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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़ / बांसवाड़ा। सांवलिया धाम आश्रम, मुंगाणा (चित्तौड़गढ़) के संस्थापक महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री चेतनदासजी महाराज के आशीर्वाद और महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 महन्त श्री हरीओंमदासजी महाराज (लालीवाव मठ, बांसवाड़ा) के सानिध्य में घाटोल में 6 से 13 नवम्बर तक चलने वाली श्रीमद्भागवत ज्ञान-कथा का भक्तिमय शुभारंभ हुआ। इस कथा में चेतनदासजी महाराज के शिष्य श्री अनुजदासजी महाराज ने व्यासपीठ पर विराजमान होकर प्रथम दिन कथा का वाचन किया। कथा प्रारंभ से पूर्व भागवतजी की शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु जन उमंग और उत्साह के साथ शामिल हुए। माही नदी से लाए गए पवित्र जल से कलश-यात्रा का शुभारंभ हुआ, जो कस्बे में भ्रमण करते हुए कथा-स्थल पर पहुंची। इस अवसर पर पं. श्री कमलेशजी खण्डेलवाल (मुंगाणा) और ओंमप्रकाशजी उपाध्याय (बानसेन) के वेद-मंत्रों से पूजा-अर्चना की गई। कार्यक्रम में जगद्गुरु श्री शंकराचार्यजी महाराज ज्ञानानन्दजी तीर्थ-धाम भानपुरा पीठाधीश्वर (मध्यप्रदेश) ने अपने आशीर्वचन और आरती से भक्तों को अनुग्रहित किया। कथा में मुख्य यजमान का सौभाग्य नारायणदासजी के सुपुत्र नरेन्द्रदासजी वैष्णव और उनके परिवार को प्राप्त हुआ है। पहले दिन की कथा में श्री अनुजदासजी महाराज ने भागवत महात्म्य का वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को कथा के प्रति तन्मयता से समर्पित होने का आह्वान किया। कथा के दौरान भजनों की मधुर प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस दिव्य ज्ञान महोत्सव में चेतनदासजी महाराज, हरी ओंम दास महाराज, उत्तमस्वामीजी महाराज, कमलेश शास्त्री, घनश्यामदास महाराज, रघुवीरदास महाराज, जयमालाजी वैष्णव, और त्रैमासिक पत्रिका 'ज्योतिष-रत्न' के संपादक इन्दरमलजी चौधरी सहित कई विशिष्ट महानुभाव अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए भक्तों को प्रेरित कर रहे हैं।