमेरिका के पास हैं। इनके अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, इजराइल और उत्तर कोरिया के पास भी हथियारों का बड़ा जखीरा है। चीन परमाणु हथियारों की संख्या के बढ़ाने के साथ उनका तकनीकी रूप से आधुनिकीकरण भी कर रहा है। सऊदी अरब, मिश्र, भारत, आस्ट्रेलिया और चीन ने 2016 से 2020 के बीच सबसे ज्यादा हथियार आयात किए हैं। वैश्विक स्तर पर हथियारों के आयात में सऊदी अरब की हिस्सेदारी 11 और भारत की 9.5 प्रतिशत है। इस समय रूस के पास 6,255, अमेरिका 5,550, फ्रांस 290, ब्रिटेªन 225, इजराइल 90 और उत्तर कोरिया के पास 40-50 परमाणु हथियार हैं।
अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के पूर्व वरिष्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट की बात मानें तो पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देशों में से एक है। पाकिस्तान की यह खूंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन गई है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देश में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं। एक आतंकवाद, दूसरे ढह रही अर्थव्यवस्था और तीसरे परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण। आर्थिक संकट के ऐसी ही बद्तर हालात से उत्तर कोरिया जूझ रहा है। मानव स्वभाव में प्रतिशोध और ईर्ष्या दो ऐसे तत्व हैं, जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को क्रूरतम परिणति में बदलते हम अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर किए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं। अमेरिका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था, जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। पाक इस समय इसी क्रूरतम मानसिकता से गुजर रहा है।
पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरनाक देश हो अथवा न हो लेकिन भारत के लिए वह खतरनाक है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। दशकों से वह भारत पर हमला करने के लिए आतंकियों के इस्तेमाल को सही ठहरता रहा है। पाक भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए कट्टरपंथी मुस्लिम अतिवादियों को खुला समर्थन दे रहा है। मुंबई और संसद पर हमले के दिमागी कौशल रखने वाले योजनाकार दाऊद और हाफिज सईद को पाक ने शरण दे रखी है। पुलवामा हमले का अपराधी अजहर मसूद वहां कुछ समय पहले तक खुला घूमता था। यही नहीं भारत के खिलाफ आतंकी रणनीतियों को प्रोत्साहित व सरंक्षण देने का काम पाक की गुप्तचर संस्थाएं और सेना भी कर रही हैं। हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को सरंक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। आतंकी संगठनों का संघर्ष शिया बनाम सुन्नी मुस्लिम अतिवादियों में तब्दील होने लगा है। इससे पाक में अंतर्कलह और अस्थिरता बढ़ी है। ब्लूचिस्तान और सिंघ प्रांत में इन आतंकियों पर नियंत्रण के लिए सैन्य अभियान चलाने पड़े हैं। पीओके, गिलगिट और बाल्टिस्तान में भी आक्रोश की आग सुलग रही है।
बावजूद, पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी सेना और खुफिया तंत्र तालिबान, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी गुटों को खतरनाक नहीं मानते। इन आतंकियों को अच्छे सैनिक माना जाता है, जो धर्म के लिए अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। आज पाक में आतंकी इतने वर्चस्वशाली हो गए हैं कि लश्कर-ए-झांगवी, पाकिस्तानी तालिबान, आफगान तालिबान और कुछ अन्य आतंकवादी गुट पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को भी चुनौती बन गए हैं। ये चुनी हुई सरकार को गिराकर देश की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं। अगर ऐसा हो जाता है या परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं तो तय है कि पाक को दुनिया के लिए खतरनाक देश बन जाने में देर नहीं लगेगी। इस नाजुक परिस्थिति में सबसे ज्यादा जोखिम भारत को उठाना होगा क्योंकि भारत पाक सेना और आतंकी संगठनों के लिए दुश्मन देशों में पहले नबंर पर है।
हालांकि भारत के पास चीन और पाकिस्तान की तुलना में परमाणु हथियारों की संख्या कम हो, लेकिन वह अपने इन चिर-प्रतिद्वंद्वियों से युद्ध छिड़ने पर कड़ी टक्कर देने में सक्षम है। क्योंकि भारत के पास अग्नि और बेलेस्टिक मिसाइलों की बड़ी संख्या होने के साथ परमाणु हथियारों से लैस आईएनएस अरिहंत पनडुब्बी है। छह पनडुब्बियां भारत स्वदेश में ही तैयार कर रहा है। भारत ने परंपरागत डीजल-इलेक्ट्रिक चालीत पनडुब्बियांे के लिए 450 किमी रेंज की बाबर-3 क्रूज मिसाइलों का सफल परीक्षण कर लिया है। भारत के रफाल, सुखोई-30, मिराज-2000, जगुआर युद्धक विमानों एक पुरा बेड़ा है। ऐसे ही कुछ और अत्याधुनिक उपकरणों से भारत अपने सैनिकों को सुसज्जित करने में लगा है। इसीलिए भारतीय सैन्य अधिकारियों का कहना है कि किस देश में हथियारों की संख्या कितनी है, इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण उसका डिलिवरी सिस्टम है। भारत का परमाणु हथियार जुटाने का लक्ष्य, परमाणु युद्ध टालना है। इसीलिए भारत स्वदेश के स्तर पर न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है।
कहा जा रहा है कि यदि भारत और पाक के बीच परमाणु युद्ध का सिलसिला शुरू होता है तो इसके पहले ही प्रयोग में 12 करोड़ लोग तत्काल प्रभावित होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी है कि ऐसे हालत में जिस देश पर परमाणु बम गिरेगा, वहां ड़ेढ़ से दो करोड़ लोग तत्काल मौत की गिरफ्त में आ जाएंगे। साथ ही इसके विकिरण के प्रभाव में आए लोग 20 साल तक नारकीय दुष्प्रभावों को झेलते रहेंगे। यदि यह युद्ध शुरू होता है और परमाणु अस्त्रों से हमले शुरू हो जाते हैं तो इन्हें आसमान में ही नष्ट करने की तकनीक फिलहाल कारगर नहीं है। पाक के पास फिलहाल टेक्टिकल परमाणु अस्त्र हैं। जिसकी मारक क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इन्हें केवल जमीन से ही दागा जा सकता है। इसे दागने के लिए पाक के पास शाहीन मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1800 से 1900 किमी है। इसकी तुलना में भारत के पास अग्नि जैसी ताकतवर मिसाइलों की पूरी एक श्रृंखला है। इनकी मारक क्षमता 5000 से 8000 किमी तक है। यही नहीं भारत के पास परमाणु बम छोड़ने के लिए ऐसी त्रिस्तरीय व्यवस्था है कि हम जमीन, पानी और हवा से भी मिसाइलें दागने में सक्षम हैं। भारत की कुछ मिसाइलों को तो रेल की पटरियों से भी दागा जा सकता है। साथ ही हमारे पास उपग्रह से निगरानी प्रणाली भी है। बावजूद परमाणु हथियारों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा दुनिया के लिए आखिर में घातक ही सिद्ध होगी।