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- फरार हुवे बंदियों में से छह की गिरफ्तारी अब भी चुनौती
अखिल तिवारी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। प्रदेश में सबसे बड़ी जेल ब्रेक की घटना चितौड़गढ़ जिला जेल में हुई है। तेरह वर्ष पूर्व 18 फरवरी 2010 को आज के दिन ही जेल तोड़ कर 23 बंदी भागे थे। जेल ब्रेक की इतनी बड़ी घटना से हड़कंप मच गया। इसके बाद प्रकरण दर्ज कर कई बंदियों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन अब भी छह बंदी ऐसे हैं, जिनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। यह अब भी पुलिस के लिए चुनौती बने हुवे हैं। जेल की घटना से सबक लेते हुवे जेल प्रशासन ने भी जेल की व्यवस्थाओं में कई बदलाव किया। आज 13 साल बाद जानते है कि जेल की व्यवस्थाओं में किस तरह से बदलाव हुआ।
तब फोटो नहीं थे तो चोट और तिल से तलाश, अब पूरा ब्यौरा तैयार
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ जेल से जब फरारी हुई तब सभी बंदियों के फोटो नहीं थे। ऐसे में नाकाबंदी करवाई और पुलिस ने सूचना करवाई तब शरीर पर चोटों के निशान, तिल हुलिए आदि की सूचना करवा फरार बंदियों की तलाश की गई थी। लेकिन अब जेल में बंदियों का पूरा ब्यौरा तैयार होता है। बंदी के आने के साथ ही उसका फोटो खींचा जाकर फिंगर के निशान तक लिए जा रहे हैं।
पहले एक गेट था, फरारी के बाद दो किए
वैसे तो जिला जेल में दो गेट है। बाहर लोहे का गेट है, जिसे बंद नहीं किया जाता था। लेकिन फरारी की घटना से सबक लेकर दो गेट की व्यवस्था कर दी गई। इससे दो स्थानों पर ताला खोलने के बाद ही कोई भीतर जा सकता है या बाहर निकल सकता है।
बैरक की संख्या बढ़ाई, हाईटेक की जेल
फरारी की घटना के बाद जेल में कई बदलाव हुवे। कई बैरक की नए निर्माण करवाए गए, जिससे ओवरलोड संख्या नहीं हो। इसके अलावा विभिन्न उपकरण लगा कर जेल को तकनीकी साधनों से मजबूत किया गया।
इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी
जेल से भागे बंदियों में से जोधपुर जिले के जामनगर निवासी बंशीलाल बिश्नोई, प्रतापगढ़ जिले में केसुंदा नई आबादी निवासी दिनेश बावरी, अजमेर जिले के सराना निवासी कैलाश जाट, विजयकरण जाट व बुधराम जाट, प्रतापगढ़ जिले के बरडिया निवासी भोलाराम गुर्जर, कपासन थाना क्षेत्र के राजपुरा निवासी कैलाश बैरागी, मंदसौर जिले के वालागुड़ा निवासी रामकिशन उर्फ शंकरपति, बाड़मेर जिले के डोलीकला निवासी मनोहर, निंबाहेड़ा थाना क्षेत्र के डोरिया निवासी राजू उर्फ राधेश्याम बलाई, राजसमंद जिले के देवगढ़ निवासी प्रभुलाल उर्फ दिलीप उर्फ सुभाष मेवाड़ा, अजमेर जिले के श्रीरामपुरा निवासी परमेश्वर जाट, कल्याणपुरा निवासी मदनसिंह राजपुरोहित, नीमच जिले के सीरखेड़ा निवासी कमलेश शर्मा तथा जालौर जिले के करेड़ा निवासी प्रकाश उर्फ पप्पू विश्नोई गिरफ्तार किए जा चुके है।
इनकी हो चुकी है मौत
जिला जेल चित्तौड़गढ़
से फरार हुए बंदियों में से दो की मौत हो चुकी है। कोतवाली पुलिस से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बाड़मेर जिले के पाडरड़ी निवासी हेमराज जाट तथा मंदसौर जिले में गुराडिया देदा निवासी सुंदरलाल पाटीदार की मौत हो चुकी है।
इनकी गिरफ्तारी अब भी शेष
जिला जेल से हुई फरारी के मामले में अब भी छह बंदी फरार है। इसमें बेगूं के सलावट निवासी मोहम्मद असलम पुत्र उर्फ राजू पुत्र बाबू खां, एमपी में बघाना थाना इलाके के दसानी निवासी ईश्वरसिंह पुत्र गौरादान चारण, नागौर जिले के गुढ़ा भगवानदास निवासी किशोर पुत्र जीवनलाल जाट, बेगूं के पाड़ावास निवासी कैलाश पुत्र धन्ना चमार, यूपी में पिनदास निवासी हेतराम पुत्र रमेशचंद्र सोनी तथा हरियाणा मेवात जिले के सिगर निवासी अख्तर पुत्र इस्माईल मुसलमान की गिरफ्तारी शेष है।
यूं हुई थी फरारी की घटना
जिला जेल में हुई फरारी की घटना की कुछ बंदियों ने पहले ही योजना बना ली थी 18 फरवरी को सुबह पौने सात बजे रसद सामग्री से भरा ट्रक जेल पर पहुंचा। इसे भीतर लेने के लिए दरवाजा खोला गया। जेल का मुख्य द्वार खुलते ही संतरी की राइफल छीन कर एक के बाद एक 23 बंदी जेल से भाग गए। इसकी जानकारी मिली तो तत्कालीन जिला कलक्टर आरुषि मलिक व पुलिस अधीक्षक गिर्राज मीणा जेल पहुंचे थे। इस संबंध में तत्कालीन डिप्टी जेलर प्रेमचंद्र वर्मा की रिपोर्ट कोतवाली थाने में प्रकरण संख्या 95/10 आईपीसी की धारा 224, 225, 332, 353, 395, 147 149, तथा धारा 3 पीडीपीपी एक्ट के तहत दर्ज किया। यह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।
इनका कहना है....
फरारी की घटना के बाद जेल की व्यवस्थाओं में कई बदलाव किए गए।दीवार पर लाइन वायर लगा कर थ्री फेज कनेक्शन किया गया। आधुनिक हथियार के साथ बाहरी सुरक्षा को लेकर आरएसी को तैनात किया। जेल की सुरक्षा व्यवस्था को तकनीकी रूप से मजबूत किया गया है। जेल स्टाफ में बढ़ोतरी की है और गश्त को बढ़ाया है। इसके अलावा कैमरे लगाए गए और सर्वर अलग रूम में स्थापित कर नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही अब बंदियों का सारा रिकॉर्ड तैयार है। फिंगर भी मौजूद है। फोटो आते है ले लेते हैं।
योगेश तेजी, जेल उप अधीक्षक चित्तौड़गढ़
इनका कहना है...
फरारी की घटना की सूचना मिलने के बाद चित्तौड़गढ़ पहुंच कर मौका देखा और सबसे पहले बाहर वाला गेट शुरू किया। राइफल संतरी को बाहर खड़ा करवाया। जेल में सघन तलाशी ली। जेल मुख्यालय बात कर के यहां नफरी बढ़वाई। बंदियों की आमद और रवानगी का कार्य जो पहले अंदर होता था उसे जेल के गेट पर शुरू करवाया। बाद में जब यहां का कार्य भार संभाला तो बंदियों के अलावा जेल सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई काम करवाए। जो शस्त्रागार बंदियों के बीच में था उसे बाहर करवाया। क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या होने के कारण तीन बैरक का निर्माण करवाया। कैंटीन का अस्थाई निर्माण करवाया। फरारी से पहले जेल प्रहरियों की बैरक भी भीतर थी। बंदी और प्रहरी साथ-साथ रहते थे। फरारी के बाद प्रहरियों को बाहर बैरक में शिफ्ट किया। इस स्थान पर हॉस्पिटल शुरू करवाया।
गोविंद सिंह, फरारी के मामले में जेल विभाग के अनुसंधान अधिकारी एवं पूर्व जेल उप अधीक्षक चित्तौड़गढ़