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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। मनोकामना सिद्धि के लिए चार माह तक किए जाने वाले मंशापूर्ण महादेव व्रत का उद्यापन मंगलवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी पर संपन्न हुआ। इस अवसर पर शिवालयों में व्रतधारियों ने शुभ मुहूर्त में मंशापूर्ण महादेव की पूजा-अर्चना की और चूरमे का भोग अर्पित किया। उद्यापन के तहत व्रतधारी घर से महादेव की प्रतीक प्रतिमा को सूत की कुंकड़ी, सुपारी, और सिक्कों के साथ मंदिर लाए। इसके बाद पंचामृत से अभिषेक किया और महादेव को पुष्प और चूरमा अर्पित किया गया। इस दौरान मंदिर परिसर "ओम नमः शिवाय" मंत्र और शिवजी के जयकारों से गूंजता रहा। पूजा संपन्न होने के बाद व्रतधारियों ने कथा का श्रवण किया और चूरमे का प्रसाद वितरित किया गया। परंपरा के अनुसार, महादेव को गुड़ से बने चूरमे का भोग अर्पित किया गया, जिसमें आटा, गुड़ और घी का मिश्रण होता है। चूरमा चार भागों में बांटा गया: एक भाग महादेव को अर्पित किया गया, दूसरा गाय को खिलाया गया, तीसरा ब्राह्मणों को भेंट किया गया, और चौथा व्रतधारियों ने प्रसाद रूप में ग्रहण किया।
कठोर तपस्या का प्रतीक मंशापूर्ण महादेव व्रत
मंशापूर्ण महादेव व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, जहां व्रतधारी सात्विक आहार और नियमों का पालन करते हैं। इस व्रत में चार महीनों तक हर सोमवार को महादेव की पूजा की जाती है, जिसमें किसी भी प्रकार का पेय या भोजन नहीं लिया जाता।