इतिहास के पन्नों में 05 अगस्तः जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की विदाई, अयोध्या में जय श्रीराम की गूंज
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देश-दुनिया के इतिहास में 05 अगस्त की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। वैसे अगस्त जब आता है तब भारतीय जनसामान्य के मन में केवल एक तिथि का विशेष महत्व रहता है, वह तारीख है 15 अगस्त। और यह तिथि हमारे मन में घूमें भी क्यों न? यह अंग्रेज हुकूमत से आजादी का भारत पर्व है। अब अगस्त में 05 अगस्त की तारीख का ऐतिहासिक महत्व है। यह तारीख भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कुछ ऐसा घटा कि यह तारीख अमर हो गई। भविष्य में 5 अगस्त का तिथि भारतीय इतिहास में स्वतंत्रता के बाद सबसे अहम होगी, क्योंकि 05 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की विदाई हुई और 05 अगस्त 2020 को भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य के लिए अयोध्या में भूमिपूजन किया गया।
'जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है' यह वक्तव्य विभिन्न दलों के नेता देते जरूर थे, लेकिन सत्य यह था कि जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370 के नागपाश में बंधा हुआ था। यह अनुच्छेद भारत सरकार के किसी भी निर्णय को सीधे तौर पर जम्मू-कश्मीर में लागू होने से रोकता था। इसलिए 'जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है' यह बात 05 अगस्त 2019 से पहले केवल कहने भर के लिए ही थी। मोदी सरकार ने अलगाववाद पर सबसे बड़ा प्रहार करते हुए भारत माता के शीश मुकुट जम्मू-कश्मीर को इस नागपाश से मुक्त करा दिया।
पिछले 500 वर्ष के इतिहास में 05 अगस्त 2020 को एक और ऐतिहासिक घटना घटी। इस शुभ क्षण की प्रतीक्षा में हिन्दू समाज पिछले 491 वर्ष से संघर्ष कर रहा था। 21 मार्च 1528 को मुगल आक्रांता बाबर के आदेश पर उसके सिपहसलार मीर बाकी ने राम मंदिर को ध्वस्त किया था और फिर उसके स्थान पर एक ढांचा खड़ा कर दिया था। उस ढांचे को हिन्दू समाज ने 06 दिसंबर, 1992 को उखाड़ फेंका था। इसके बाद न्यायालय में प्रकरण चला और हिन्दू समाज की विजय हुई। हिन्दू संस्कृति की अस्मिता को कलंकित करने वाला यह कलंक 05 अगस्त 2020 को धुला। राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के 'दिव्य क्षण' की प्रतीक्षा खत्म हो गई। प्रधानमंत्री मोदी के हाथों असंख्य सनातनी रामभक्त हिन्दुओं के संघर्ष, त्याग और तप की पूर्णाहुति हुई। इसलिए हिन्दू समाज के लिए 05 अगस्त की तिथि आधुनिक 'दीपावली' त्योहार से कम नहीं है।
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1775ः तत्कालीन बंगाल के महाराजा नंदकुमार को कलकत्ता (अब कोलकाता) में फांसी दी गई।
1874ः जापान ने इंग्लैंड की तर्ज पर डाक बचत प्रणाली शुरू की।
1914 - क्यूबा, उरुग्वे, मैक्सिको और अर्जेंटीना ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तटस्थ रहने की घोषणा की।
1915ः प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वारसा पर जर्मनी का अधिकार हो गया।
1921ः अमेरिका और जर्मनी ने बर्लिन शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1945ः अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया।
1949ः इक्वाडोर की राजधानी क्विटो में 6.7 की तीव्रता वाले भूकंप से छह हजार लोगों की मौत।
1991ः न्यायमूर्ति लीला सेठ दिल्ली हाई कोर्ट में जज बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
2010ः कश्मीर के लेह में बादल फटा।115 लोगों की मौत।
2011ः केप केनवरल एयर फोर्स स्टेशन से बृहस्पति के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पहले सौर ऊर्जा संचालित अंतरिक्ष यान जूनो का प्रक्षेपण किया गया।
2016ः ब्राजील में रियो डी जेनेरो के माराकाना स्टेडियम में 31वां ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल शुरू हुए।
2018ः उत्तर प्रदेश के मुगल सराय जंक्शन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन किया गया।
2019ः जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त किया गया।
2020ः सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन।
जन्म
1901ः मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्रा।
1915ः प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि शिवमंगल सिंह सुमन।
1930ः चांद पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग।
1936ः गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता।
1947ः हिन्दी के प्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल।
1969ः भारतीय क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद।
1975ः भारतीय अभिनेत्री काजोल।
2001ः भारत की महिला पहलवान अंशु मलिक।
निधन
1950ः असम के प्रथम मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई।
1998ः बुल्गारिया के 36वें प्रधानमंत्री टोडर जिकोव।
2000ः भारत के महान ख्यातिप्राप्त क्रिकेटर लाला अमरनाथ।