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सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। प्रदेश में भले ही चारागाह भूमि को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। लेकिन उच्च न्यायालय ने इस मामले में पूरी गंभीरता दिखाते हुए चारागाह सुरक्षित होंगे इस दिशा में ठोस कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं। वही प्रशासनिक अधिकारियों ने भी न्यायालय को गुमराह करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी लेकिन उसके बावजूद अब चारागाह भूमि को लेकर दस्तावेजों के साथ जिम्मेदारों को कोर्ट में तलब किया है। दरअसल मामला निंबाहेड़ा के चर्चित भूमि आवंटन से जुड़ा हुआ है, जहां कनेरा ग्राम पंचायत के सरसी क्षेत्र में चारागाह भूमि का आवंटन किया गया था, जिसे लेकर वहां के रहने वाले मुकेश धाकड़ ने इसके विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में वाद दायर किया जिसमें प्रारंभिक रूप से यह स्थिति सामने आई है, जहां प्रशासन के ना उगलते बन रहा है और ना ही निगलते बन रहा है। पूरे मामले में प्रशासन के जिम्मेदार जहां बचने की जुगत लगाते दिखाई दे रहे हैं वही न्यायालय ने स्पष्ट रूप से इस पूरे प्रकरण में जिम्मेदारों की जवाबदेही तय करने का मन बना लिया है।
यह है मामला
जिले की निंबाहेड़ा पंचायत समिति के कनेरा घाटा क्षेत्र में सरसी ग्राम पंचायत में भूमि आवंटन की प्रक्रिया अपनाई गई थी। प्रशासन गांव शहरों के संग अभियान के तहत आवंटित की गई भूमि को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में मुकेश धाकड़ बनाम राज्य सरकार रिट पिटिशन नंबर 13377/2022 दायर की गई। जिसमें प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता भरत देवासी ने पैरवी की। लगभग 6 माह तक आवंटन से इनकार किया गया। लेकिन अंत में यह माना गया कि प्रशासनिक भूलवश इस प्रकरण में चारागाह भूमि का आवंटन हो गया है, जिसके निस्तारण के लिए प्रशासन द्वारा समय मांगा गया लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने प्रकरण में समय देने से इनकार करते हुए दस्तावेजों के साथ अधिकारियों को तलब किया है। ऐसे में ऐसा प्रतीत होता है कि माननीय उच्च न्यायालय चारागाह भूमि को खुर्द-बुर्द कर आवंटित करने के मामले में गंभीर है और भविष्य में इस प्रकरण में ठोस निर्णय आएगा जिससे कि दोबारा अधिकारी राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते चारागाह भूमि को किसी को आवंटित नहीं कर पाए ना ही उसे खुर्द-बुर्द करने में सहयोग कर सकें।
और भी है मामले, कार्रवाई का इंतजार
ऐसे कहीं और प्रकरण है जिनमें चारागाह भूमि को विधि विरुद्ध आवंटित किए जाने के प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। तय प्रयोजन के अतिरिक्त हस्तक्षेप के चलते अन्य प्रयोजन के लिए विधि विरुद्ध चारागाह भूमि आवंटित की गई है जिसमें लोगों ने न्यायालय के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किए हैं। संभावना जताई जा रही है कि शीघ्र ही अन्य प्रकरणों में भी निर्णय सामने आएंगे और बड़ा क्षेत्रफल जो चारागाह का आवंटित किया गया है उसे मुक्त कराए जाने में सहायता मिलेगी। कहीं रसूखदार लोगों को विधि विरुद्ध निजी लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पूर्व में भी इसी भूमि का आवंटन किया गया है ऐसे में उच्च न्यायालय द्वारा दस्तावेज तलब किया जाना साफ तौर पर इंगित करता है कि चारागाह भूमि को लेकर माननीय उच्च न्यायालय पूरी तरह से गंभीर है।
तहसीलदार की होती है जवाबदेही, करते रहे गुमराह
जानकारी में सामने आया कि चारागाह भूमि को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी तहसीलदार की होती है लेकिन चारागाह आवंटन के अधिकांश मामलों में तहसीलदार रिपोर्ट पर भूमि का आवंटन किया गया है। इस प्रकरण में भी माननीय न्यायालय को गुमराह करने का पूरा प्रयास किया गया पहले तो इस प्रकरण में न्यायालय को जवाब पेश नहीं किया गया लेकिन जब जिला कलेक्टर को जिम्मेदार मानते हुए न्यायालय ने तलब किया तो अधिकारियों के पसीने छूट गए और उसके बाद न्यायालय के समक्ष जवाब पेश किया गया कि इस पूरे प्रकरण मे भूलवश भूमि का आवंटन हो गया है, जिसे निरस्त कराने के लिए सक्षम अधिकारियों के पास अपील की गई है, इसलिए समय दिया जाए लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने किसी भी प्रकार का समय देने से इंकार कर दिया। वही जब इस मामले में निंबाहेड़ा तहसीलदार गोपाल बंजारा से बात की गई तो उन्होंने प्रकरण की जानकारी होने से इंकार कर दिया ऐसे में साफ है कि अधिकारी अपना दामन बचाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय से झूठ बोलने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं।
सीधा सवाल ने प्रमुखता से उठाया था मामला
भूमि आवंटन को लेकर सबसे पहले सीधा सवाल ने आवंटन में हो रही गड़बड़ियों को लेकर प्रमुखता से समाचारों का प्रकाशन किया था। इसके बाद मामले में जांच शुरू हो गई लगातार लंबे समय तक सीधा सवाल ने प्रशासन और आमजन का इस प्रकरण की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए गड़बड़ियों को उजागर किया था और बाद में विभागीय जांच के नाम पर कार्रवाई शुरू कर दी गई लेकिन अब माननीय उच्च न्यायालय के प्राथमिक आदेश के बाद स्पष्ट हो गया है कि बड़े स्तर पर भूमि आवंटन में गड़बड़ी की गई और प्रमुखता से भूमि अधिकारी के रूप में राज्य सरकार द्वारा पदस्थापित तहसीलदार पद के स्तर पर भारी गड़बड़ियां होने की संभावना जताई जा रही है ऐसे में साफ है कि सीधा सवाल द्वारा गड़बड़ियों को लेकर समाचार प्रकाशित करने के बाद जागरूक लोगों ने न्यायालय की शरण ली है।
इधर फरियादी के खिलाफ दलित उत्पीड़न का प्रकरण दर्ज
एक और जहां मुकेश धाकड़ द्वारा पूरे प्रकरण में न्याय के लिए उच्च न्यायालय से गुहार लगाई जा रही है वहीं दूसरी ओर पूरे मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप होने के चलते कानूनी हथकंडे अपनाए जाने लगे हैं। मिली जानकारी के अनुसार न्यायालय के समक्ष वाद प्रस्तुत करने वाले मुकेश धाकड़ के विरुद्ध दलित उत्पीड़न की धाराओं में प्रकरण दर्ज करने के बाद जब जांच अधिकारी लाभुराम विश्नोई जांच करने पहुंचे तो थाने में बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए और इस प्रकरण का विरोध जताया जीएसएसके अध्यक्ष होने के नाते गोदाम के ताले तोड़े जाने को लेकर मामूली उलाहना के मामले को दलित उत्पीड़न में परिवर्तित करने को गलत बताते हुए ग्रामीणों ने पुरजोर तरीके से विरोध जताया है और पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को न्यायालय द्वारा कड़े आदेश जारी करने के बाद शनिवार को हुआ यह प्रकरण राजनीति के हलकों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
मुझे ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है।
गोपाल लाल बंजारा, तहसीलदार, निंबाहेड़ा