views
राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद शांतिभंग की हुई कार्रवाई
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। दुर्व्यवहार के मामले में एपीओ चल रहे एक शिक्षक ने जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक के कार्यालय में जमकर उत्पात मचाया। हालात यह हो गये की कार्यालय में कार्यरत कार्मिकों को उत्पाती शिक्षक को नियंत्रित करने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम से जाब्ता बुलाना पड़ा और उसे पर भी बानगी यह की देर रात तक शिक्षा विभाग की महिला अधिकारी का इंतजार करती रही। लेकिन बाद में राजनीतिक हस्तक्षेप में चलते आरोपित शिक्षक पर महज शांति भंग की कार्रवाई हो पाई। मामले में अब तक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय प्रारंभिक शिक्षा में अरनोदा राजकीय विद्यालय में कार्यरत करौली मुल के शिक्षक भीम सिंह मीणा ने किसी प्रकरण को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय माध्यमिक में पहुंचकर जमकर उत्पात मचाया। वह कार्यरत कार्मिकों से हाथापाई पर उतारू होते हुए कार्यालय समय में राजकीय कार्य को बाधा पहुंचाने के कृत्य को अंजाम दिया। लेकिन शिक्षक के राजनीतिक प्रभाव के चलते देर रात तक अधिकारियों और कर्मचारियों के विरोध के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई ना ही मामले में प्रकरण दर्ज हो पाया उल्टे देर रात अधिकारियों और कार्मिकों को बेरंग थाने से लौटना पड़ा।
खुद एपीओ दूसरों की पंचायती करने पहुंचा शिक्षक
जानकारी के अनुसार पूर्ववर्ती सरकार में महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों का संचालन शुरू किया गया था और इसमें संविदा पर शिक्षकों को शिक्षण कार्य के लिए लगाया गया था। निंबाहेड़ा ब्लॉक के केली महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में संविदा पर कार्यरत शिक्षिका कविता शाह को तकनीकी कारणों से वेतन नहीं मिल पाया था इसे लेकर स्थानीय सरपंच के साथ दुर्व्यवहार को लेकर 1 साल पहले एपीओ किया शिक्षक भीम सिंह मीणा जिसे एपीओ कार्यकाल के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा में भेजा गया था वह माध्यमिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पहुंचा और वेतन को लेकर बहस करने लगा जिस पर कार्यालय के कार्मिको ने उसे समझाने का प्रयास किया तो मारपीट पर उतारू होकर उत्पाद मचाने लगा इसके बाद कार्यालय के कार्मिकों ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी और वहां से पुलिस पहुंची और उत्पाती शिक्षक को कोतवाली थाने में लाया गया जहां उसे शांति भंग में पाबंद करने की कार्रवाई की गई। इस दौरान खुद को संघर्ष समिति का पदाधिकारी बताते हुए अधिकारियों और कर्मचारियों पर धौंस जमाने का प्रयास किया लेकिन पूरे मामले में बड़ी बात यह रही की शिक्षक के विरुद्ध केवल शांति भंग की कार्रवाई करते हुए कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया।
शिक्षक की राजनीतिक धौंस नहीं हुई प्राथमिकी !
इधर घटनाक्रम की जानकारी मिलने पर जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कल्पना शर्मा अपने कार्मिकों के साथ कोतवाली थाने पहुंची लेकिन रात्रि 9:30 बजे तक भी पुलिस ने प्रकरण दर्ज नहीं किया केवल शांति पंक्ति कार्रवाई करते हुए मामले को दबाने का प्रयास किया। पुलिस विभाग के सूत्रों से प्रकरण में जानकारी मिली है कि शिक्षक के करौली से होने का कारण वहां के भाजपा के बड़े नेताओं से सीधा संपर्क होने से वहां के मीणा समाज के बड़े नेता ने यहां सीधा संपर्क किया और मामले में पुलिस कार्यवाही करने के बजाय राजनीति के प्रभाव में आकर मूकदर्शक बनी दिखाई दी। जिले की एक महिला अधिकारी अपने कार्यालय में हुए घटनाक्रम को लेकर कार्रवाई के प्रयास में जुटी दिखाई दी तो पुलिस की कार्यशाली पर प्रकरण ने सवाल खड़े कर दिये है।
एक साल से एपीओ, फिर भी मचा रहा दादागिरी
बताया जा रहा है कि शिक्षक भीम सिंह मीणा को लगभग 1 साल से अरनोदा राजकीय विद्यालय में पदस्थापन के दौरान वहां के जनप्रतिनिधियों से अभद्रता और दुर्व्यवहार के चलते एपीओ किया गया था। उसके बाद से ही वह अपनी उपस्थिति जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के कार्यालय में अपनी उपस्थिति दे रहा है लेकिन 1 साल होने के बावजूद भी उसके खिलाफ ना तो जांच पूरी की गई और ना ही कोई विभाग की कार्य की गई ऐसे में निरंकुश शिक्षक खुद को संघर्ष समिति का पदाधिकारी बताते हुए विभाग के ही एक कार्यालय में धमाल करने पहुंच गया। ऐसे में साफ है कि इसके राजनीतिक प्रभाव को चलते हैं इसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई को भी जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय द्वारा ठंडे बस्ते में डाला गया जिसका परिणाम यह हुआ कि अब दूसरे विभाग भी इसकी दादागिरी का शिकार हो रहे हैं।