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सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। फर्जी तथ्य और दस्तावेजों के आधार पर नौकरी लगने और उसके बाद बचाने के लिए जिम्मेदार कार्मिक को उपकृत करते हुए राज्य स्तरीय पुरस्कार दिलाने का मामला अब इस कदर उलझ गया है कि पुलिस विभाग और शिक्षा विभाग आमने-सामने हो गए। हालत यह है कि शिक्षा विभाग द्वारा भेजी गई एफआईआर को पुलिस विभाग दर्ज नहीं कर रहा है। वही इस पूरे मामले में संदिग्ध भूमिका में सामने आए जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र शर्मा इस पूरे मामले को उलझाने के चक्कर मे जानबूझकर प्रकरण को घूमा रहे हैं। जिसका नतीजा यह है,की जिस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक राजेंद्र शर्मा खुद की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है उसी मामले में वह पुलिस पर सवाल खड़े कर रहे जबकि वास्तविकता यह है कि पुलिस क्षेत्राधिकार के चलते रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही है। वहीं दूसरी ओर इस पूरे मामले में विभाग की जांच में दोषी साबित हो चुकी महिला शिक्षिका का निलंबन भी खुद राजेंद्र शर्मा नहीं कर रहे हैं। पूरा मामला शंभूपुरा क्षेत्र के मायरा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षिका सीमा मीना से जुड़ा है। जिसको पहले जांच में दोषी होने के बावजूद स्थाईकरण की प्रक्रिया शुरू करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले प्रारंभिक पंचायत शिक्षा अधिकारी अभिषेक चाष्टा को उपहार स्वरूप राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान पुरस्कार दिलवाया जा चुका है।
शर्मा नियुक्ति अधिकारी जांच अधिकारी फिर भी घूमा रहे मामला!
दरअसल वर्ष 2021 में शिक्षक भर्ती परीक्षा में नियुक्ति प्राप्त करने वाली शिक्षिका सीमा मीणा के प्रकरण में जब उसकी सेवा फर्जी तथ्य प्रस्तुत कर नौकरी प्राप्त करने को लेकर शिकायत की गई तो उसकी प्रथम जांच रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक राजेंद्र शर्मा को सोप गई जिस पर तत्कालीन मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई के दिशा निर्देश मांगने की लिए राजेंद्र शर्मा को कहा लेकिन 7 माह बीत जाने के बाद भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इस पूरे मामले में नियुक्ति अधिकारी के तौर पर राजेंद्र शर्मा कार्यरत है वही समस्त जांच इन्हीं के निर्देश पर हुई है लेकिन फिर भी सीमा मीणा के विरुद्ध कार्रवाई करने से बचने के लिए राजेंद्र शर्मा खुद रिपोर्ट दर्ज करने के स्थान पर अन्य कार्मिकों को निर्देश जारी कर रहे हैं वही उसका निलंबन करने से भी परहेज कर रहे हैं। सूत्रों का यहां तक कहना है कि इस पूरे मामले में बड़े स्तर पर मोटा लेनदेन हुआ है जिसके चलते इस शिकायत को संपर्क पोर्टल पर निस्तारित कर दिया गया और बाद में मीडिया में आने के बाद नई जांच कमेटी बनाई जिसने पुरानी जांच कमेटी की रिपोर्ट को सही माना। अब निदेशालय से दिशा निर्देश मांगने की बात कहते हुए राजेंद्र शर्मा जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक सीमा मीणा को निलंबन से बचाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उसका कर्ज चुकाया जा सके। इस मामले में तत्कालीन पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी अभिषेक को इसी प्रकरण में सहयोग करने के उपहार के रूप में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान पुरस्कार दिलवाने में राजेंद्र शर्मा की पूरी भूमिका रही है।
पुलिस विभाग और शिक्षा विभाग में ठनी
इस पूरे प्रकरण को लेकर शिक्षा विभाग और पुलिस विभाग में भी ठन गई है। पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी सुशीला डाड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को थाना अधिकारी ने लिखित में दर्ज करने से मना कर दिया। इस पूरे मामले में पीईईओ सुशीला को राजेंद्र शर्मा ने लिखित में प्रतिनिधि नियुक्त करते हुए प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए। पुलिस का इस मामले में कहना है कि क्षेत्राधिकार शंभूपुरा थाने का नहीं बनता है इसलिए यहां प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। वही शिक्षा अधिकारी राजेंद्र शर्मा पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए ऑनलाइन मामला दर्ज करने के निर्देश जारी कर रहे हैं जबकि जानकारी के अनुसार इस प्रक्रिया से ऐसे प्रकरणों में मामला दर्ज नहीं होता है अपितु राज्य सरकार ने निर्देश जारी किए गए हैं कि पुलिस अधीक्षक को सीधे पत्र लिखकर जिले के जिम्मेदार अधिकारी मामला दर्ज करवा सकते हैं,लेकिन उपकृत शर्मा ऐसा करने से बच रहे हैं।
’नयनसुख’ बने सीडीईओ
इस पूरे प्रकरण में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी जो जिले के शिक्षा विभाग के मुखिया हैं वह पूरी तरीके से इस प्रकरण से मुंह फेर रहे हैं। शुरुआती दौर में पूरी तरह अनभिज्ञ रहे मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी अब जानबूझकर ना तो कोई दिशा निर्देश और ना ही कोई आदेश इस मामले में जारी कर रहे हैं जबकि राज्य सरकार के स्तर पर जवाब देह मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी है। ऐसे में साफ है कि राजेंद्र शर्मा के ऊंचे रसूख और बड़ी पहुंच से मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी भी घबराकर इस मामले में दूरी बनाए हुए हैं।
निलंबन और कार्रवाई का इंतजार
जिले के शिक्षा महकमें और प्रशासनिक हलके में दो जांच में दोषी पाए जाने के बाद कार्रवाई नहीं होने का प्रकरण चर्चा का विषय बना हुआ है जो जिले की प्रशासनिक प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है। एक और जहां प्रदेश की भजन लाल सरकार फर्जी नियुक्तियो को लेकर ठोस कार्रवाई कर रही है वहीं सरकार की मंशा को पलीता लगाने वाले इस प्रकरण में निलंबन और प्रकरण दर्ज नहीं होना सरकार के मुखिया सहित जिले के मुखिया पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहा है।
जवाब मांगते सवाल
1. बिना कार्यवाही संपर्क पोर्टल की शिकायत का निस्तारण क्यों?
2. दस्तावेज सत्यापन में क्यों छूटा प्रकरण?
3. प्रकरण के जानकार अभिषेक चाष्टा ने क्यों शुरू की स्थायीकरण प्रकिया?
4. क्या इसी लिए चाष्टा को मिला राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान?
5. अब तक क्यों दर्ज नहीं हुई पुलिस में रिपोर्ट?
6. दोषी अध्यापिका पर डीईईओ राजेंद्र की मेहरबानी क्यों?
7. क्या राजेंद्र शर्मा और अभिषेक चाष्टा की भूमिका की होगी उच्च स्तरीय जांच?
8. आखिर क्यों धृतराष्ट्र बने मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी?
क्षेत्राधिकार नहीं होने से प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है और लिखित में भी इस बात का जवाब दिया गया है।
ठाकराराम थाना अधिकारी शंभूपुरा