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मोबाइल के चलते सोने का समय हुआ कम -आंखों को भी पहुंच रहा नुकसान
अखिल तिवारी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। एक समय था जब मोबाइल नहीं हुआ करता था और लोग सोने से पहले अच्छी किताबें पढ़ना पसंद करते थे। इससे की नींद भी अच्छी आती थी। लेकिन वर्तमान में हालात बदल चुके हैं रात को सोने से पहले आज की युवा पीढ़ी हो या उम्र दराज, एक से दो घंटे तक सोशल मीडिया पर समय व्यतीत कर रहे है। ऐसे में मोबाइल लोगों की आंखों से नींद चुरा रहा है। लोगों के सोने का समय तो कम हो ही रहा है साथ ही सोशल मीडिया पर लोग घंटों समय व्यतीत कर रहे हैं। इससे तनाव भी बढ़ता जा रहा है और स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे समय में चित्तौड़गढ़ में शुरू किया गया रीडर्स क्लब लोगों में फिर से किताबें पढ़ने की आदत डाल रहा है। इससे मोबाइल की ''बीमारी" को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। रीडर्स क्लब की यह अनूठी पहल फिर से लोगों में किताबें पढ़ने की ललक जगा रही है।
जानकारी के अनुसार अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के चित्तौड़गढ़ शहर कार्यालय में सहायक राजस्व अधिकारी के पद पर कार्यरत नवीन शर्मा ने रीडर्स क्लब शुरू किया है। दिसंबर 2022 में नवीन ने किताबों में रुचि लेना शुरू किया था। इसके बाद से वे लगातार लोगों में भी किताबें पढ़ाने की ललक जगाई। अब तक एक साल में इस क्लब से 100 सदस्य जुड़े हैं। इनमें से 50 से ज्यादा ऐसे हैं, जो सक्रिय हो निरंतर पुस्तकें पढ़ रहे हैं और रात को मोबाइल से दूरी बनाई हुई है। इस क्लब से कई अधिकारी, कर्मचारी व आम लोग भी जुड़े हैं।
अनावश्यक डेटा लेने से भी बचा रहे
क्लब के संचालक नवीन शर्मा ने बताया कि वर्तमान में व्यक्ति के पास समय कम है लेकिन मोबाइल के लिए समय निकालता है। सोने से पहले करीब दो घंटे मोबाइल चलाता है। ऐसे में वह दो घंटे ज्यादा देरी से सोता है। आधे घंटे पुस्तक पढ़ने के बाद नींद अच्छी आती है। यह आदत मोबाइल के दुष्प्रभाव से बचाती है। सोशल मीडिया पर व्यक्ति हो या बच्चे अनावश्यक इंटरनेट के डेटा ले रहे हैं, जिसकी जरूरत नहीं है। यह व्यक्ति में गलत आदत डाल रही है। बच्चों के मन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत इन गलत आदतों से बचाती है। शर्मा ने बताया कि क्लब शुरू करने के पीछे एक अन्य उद्देश्य चित्तौड़ शहर में पाठको के लिए एक मंच प्रदान करना भी है।
यूं आया क्लब शुरू करने का विचार
नवीन शर्मा ने बताया कि उन्होंने 2022 में पुस्तकों में रुचि लेना शुरू किया था। कुछ ही दिनों में 30-40 पुस्तकें हो गई थी। ऐसे में कुछ मित्र पुस्तक मांगने लगे थे और मित्रों से पुस्तक वापस नहीं आती थी। ऐसे ही एक मित्र ने पुस्तक मांगी तो उसे कहा कि क्लब शुरू किया है। इसलिए पहले आप क्लब के सदस्य बनिए और फिर पूरे साल जितनी चाहिए उतनी पुस्तक ले जाकर पढ़िए। मित्र ने भी तत्काल अपनी जेब से 1000 रुपए निकाले और क्लब का सदस्य बन गया। बस यहीं से रीडर्स क्लब शुरू करने का विचार आया।
पुस्तकें पढ़ाना है प्राथमिकता
एक सदस्य बनाने के बाद फिर आगे और व्यक्तियों को जोड़ने का विचार आया। आगे और इच्छुक व्यक्तियों को जोड़ा। इस तरह क्लब में पांच-सात सदस्य हुवे और 50 पुस्तक हुई। तब लगा कि यह पुस्तकें अपनी नहीं है। पुस्तकें पढ़ाने की प्राथमिकता रहनी चाहिए। इसी सोच के साथ क्लब में इच्छुक व्यक्तियों को सदस्य बनाए।
रिकॉर्ड भी रखा, सदस्यों की संख्या भी बढ़ी
एक साल में ही रीडर्स क्लब में 700 किताबों का कलेक्शन हो गया है। इसके सदस्य अपनी रूचि के अनुसार किताबों ले जाते है। किताबों को ले जाने और देने का रिकॉर्ड संधारित है। 500 से ज्यादा बार किताबें पढ़ी जा चुकी है।
स्वयं देने जाते हैं किताबें
नवीन शर्मा ने बताया कि क्लब में जुड़े सदस्यों की सुविधा के लिए वे स्वयं किताबें देने चले जाते हैं। इसमें उन्हें कोई संकोच नहीं है। सदस्य किताब निर्धारित स्थान बता कर मिल सकते हैं। घर या कार्यालय पर भी संपर्क करते हैं तो घर जाकर भी दे सकते हैं।
सभी की रुचि के अनुसार है पुस्तकें
शर्मा ने बताया कि क्लब का उद्देश्य है कि अगले वर्ष में सक्रिय सदस्यों की संख्या और बड़े तथा 1500 पुस्तकों की संख्या चली जाए। वर्तमान में मेवाड़ के इतिहास पर विशेष पुस्तकें, क्रांतिकारी के जीवन पर पुस्तकें, क्लासिक उपन्यास, बच्चों के लिए कहानियों का संकलन, कविता, नाटक आदि पुस्तकें है। वहीं क्रांतिदूत पुस्तक सबसे जायदा बार पढ़ी गई। हर आयु वर्ग के लिए पुस्तकें हैं।