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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। बिजयपुर ग्राम पंचायत मुख्यालय को उप तहसील का दर्जा दिए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस संबंध में ग्राम पंचायत सरपंच श्यामलाल शर्मा ने सांसद चंद्रप्रकाश जोशी को पत्र लिखकर बिजयपुर की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उप तहसील बनाने की मांग की है।
सरपंच ने बताया कि बिजयपुर घाट क्षेत्र की सबसे बड़ी पंचायत है, जो जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर और तहसील मुख्यालय बस्सी से 16 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां के काश्तकारों और ग्रामीणों को राजस्व से संबंधित छोटे-मोटे कार्यों के लिए बार-बार जिला या तहसील मुख्यालय पर जाना पड़ता है। क्षेत्र में आवागमन के साधन भी सीमित हैं, जिससे ग्रामीणों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
बिजयपुर में छह पंचायतें हैं, जो पहाड़ी क्षेत्रों में बसी हुई हैं। यहां आदिवासी भील और मीणा समुदाय के साथ गुर्जर, धाकड़, जाट और अन्य जातियों के लोग निवास करते हैं। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व भी है। सरपंच ने बताया कि बिजयपुर स्टेट के समय यह तहसील मुख्यालय हुआ करता था, लेकिन रियासतों के विलय के बाद इसका मुख्यालय चित्तौड़गढ़ कर दिया गया।
स्थानीय समस्याओं का समाधान होगा
सरपंच ने बिजयपुर में पटवार मंडल केलजर, अमरपुरा, दौलतपुरा, शादी, पाल, उदपुरा और अभयपुर को शामिल करने की मांग की है। उनका कहना है कि उप तहसील बनने से क्षेत्र के गरीब काश्तकारों को जिला मुख्यालय तक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखने में भी अधिकारियों को आसानी होगी।
सांसद चंद्रप्रकाश जोशी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि वह आगामी बजट सत्र में बिजयपुर को उप तहसील का दर्जा दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कदम से क्षेत्र के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और शासन की "गरीब को गणेश मानकर सेवा" करने की भावना को साकार किया जा सकेगा। इस अवसर पर ग्रामीण रघु शर्मा और हर्षवर्धन सिंह पंवार समेत कई स्थानीय लोग मौजूद रहे।