views
अतिक्रमण पर मौन क्यों अधिकारी व जनप्रतिनिधि
चित्तौड़गढ़। विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर अतिक्रमण के मामले लगातार बढ़े हैं। इन दिनों जबरन निर्माण सामग्री भी दुर्ग पर ले जाई जा रही है। ऐसा ही एक मामला एक दिन पूर्व ही देखने को मिला, जिसमें सिक्यूरिटी गार्ड के विरोध करने पर ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास भी किया गया। इस संबंध में एक वीडियो भी सामने आया है। पुरातत्व विभाग ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट भी दी है। लेकिन बड़ा सवाल यह कि जब सभी जिम्मेदार महकमे ही मौन है तो फिर विश्व विरासत से अतिक्रमण का दंश कैसे हटेगा।
जानकारी में सामने आया कि विश्व विख्यात दुर्ग पर लंबे समय से अतिक्रमण के मामले बढ़े हैं। इस पर रोक लगाने वाले महकमें मौन हैं। कोई भी कार्यवाही की पहल नहीं कर रहा हैं तो पुरातत्व विभाग नोटिस देने के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। हाल ही के दिनों में दुर्ग स्थित आबादी में मकानों की मरम्मत के लिए निर्माण सामग्री ऊपर ले जाने की मांग उठी थी। ऐसे में दुर्ग पर चोरी छिपे भी निर्माण सामग्री ले जाई जा रही है। मंगलवार को एक ट्रैक्टर में बजरी भर कर ले जाई जा रही थी। दुर्ग के प्रवेश द्वार पाड़नपोल पर तैनात सिक्यूरिटी गार्ड ने चालक को रोकने का प्रयास किया। चालक ने ट्रैक्टर नहीं रोका और गार्ड पर ही चढ़ाने का प्रयास किया। गार्ड ने इसका वीडियो भी बना लिया। चालक जबरन बजरी से भरे ट्रैक्टर को दुर्ग पर ले गया। मजबूरी में गार्ड को पीछे हटना पड़ा। बाद में गार्ड ने इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग के स्थानीय अधिकारी प्रेमचंद शर्मा को दी। इस पर शर्मा ने एक लिखित शिकायत कोतवाली थाने में भेजी है। साथ ही गार्ड की और से बनाया गया वीडियो भी भेजा है।
पुलिस को दी एक माह में 10 शिकायत, कार्यवाही नहीं
इधर, पुरातत्व विभाग के अधिकारी प्रेमचंद शर्मा दुर्ग पर अतिक्रमण के मामलों में सवाल पर तो कुछ नहीं बोले लेकिन पुलिस पर सवाल उठाया। शर्मा ने बताया कि एक माह में यह 10 से 15वां मामला होगा। कोतवाली थाने में लिखित शिकायत भेजी है। लेकिन पुलिस ने एक भी बार मामला दर्ज नहीं किया। हर बार शिकायत को जांच में रखा है।
पुलिस की ऐसी क्या मजबूरी?
विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर कानून और शांति व्यवस्था को लेकर पुलिस चौकी भी स्थापित है। ऐसे में दुर्ग पर होने वाली प्रत्येक वैध और अवैध गतिविधि की जानकारी पुलिस चौकी के स्टाफ को है। लेकिन लंबे समय से जो भी स्टाफ यहां पर रहा उसने उचित कदम उठाना मुनासिब नहीं समझा। ना हीं पुलिस के उच्च अधिकारियों ने इस पर ध्यान दिया। यही कारण है कि दुर्ग पर लगातार अतिक्रमण के मामले और अवैध गतिविधियां बढ़ी है। पुलिस ने पुरातत्व विभाग की शिकायतें को भी गंभीरता से नहीं लिया।
पुरातत्व विभाग की मिली भगत के बिना अतिक्रमण संभव नहीं
प्रायः देखा गया है कि दुर्ग पर अवैध अतिक्रमण को लेकर नोटिस जारी करने का दावा पुरातत्व विभाग करता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि पुरातत्व विभाग की मर्जी के बिना दुर्ग पर अतिक्रमण भी संभव नहीं है। कोराना काल में जब सख्ती थी तब भी दुर्ग पर अवैध निर्माण हुवे हैं। अब सामान्य दिनों में पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से क्या आस की जा सकती है।
जनप्रतिनिधियों की मिली भगत!
चित्तौड़ दुर्ग पर बढ़ते अतिक्रमण के मामलों में जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस का राज हो या भाजपा का, किसी भी राज में अतिक्रमण नहीं रुके। उल्टा जिसका राज रहा उस पार्टी के लोगों के अवैध निर्माण बढ़े। यही कारण है कि मीरा मंदिर के सामने उस जमाने में अतिक्रमण हुवे जो हटाने के बाद आज पुनः काबिज है।
बातें बायलॉजिकल पार्क की, कहीं तमगा ही ना छीन जाए वर्ल्ड हेरिटेज का
केंद्र में भाजपा का शासन आने के बाद लगातार दुर्ग पर बायोलॉजिकल पार्क खोलने की बाते होती रही है। दो दिन पूर्व बजट से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर इसकी खुशी भी जाहिर कर दी। लेकिन लगातार ऐसे ही अतिक्रमण बढ़े तो दुर्ग को जो विश्व विरासत में शामिल किया है वह तमगा ही छीन जाएगा।
जिला प्रशासन ले संज्ञान
दुर्ग पर अतिक्रमण हटाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की भी है। जिला कलक्टर, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार सहित प्रशासन की टीम भी अतिक्रमण हटवाते हैं। सुरक्षा को लेकर पुलिस जाप्ता भी तैनात होता है। लेकिन लंबे समय से पुरातत्व विभाग के साथ जिला प्रशासन इस पर गंभीर नहीं दिखा। इस संबंध में पुरातत्व विभाग तो चुप्पी साध लेता है।
विरासत रही तो रहेगी हमारी पहचान, वरना लिविंग फोर्ट
ऐतिहासिक चित्तौड़ दुर्ग वर्षों से लिविंग फोर्ट है। यहां की आबादी करीब पांच हजार बताई जाती है। पुराने मकान भी काफी हैं, जिनकी मरम्मत की भी आवश्यकता है। लेकिन मरम्मत की आड में यहां आगे से आगे व्यवसायिक निर्माण होते जा रहे है। ऐसे ही अतिक्रमण बढ़े तो विरासत की जगह केवल लिविंग फोर्ट ही रह जाएगा। फिर ना पर्यटक आएंगे ना ही व्यवसाय होगा।
अतिक्रमण हटाने वाले अधिकारी का किया था रातों रात ट्रांसफर
जुलाई 2019 के अंत में दुर्ग पर अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्यवाही हुई थी। करीब 19 वर्ष बाद दुर्ग पर चिन्हित किए हुवे अतिक्रमण में से 80 अतिक्रमण हटाए थे। इससे अतिक्रमण करने वालों में खलबली मच गई और अपने-अपने आकाओं के यहां दौड़ लगा दी। तब प्रदेश के कांग्रेस तो केंद्र में भाजपा की सरकार थी। आपसी गठबंधन हुआ और रातों रात अतिक्रमण हटाने वाले अधिकारी तत्कालीन सहायक पुरातत्व संरक्षण सिद्धार्थ वर्मा का स्थानांतरण कर दिया गया। इसके बाद किसी ने दुर्ग पर अतिक्रमण हटाने की हिम्मत नहीं उठाई।