प्रतापगढ़ / छोटीसादड़ी - सात साल की मासूम को छोटी बहन देगी बोन मैरो
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थैलेसीमिया पीड़ित तनवी साहू का सामाजिक संस्था की मदद से होगा उपचार

रोहित रेगर सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। मानव जीवन में ऐसी कई गंभीर बीमारियां है जिनके उपचार के बाद मरीज और उसके परिजनों को मानो ऐसा लगता है की वह एक नए जीवन की शुरुआत कर रहे हैं। ऐसी ही एक शुरुआत 7 साल की मासूम तनवी साहू करने जा रही है जिसे एक सामाजिक संस्था की मदद से उसकी छोटी बहन परिधि अपना बोन मैरो देगी और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित तनवी को फायदा मिलेगा। बड़ी बात यह है कि इसके उपचार में लगने वाली लगभग 15 लाख से अधिक की राशि का खर्च नीमच की थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी बीएमटी डॉ पेंढारकर के माध्यम से
निशुल्क करवा रही है। उपचार के बाद उम्मीद जताई जा रही है तनवी उसका सामान्य जीवन जी सकेंगी। वह भी अन्य बच्चों की तरह खेल सकेगी और उसके माता-पिता जो उपचार के लिए अस्पतालों में चक्कर लगा रहे हैं वह भी अपनी बेटी के बचपन को उसके साथ जी पाएंगे।

बार-बार बदलना पड़ता है खून उपचार, नहीं मिलने पर चली जाती है जान 

थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित मरीज के शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है और उसके बाद मरीज में धीरे-धीरे रक्त की कमी हो जाती है ऐसे मरीज को बार-बार रक्त चढ़ना पड़ता है। बताया जाता है कि यह एक अनुवांशिक बीमारी है, जो बच्चों को अपने जैविक अभिभावकों से मिलती है। अमूमन जन्म के 3 से 4 महीने बाद इस बीमारी का पता लगता है। सही समय पर इस बीमारी का पता लगने पर मरीज के जीवन को बचाया जा सकता है लेकिन बीमारी की पहचान नहीं होने की स्थिति में मरीज की मौत तक हो जाती है। लेकिन जीवित रहने के लिए भी मरीज को बार-बार अस्पताल में खून चढ़वाने और सामान्य बीमारियों की स्थिति में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसे में मरीज और उनके परिजनों को यह बीमारी केवल शारीरिक और मानसिक बाल की आर्थिक रूप से भी तोड़ देती है। अनुवांशिक रूप एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाली इस बीमारी की रोकथाम के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट उपचार पर हर एक के बस की बात नहीं

थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी में बोन मैरो प्रत्यारोपण एक कारगर उपचार पद्धति है। थैलेसीमिया रोगियों के उपचार और रोग की रोकथाम की दिशा में कार्यरत नीमच की थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी अध्यक्ष सतेंद्र सिंह राठौड़ बताते हैं कि बोन मैरो प्रत्यारोपण पद्धति से इस रोग के उपचार में मदद मिलती है 90 से 98 प्रतिशत रोगियों का उपचार इस पद्धति से मुमकिन है और इसकी दिशा में संस्था लगातार प्रयास कर रही है की रोगियों को उपचार मुहैया करने के लिए जो भी सहायता और संसाधन उपलब्ध करवाया जा सकते हैं उन्हें उपलब्ध करा कर मरीजों की जीवन रक्षा की जा सके। जानकारी अनुसार बोनमेरो मैच कराया जाता है। ब्लड ग्रुप मैच होने के बाद बोनमेरो मैच किया जाता है। मैच होने के बाद एक विशेष पद्धति से बोनमेरो उत्सर्जन कर प्रत्यारोपित किया जाता है। तनवी को कुछ वर्षों से हर 10 दिन में 1 यूनिट ब्लड चढ़ाया जा रहा था। अब छोटी बहन के बोनमेरो डोनेशन एवं सभी की दुआओ से तनवी स्वस्थ होकर हमारे बीच आएगी। वही, छोटीसादड़ी की सामाजिक संस्थाएं रक्तदान शिविर लगाकर थेलेसीमिया से पीड़ित रोगी के लिए रक्तदान की व्यवस्था भी करवा रही है। इस दौरान परिवार के सदस्यों के साथ अध्यक्ष सतेंद्र राठौड़, आलोक अग्रवाल, अशोक सोनी, प्रदीप व्यास मौजूद रहे।


तनवी के लिए परिधि बनेगी जीवन दाता

छोटीसादड़ी के रहने वाले विनोद साहू की 7 वर्षीय बेटी तनवी साहू को थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी होने का पता लगने के बाद परिजनों ने अपने स्तर पर उपचार के लिए खूब प्रयास किया। उन्हें जानकारी मिलेगी बोन मेरो प्रत्यर्पण के जरीये उपचार किया जा सकता है। जब उपचार के खर्च का पता किया तो सामने आया कि लगभग 15 लाख रुपए के खर्च के बाद उनकी बेटी ठीक हो सकती है लेकिन गरीब परिवार के लिए यह राशि कोई छोटी बात नहीं थी ऐसे में उन्हें थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी नीमच के बारे में जानकारी मिली और संस्था के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह राठौर से मुलाकात हुई और संस्था ने उपचार के लिए मदद करने का आश्वासन दिया। लेकिन दूसरी समस्या यह थी कि उसे बोन मैरो कहां से उपलब्ध कराया जाएगा इस पर तन्वी की छोटी बहन परिधि उसके लिए जीवन दाता तभी हुई 3 साल की परिधि का बोन मैरो लेकर उसे तन्वी में प्रत्यारोपित किया जाएगा और उसके बाद उम्मीद है कि अपने बचपन को बीमारी से लड़कर हो रही 7 साल की मासूम तन्वी अपनी छोटी बहन की मदद से अपना नया जीवन शुरू कर पाएगी। जिसमें वह आम बच्चों की तरह खेल कूद सकेगी। संस्था के अध्यक्ष सत्येंद्र ने बताया कि 2 साल से बड़ा कोई भी बच्चा बोन मैरो दाता बन सकता है। तन्वी साहू को पहले एक महीने में खून चढ़ाना पड़ता था जबकि 15 से 10 दिनों के भीतर ही उसे खून की जरूरत पड़ जाती है लेकिन जल्द ही उसे उपचार मिलेगा और नई दिल्ली के सर्वोदय अस्पताल फरीदाबाद में डॉ दिनेश पेंडाकर के सहयोग से उसकी छोटी बहन का बोन मैरो प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा और उम्मीद है कि अमूमन उपचार में लाभकारी है पद्धति तन्वी के लिए भी जीवनदायिनी साबित होगी।








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