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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिले के मंडफिया कस्बे में स्थित मंदिर बोर्ड की और से विस्थापितों के नाम से किया आवंटन पूरी तरह से विवादों में घिर चुका है। विस्थापितों और किरायेदारों के स्थान पर मंदिर बोर्ड पदाधिकारियों के रिश्तेदारों और कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम पर आवंटन करने का आरोप लगा है। सक्षम अधिकारी के अनुमति के बिना दुकानों का आवंटन करने की जानकारी मिलने के बाद मंदिर मंडल के सीईओ ने आदेश जारी करते हुए आवंटन को शून्य घोषित कर दिया था। साथ ही मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें तीन सदस्यों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी शीघ्र अपनी रिपोर्ट देगी। इस मामले में अब हर दिन नए खुलासे हो रहे है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस आवंटन को लेकर कोई बोर्ड में प्रस्ताव नहीं लिया गया। ऐसे में आशंका है कि बोर्ड पदाधिकारियों ने केवल सर्कुलेशन प्रस्ताव से इन दुकानों का आवंटन कर दिया। इसमें ना ही मंदिर मंडल सीईओ को जानकारी दी और ना ही हस्ताक्षर हुवे। जिन्हें दुकान आवंटन की गई, उनकी एक सूची है, जिस पर मंदिर बोर्ड पदाधिकारियों के हस्ताक्षर होने की जानकारी सामने आई है। वहीं इस सूची के आधार पर जो आवंटन किया है उसमें भी जो लाभार्थी वाजिब हकदार थे उन्हें दरकिनार कर बंदरबांट की गई। वहीं पहले जो चाबियां दुकानों की बांटी थी और लोगों ने ताले लगा दिए थे उन पर बीती रात को प्रशासन ने ताले लगा दिए और विवादित बता कर चिट चस्पा कर दी।
सूची सार्वजनिक नहीं होने तक नामों पर चर्चाओं का दौर
मंदिर बोर्ड की और से जिन 35 लोगों को दुकानों का आवंटन हुआ है उसकी सूची उजागर नहीं हुई है। पहले जब चाबियां सौंपी और ताले लगाए जाने लगे तब लाभांवित होने वालों के नाम सामने आए। ऐसे में कस्बे में इस सूची को लेकर चर्चाओं का दौर है। इन चर्चाओं में ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जो कि चौंकाने वाले है। सूची सामने आती है तब पता चल पाएगा कि इस 35 की सूची में कितने सही लाभान्वित है और कितनों को बंदरबांट हुई है। बोर्ड सदस्यों के रिश्तेदार, संविदा कार्मिक के रिश्तेदार, सब्जी विक्रेता, इनेक अन्य कई परिचित आदि को दुकान आवंटन की बात सामने आ रही है।