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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। दीपावली का पर्व नजदीक है तथा अलग-अलग क्षेत्र में उसे क्षेत्र की मिठाइयां प्रचलित है, जो अपनी विशेषताओं के लिए जानी जाती है। चित्तौड़गढ़ में भी दीपावली से पहले दशहरे पर ही चावल के आटे से बनने वाली मरके की मिठाई की खुशबू महकने लगी है। यह मिठाई पूरे वर्ष में केवल एक माह के लिए ही बनाई जाकर बिकती है। वहीं देश के अन्य राज्यों और प्रवासी भारतीयों में भी इसकी खूब मांग रहती है।
चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर शहर की पुरानी बसावट है, जहां पर दरबार (महाराणा) के समय का आज भी मिठाई बाजार है। इसमें अब केवल आधा दर्जन दुकान ही बची है लेकिन अपनी शुद्धता और वैरायटी को लेकर यहां शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र से लोग मिठाई खरीदने आते हैं। वर्तमान में यहां के मिठाई बाजार में चावल के आटे से तैयार होने वाली मरके की मिठाई बनाना शुरू हो गई है। यह मिठाई दशहरे के ठीक दो दिन पहले बनना शुरू होती है, जो दीपावली के 10 दिन बाद तक उपलब्ध रहती है। वहीं 11 महीने यह मिठाई प्रचलन में नहीं रहती है। ऐसे में दीपावली से पहले व बाद में चित्तौड़गढ़ में यह मिठाई काफी प्रचलित होकर लोगों में भी काफी मांग रहती है। दशहरा पर इस मिठाई को इसलिए भी बनाना शुरू कर दिया जाता है कि काफी लोग नवरात्र महोत्सव में अष्टमी पर घर आते हैं जो बाहर व्यवसाय या नौकरी कर रहे होते हैं। दशहरे की छुट्टियां खत्म होने पर वह जाते समय यह मिठाई अपने साथ लेकर जाते हैं।
चावल से बनने वाली पहली मिठाई
मिठाई व्यवसाय से जुड़े योगेश पांडिया ने बताया कि चावल से बनने वाली यह पहली मिठाई है। इसमें चावल का आटा, शुद्ध देसी घी एवं शक्कर ही काम में ली जाती है। रात भर चावल के आटे को पानी में भिगो के रखा जाता है। इसके अगले दिन मिठाई बनाने से पहले घी में इस आटे को मथा जाता है। इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती। पांडे ने बताया कि यह मिठाई मेवाड़ में भी चुनिंदा स्थानों पर ही प्रचलन में है इसमें चित्तौड़गढ़ और कपासन शामिल है।
यूं प्रचलन में आए चावल से बने मरके
मिठाई विक्रेता पांडिया ने बताया कि यह मिठाई राजा महाराजाओं के समय से ही प्रचलन में आई थी कभी राजा महाराजाओं के समय दरबार में पूछा कि चावल से भी कोई मिठाई तैयार कर सकता है क्या। तब ही किसी ने यह मिठाई बना कर दी थी और प्रचलन में आ गई। अब दीपावली पर एक माह तक इस मिठाई की काफी मांग रहती है।
लक्ष्मी पूजन में रखना भी रहता है शुभ
मिठाई व्यवसायी प्रहलाद प्रजापत ने बताया कि दीपावली पूजन के दौरान मरके की मिठाई को पूजन में भी रखा जाता है। इसे लक्ष्मी पूजन में रखना शुभ माना जाता है। काफी वर्षों से मरके पूजन में रखते हैं। दीपावली के दिन इसकी बिक्री सबसे ज्यादा होती है। चित्तौड़गढ़ शहर ही नहीं आस-पास के गांवों से भी लोग इस मिठाई को लेकर जाते हैं।
राज्यों व प्रवासी भारतीय ले जाते मरके
मिठाई व्यवसायी योगेश पांडिया ने बताया कि यह मिठाई एक माह तक खराब नहीं होती है। चित्तौड़गढ़ से कई लोग हैं, जो देश के अन्य राज्यों में व्यवसाय, नौकरी, पढ़ाई आदि के लिए रहते हैं। वहीं इसी प्रकार विदेश में भी रह हैं। दीपावली पर सभी घर आते हैं तो मिठाई साथ लेकर जाते हैं।