डेस्क / लेख- ट्विटर और टीवी की निरंकुशता
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चित्तौड़गढ़ - छह टन से ज्यादा खैर की लकड़ी पकड़ी, निगरानी के दौरान वन विभाग की टीम का पैंथर से हुआ सामना

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चित्तौड़गढ़ - गौ सेवा और गायक के नाम पर लॉटरी का खेल, आस्था के नाम पर लोगों के साथ हो रही ठगी

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* चित्तौड़गढ़ - छह टन से ज्यादा खैर की लकड़ी पकड़ी, निगरानी के दौरान वन विभाग की टीम का पैंथर से हुआ सामना * चित्तौड़गढ़ - गौ सेवा और गायक के नाम पर लॉटरी का खेल, आस्था के नाम पर लोगों के साथ हो रही ठगी * चित्तौड़गढ़ - पूर्व सभापति यौन शोषण मामला, अब युवती व उसके पति के खिलाफ संदीप शर्मा ने दर्ज कराया हनीट्रैप का मामला * चित्तौड़गढ़ - हादसे में पैंथर की मौत, गंगरार हाइवे पर अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर * प्रतापगढ़ - एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स की बड़ी कार्रवाई: 40 करोड़ की एमडी ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़, हथियार भी बरामद, मुख्य आरोपी फरार * चित्तौड़गढ़ / बेंगू - आपसी कहासूनी में मौसेरे भाई ने भाई पर किया लाठी से हमला, उपचार के दौरान मौत * चित्तौड़गढ़ / डूंगला - ज्वेलर्स की दुकान में चोरी, 12 किलो चांदी और 50 ग्राम सोना ले उड़े चोर * चित्तौड़गढ़ / कपासन - सात दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के हिमालय वुडबैज कोर्स में चित्तौड़ जिले के चार शिक्षकों ने लिया भाग * चित्तौड़गढ़ - अनाज व्यापारी के मुनीम से छीनी तीन लाख की नकदी, बाइक सवार दो बदमाशों ने दिया वारदात को अंजाम * चित्तौड़गढ़ - बेगूं पुलिस फायरिंग मामला... किस्मत से बची दोनों सिपाही की जान, एक के जबड़े से निकली तो महिला कांस्टेबल के आर-पार हुई गोली * चित्तौड़गढ़ - परिवेदना या अनचाही पोस्टिंग की वेदना ! * चित्तौड़गढ़ - महिला कांस्टेबल को गोली मारने के बाद सिपाही के खुद को गोली मारने की सूचना! * चित्तौड़गढ़ - शिक्षक के तबादले के बाद स्कूल की तालेबंदी, पहले ही शिक्षकों की कमी फूटा ग्रामीणों का गुस्सा * प्रतापगढ़ / छोटीसादड़ी - रंभावली में जेसीबी की सहायता से रजिस्ट्री शुदा मकान को गिराया, डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज * चित्तौड़गढ़ गत साल के मुकाबले इस बार ढाई गुना बढ़ा सांवलियाजी का भंडार, रिकॉर्ड चढ़ावे के अलावा निकला खजाना
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डॉ. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक सुप्रसिद्ध पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

ट्विटर और टीवी चैनलों पर सरकार अंकुश लगाना चाहती है लेकिन कुछ पत्रकार संगठन और विपक्षी नेता इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र पत्रकारिता का हनन है। उनका ऐसा कहना इसलिए ठीक लग सकता है कि सरकारें प्रायः उन्हीं पत्रकारों पर हमले करती हैं, जो उसके खिलाफ लिखने और बोलने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन आजकल व्हाट्सएप, ट्विटर, ई-मेल, टीवी चैनलों आदि पर इतनी अनर्गल, अश्लील, मानहानिकारक, उत्तेजक व भ्रामक खबरें और बातें चली आती हैं कि यदि उन पर रोक नहीं लगे तो समाज में अराजकता फैल सकती है।
जिन संचार-साधनों को हम पत्रकारिता का अंग मानकर चल रहे हैं, क्या वे सचमुच पत्रकारिता हैं ? शायद नहीं। क्योंकि पत्रकारिता का मूल सूत्र है- नामूलं लिख्यते किंचित याने बिना प्रमाण के कुछ भी नहीं लिखना। याने अखबारों में जो कुछ भी लिखा जाता है उसका स्रोत बताना जरूरी होता है। उसके बावजूद कोई भूल-चूक हो जाती है तो अखबार पाठकों से माफी मांगता है लेकिन टीवी चैनलों पर जिम्मेदार सूत्रधारों (एंकरों) के अलावा तरह-तरह के नेता, सड़कछाप प्रवक्ता, दंगलबाज़ वक्ता और बेलगाम बकवासी भी बुलवाए जाते हैं, क्योंकि चैनलों को टीआरपी चाहिए होती है। उसमें लाख सावधानी के बावजूद घनघोर आपत्तिजनक बातें भी पर्दे पर चली आती हैं। उनसे हिंसा भड़क सकती है, गलतफहमियां फैल सकती हैं, किसी की इज्जत तार-तार हो सकती है।
ऐसे में भी क्या सरकार को चुप रहना चाहिए ? बिल्कुल नहीं। इसके पहले कि सरकार सीधे हस्तक्षेप करे, खुद चैनल को कार्रवाई करनी चाहिए। इसके तीन स्तर सोचे गए हैं। पहला, जिसे भी शिकायत हो, वह उस चैनल को सूचित करे। 24 घंटे में चैनल उसका प्राप्ति-स्वीकार भेजे। यदि शिकायतकर्त्ता को उसके जवाब से 15 दिन में संतुष्टि न हो तो वह अपनी शिकायत चैनलों की आत्म-नियामक संस्था को भेजे और 60 दिन में भी उसे उसके जवाब से संतोष न हो तो वह अपनी शिकायत उस सरकारी निगरानी समिति को भेज सकता है, जिसके सदस्य कई मंत्री और उच्च अधिकारी होंगे।
मैं तो मानता हूं कि इस समिति को ऐसे कठोर नियम बनाने चाहिए कि दोषी व्यक्ति के साथ-साथ भावी दोषियों को भी सबक मिले। यही सिद्धांत ट्विटर आदि माध्यमों पर भी लागू होना चाहिए। गाजियाबाद में एक मुस्लिम बुजुर्ग की दाढ़ी काटने और उससे जबर्दस्ती 'श्रीरामजी की जय' बुलवाने की झूठी खबर फैलानेवालों को दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए? ट्विटर के संचालकों के पेंच क्यों नहीं कसे जाने चाहिए। यदि अमेरिका में हुड़दंगी ट्रंप-समर्थकों पर काबू पाने के लिए ट्रंप के ट्विटर पर प्रतिबंध लग सकता है तो भारत में ट्विटर को मर्यादा का पालन करने में क्या एतराज है? मनमानी करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। वह स्वच्छंदता है। ईरान, चीन, नाइजीरिया और तुर्किस्तान की तरह ट्विटर को बंद करने का नहीं, बल्कि उसके आत्म-नियंत्रण का आग्रह भारत कर रहा है।


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