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जिले के कपासन क्षेत्र में न्यायिक हिरासत के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसे लेकर विरोध होता है, विरोध होना वाजिब है लेकिन विरोध की आड़ में अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति बिल्कुल भी न्यायोचित प्रतीत नहीं होती है। दरअसल खाकी पर सवाल खड़े करने के लिए खादी धारण करने वाले कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। जब कभी कोई घटनाक्रम होता है तो पुलिस पर सवाल खड़े करने के लिए बड़े-बड़े मंच सजा लिए जाते हैं लेकिन इन मंचों से केवल न्याय की मांग नहीं की जाती बल्कि अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कवायद होती है। ऐसा ही जिले में आए एक नेताजी ने किया बिना सोचे समझे उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम पर हमला बोला, लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। जब से अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बन रहा है तब से सरकार नहीं बल्कि भगवान श्रीराम ही इन लोगों के निशाने पर हैं एक ऐसा बड़ा तबका या यूं कहें एक ऐसी जमात खड़ी हो गई है जो भगवान श्रीराम को नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ती है। नेता जी ने अपनी भड़ास निकालने के लिए कह दिया कि वह तो मर्यादा पुरुषोत्तम ही नहीं थे उन्होंने अपनी पत्नी को मारपीट कर घर से निकाल दिया था यह रॉन्ग नंबर है। नेताजी रॉन्ग नंबर यह नहीं है रॉन्ग नंबर तो यह है कि आपने रामायण नहीं पड़ी है ना आपको भगवान श्री राम के चारित्रिक मूल्यों का पता है आपको सिर्फ ऐसे लोग जो शिक्षा से दूर हैं समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं है उन्हें अपना वोट बैंक बनाने के लिए अनर्गल भाषण देने के लिए मंच की जरूरत होती है। भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम है या नहीं इस बात का सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार आपको किसी ने नहीं दिया है। रामसेतु भगवान श्री राम के होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है जिसकी पुष्टि माननीय न्यायालय में भी हो चुकी है। जिस न्यायालय की दुहाई आपके द्वारा मंच से दी जा रही थी उसी न्यायालय ने भगवान श्री राम के अस्तित्व को प्रमाणित किया है। भगवान श्री राम के चरित्र पर उंगली उठाने से पहले जरा अपने बारे में सोच ले अगर आपका चरित्र प्रमाण पत्र मांग लिया तो पता लगेगा कि ना जाने कितने मामलों में न्यायालय आपका इंतजार कर रहा है। भगवान श्री राम और माता सीता कोई नाम नहीं है, बल्कि करोड़ों भारतवर्ष में रहने वालों की आस्था है, विश्वास है जिसे आप धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। भारतवर्ष में जनमानस के हर क्षण में राम बसे हैं फिर अभिवादन के लिए राम-राम हो या फिर किसी के प्रति दुख व्यक्त करने के लिए "हे राम!" हर क्षण में और हर कण में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का वास है और जब जब किसी ने भगवान श्रीराम पर या उनके अस्तित्व पर आक्षेप लगाने का प्रयास किया है तो वह खुद ही राम की शरण में जाने को मजबूर हो गया जिसका परिणाम और परिदृश्य पूरे देश ने देखा है कि जो लोग मंदिरों में महिलाओं को छेड़ने की बात कहकर मंदिरों का उपहास करते थे वही लोग आज कुर्ते पर जनेऊ पहन कर फोटो शेयर करते दिखाई देते हैं। हे माननीय आपके राम के प्रति अपशब्द बोलने से भगवान श्री राम की प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आएगी क्योंकि यदि कोई सूर्य की प्रकाश किरणों पर मिट्टी उछालने की हिमाकत करता है तो वह मिट्टी उसके मुंह पर ही आकर गिरती है ऐसे में आपके मुंह से भगवान श्री राम के विरुद्ध बोलने से आपकी कुत्सित मानसिकता स्पष्ट हो जाती है और यह तो गनीमत है कि आप इसी विचारधारा के माननीय की सरकार में अनुकंपा से एक पद पर बैठे हैं। यदि अगर आप थोड़ा सा पड़ोस में होते दो अब तक जिस खाकी को आप गाली दे रहे थे वही खाकी आपकी इतनी सेवा करती की आपके मुंह से खुद-ब-खुद राम-राम निकलने लगता खैर जिसकी जैसी सोच लेकिन एक बात सालों पहले लिखी गई है की राम किसी को मारे नहीं सबके दाता राम अपने आप मर जाएगा तू कर कर खोटे काम जिसने राम की शरण ली आज वह लोग देश पर राज कर रहे हैं और जिन्होंने राम का विरोध किया वह आज खुद अपना वजूद बचाने के लिए लोगों को जोड़ने की यात्रा निकाल रहे हैं और आपका कोई दोष नहीं है। क्योंकि आप उसी मानसिकता से जुड़े हुए हैं और कहा जाता है कि गधे को यदि साबुन से भी नहलाया जाए तो वह मिट्टी में ही जाकर लौट लगाता है बस उम्मीद करते हैं कि भगवान श्री राम आपको सद्बुद्धि दे और हमारी तरफ से आपको जय श्री राम राम राम सा।