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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। मेवाड़ के 77 वें महाराणा के रूप में विश्वराज सिंह के राजतिलक आयोजन सोमवार को फतहप्रकाश महल में आयोजित किया गया। राजतिलक के दौरान श्री कल्लाजी वेद विद्यालय के आचार्यो एवं 51 बटुकों द्वारा प्रस्तुत चारो वेदों की ऋचाओं का गान प्रशंसनीय रहा। हजारों लोगों की उपस्थिति में राजतिलक के दौरान जब वेद विद्यालय के बटुक सस्वर चतुर्वेद पारायण किया गया, तो लगा जैसे हम वैदिक काल में ही हों। जिससे भक्तिमय और शक्तिमय वातावरण बन गया। आचार्य एवं बटुकों ने चतुर्वेद की ऋचाओं से मंगल कामना की। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन कैलाश मूंदड़ा और कथा वाचक गौनंदन विकास नागदा ने महाराणा से भेंट की। भेंट में नजराना पेश किया गया। साथ ही उपरना और रुद्राक्ष की माला पहनाकर 493 साल बाद चित्तौड़ दुर्ग पर राज्याभिषेक की मंगल कामना के साथ शुभकामना दी। श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान एवं श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय की संपूर्ण जानकारी के साथ आगामी कल्याण महाकुंभ के लिए भी निमंत्रण दिया गया। इस से पूर्व वीरवर कल्लाजी और जयमल जी के स्मारक पर महाभिषेक किया। महाराणा सहित समस्त लोगों ने बटुकों के सस्वर वेद की ऋचाओं की प्रशंसा की। वहीं वीरवर कल्लाजी और जयमल जी के स्मारक पर महाराणा विश्वराज सिंह ने दर्शन किए। आचार्य सीताराम शर्मा, ओम पांडे, अमित तिवारी और किरण दास वेद परायण में बटुकों के साथ मौजूद थे।