views
सीधा सवाल। चितौड़गढ़। नाबालिग के अपहरण के छह वर्ष पुराने मामले में पोक्सो कोर्ट संख्या 2 चित्तौड़गढ़ के विशिष्ट न्यायाधीश अमित सहलोत ने अभियुक्त को सात साल का कारावास और 20 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया। दुष्कर्म का मामला साबित नहीं होने पर अभियुक्त को इन धाराओं से मुक्त के दिया। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जुर्माने की राशि कोर्ट में जमा करवाने पर पीड़िता को अदा की जाएगी।
विशिष्ठ लोक अभियोजक अफजल मोहम्मद शेख ने बताया कि सदर निंबाहेड़ा में 12 जून 2017 को निंबाहेड़ा क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति ने रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि वह एक पेट्रोल पंप पर काम करता है। करीब 3 या 4 बजे वह अपने घर वापस पहुंचा तो प्रार्थी की 15 साल की बहन घर पर नहीं मिली। उसकी मम्मी ने बताया कि वह पास में ही चारा लेने गई थी। आसपास बहुत ढूंढा को नहीं मिली। इस पर उसे अभियुक्त जावद, एमपी हाल सदर निंबाहेड़ा निवासी विकास पुत्र कैलाश लौहार पर शक हुआ। उसके घर जाकर देखा तो वह भी घर पर नहीं था और उसका फोन भी बंद आ रहा था। प्रार्थी की इस रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। अभियुक्त विकास को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया। अनुसंधान के बाद इसके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की और से 18 गवाह और 29 दस्तावेज प्रदर्शित पेश किए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पोक्सो कोर्ट संख्या 2 के पीठासीन अधिकारी अमित सहलोत ने अभियुक्त विकास लोहार को अपहरण करने मामले में दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।