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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। रेलवे लाइन निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के बाद उचित मुआवजा न मिलने से नाराज किसानों का आंदोलन शनिवार को नोवें दिन भी जारी रहा। अचलपुरा, सेमरड़ा, छोटीसादड़ी, बरेखन और मलावदा गांवों के सैकड़ों किसान धरना स्थल पर डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान रात-दिन धरना स्थल पर ठहरे हुए हैं। किसानों ने रेलवे विभाग पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्माण कार्य रुकवा दिया है, जिससे परियोजना पर सीधा असर पड़ रहा है। अब तक प्रशासन और सरकार की ओर से कोई प्रतिनिधि किसानों से मिलने नहीं आया है। केवल विधायक श्रीचंद कृपलानी ने किसानों से मुलाकात की। किसानों का कहना है कि वर्ष 2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग 113 के निर्माण के दौरान मुआवजा दर ₹1 लाख प्रति आरी निर्धारित की गई थी। इसी आधार पर रेलवे लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण का मुआवजा तय किया जाए। चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण किसानों को उनकी कानूनी अधिकारों से वंचित कर दिया गया। 1 मार्च 2024 से 14 मार्च 2024 तक मुआवजा वितरण नहीं किया गया, जिससे किसान अपील दायर नहीं कर सके। 90 किसानों ने अपनी अपील संभागीय आयुक्त, बांसवाड़ा के पास दायर की थी, लेकिन 17 अप्रैल 2024 से 17 अक्टूबर 2024 तक कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पत्रावली को जयपुर भेज दिया गया, जहां अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका।
किसान चाहते हैं कि उनकी अपील की सुनवाई जिला कलक्टर चित्तौड़गढ़ के स्तर पर की जाए। जयपुर में लंबित पत्रावलियों को वापस भेजा जाए।
किसानों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पीछे नहीं हटेंगे। निर्माण कार्य रुका हुआ है, और परियोजना पर संकट मंडरा रहा है। किसानों ने सरकार से अपील की है कि वे जल्द से जल्द मुआवजा विवाद का समाधान निकालें, ताकि किसानों के अधिकारों की रक्षा हो सके और परियोजना समय पर पूरी हो सके।
किसानों ने प्रशासन और सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि मुआवजा दर में संशोधन की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए। उनकी मांग है कि उन्हें उनके अधिकार मिले और मुआवजा दर को राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के समान किया जाए।