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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राम नवमी के त्योहार को पूरा भारत देश अपने अलग अलग अन्दाज़ में मना रहा है यह रामनवमी इसलिए भी लोगो के लिये विशेष रही क्योंकि 500 सालों के बाद अयोध्या में प्रभु श्री राम मंदिर में विराजमान हुए है लेकिन इस त्यौहार के दिन को एक रक्त वीरांगना ने अपने अलग अन्दाज़ में मनाया ताकि किसी और को नया जीवन मिल सके। इसी अन्दाज़ में ज़िले के ग्रामीण अंचल से लुणख़ंदा निवासी रिमझिम धाकड़ ने राम नवमी के अवसर पर अपने जीवन का पहला रक्तदान करने का मन बनाया।
जानकारी के अनुसार लुणख़ंदा के अध्यापक कालूराम की बेटी रिमझिम का हाल ही में राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा (आर ए एस) में चयन हुआ हैं जिसमे धाकड़ ने 580 वी रैंक प्राप्त कर ज़िले व माता-पिता का नाम रोशन किया।
रिमझिम ने टीम जीवनदाता संस्था से सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क किया और ज़िला चिकित्सालय ब्लड बैंक में पहुँच रक्तदान कर अपना रक्त प्रभु श्री राम के नाम किया
रिमझिम ने रक्तदान करने के बाद अपने अनुभव में बताया कि रक्तदान ही एक ऐसा विकल्प जीवन द्रव्य है जिससे हम किसी अन्य व्यक्ति का जीवन बचा सकते है यह पुनीत कार्य करके मूजे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है सभी युवाओं को इस मुहिम में जुड़कर रक्तदान जैसा पुनीत कार्य करना चाहिए रक्तदान से किसी भी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं आती हैं यह हर स्वस्थ इंसान को करना चाहिए।
वही दूसरी और गोपालपुरा बस्सी निवासी किशन धाकड़ ने अपनी स्वर्गीय माताजी शांति बाई की पुण्यतिथि पर स्वयं ने 10 वी बार रक्तदान किया एवं किशन के मित्रों सत्यनारायण,भेरूलाल,चुन्नीलाल,राधेश्याम,शंकरलाल,पिंटुलाल,कैलाश,एवं देवीलाल कुमावत ओछड़ी ने 31 वी बार रक्तदान कर मित्र किशन धाकड़ की माताजी शांतिबाई को श्रद्धांजलि स्वरूप रक्तदान किया।
टीम जीवनदाता युवा वर्ग से अनुरोध करती है कि गर्मी के इस मोसम में स्वैच्छिक रक्तदान अधिक से अधिक करें ताकि ज़रूरतमंदों को खून के लिए भटकना नहीं पड़ें।