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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राजकीय कन्या महाविद्यालय चित्तौडगढ में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में सात दिवसीय विशेष शिविर का उद्घाटन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य डॉ.गौतम कुमार कूकड़ा ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना व रासेयो लक्ष्य गीत गाकर की गई। प्राचार्य महोदय ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में स्वयं सेविकाओं को विषय शिविर का उद्देश्य बताते हुए अपने व्यक्तित्व निर्माण एवं समाज के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित किया । प्राचार्य महोदय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए स्वयं सेविकाओं को इसके महत्व के बारे में समझाया । कार्यक्रम अधिकारी व आईक्यूएसी समन्वयक प्रो. सी एल महावर द्वारा स्वयं सेविकाओं को अपनत्व की भावना के साथ महाविद्यालय में कार्य करने व शिविर में पूरी निष्ठा से अपने कार्यों को करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के ध्येय वाक्य के अनुसार कार्य हेतु प्रेरित किया। रासेयो कार्यक्रम अधिकारी डॉ. जसप्रीत कौर द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दी गई। जिसमें उन्होंने नई शिक्षा नीति के नियम व बुनियादी शिक्षा में किए गए बदलाव जैसे फाउंडेशनल स्टेज जिसमें प्री- स्कूल शिक्षा व कक्षा एक एवं दो शामिल हैं, प्रिपेरेटरी स्टेज पर मातृभाषा में शिक्षा पर जोर,मिडिल स्टेज में व्यावसायिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा में किए गए बदलावों के बारे में जिसे चार भागों में बांटा गया है 5+3+3+4 संरचना का हिस्सा माना गया है, की जानकारी प्रदान की गई। साथ ही मूल्यांकन प्रणाली की भी जानकारी दी गई। इसके साथ ही स्वयं सेविकाओं को उच्च शिक्षा में किए गए बदलावों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी जिसमें बहु प्रवेश व बहु निर्गम, शिक्षण संस्थानों का एकीकरण, भारतीय उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना एवं व्यावसायिक शिक्षा के बारे में बताया गया। नई शिक्षा नीति नोडल ऑफिसर डॉ लोकेश जसोरिया ने स्वयं सेविकाओं को विभिन्न ऑनलाइन वेबसाइट व ऐप के बारे में जानकारी प्रदान की गई ताकि वे अपनी रुचि के अनुसार कोर्स कर अपने एकेडमिक क्रेडिट बैंक में जमा कर सकते हैं। शिविर में सात दिवस में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के बारे में भी छात्राओं को जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन रिंकी गुप्ता एवं धन्यवाद डॉ. अंजू चौहान द्वारा ज्ञापित किया गया। सभी संकाय सदस्य डॉ. ज्योति कुमारी, जयश्री क़ुदाल, शंकर बाई मीणा, श्याम सुंदर पारीक, डॉ. प्रीतेश राणा, शेरबानु, वंदना व्यास, शांतिलाल, प्रभुलाल आकाश व गोपाल लक्षकार ने कार्यों में सहयोग किया।