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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से मानी गयी है । सनातन धर्म में धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है जो कि इस वर्ष शनिवार 18 अक्टूबर को है । धनतेरस के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी,कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा अर्चना की जाती है वही अगले दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की पूजा उपासना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति ऊर्जावान रहता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार माना जाता है एवं उनके हाथ में अमृत कलश होने की वजह से इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा भी देखने को मिलती है । हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया की धनतेरस पर अत्यंत शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को खास और फलदायी बना रहे हैं। त्रयोदशी पर इंद्र योग, वैधृति योग के साथ ही ब्रह्म योग निर्मित हो रहा है जो शनिवार, 18 अक्टूबर की सुबह से रात 1:48 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि ये योग ऐश्वर्य, सौभाग्य और समृद्धि देने वाले एवं धन प्राप्ति व शुभ कार्यों के लिए अनुकूल है। इस दिन पूर्वा और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र कि उपस्थिति को स्थाई संपत्ति देने वाला माना जाता है, इसलिए इस दौरान खरीदारी करना बहुत ही लाभकारी होता है। इसी प्रकार धनतेरस पर बुध का त्रिकोण और मंगल का केंद्र योग व्यापार, निवेश और धन वृद्धि के लिए बहुत ही अनुकूल है। मान्यता है कि इस विशेष संयोग में माता लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करने से सुख और समृद्धि में वृद्धि भगवान धन्वंतरि भक्तो को आरोग्य प्रदान करते है ।
*धनतेरस शुभ मुहूर्त*
हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया की इस वर्ष त्रयोदशी तिथि शनिवार 18 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे से प्रारंभ होकर रविवार, 19 अक्टूबर, को दोपहर 01:51 बजे समाप्त होगी । इस प्रकार धनतेरस पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय शनिवार 18 अक्टूबर को सायं 7:16 बजे से रात्रि 8:20 बजे तक रहेगा । मान्यताओ के आधार पर धनतेरस की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की ही जाती है, जिसमे माता लक्ष्मी, कुबेर की पूजा अर्चना कर यम के निमित्त की दक्षिण दिशा की ओर दीपदान किया जाता है, जिससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है ।
प्रदोष काल: सायं 05:48 से रात्रि 08:20 बजे तक ।
वृषभ काल: सायं 07:16 से रात्रि 09:11 बजे तक ।
खरीदारी का शुभ मुहूर्त –
मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने से धन में 13 गुणा वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्वर्ण, चांदी, बर्तन, झाड़ू, श्री यंत्र,चावल,धनिया.झाड़ू, गोमती चक्र,पान के पत्ते , नमक ,वाहन, प्रॉपर्टी आदि क्रय करना शुभ माना गया है,वही इसके विपरीत एल्युमिनियम, स्टील, प्लास्टिक, कांच, काले तेल या घी चीनी मिट्टी के बर्तन खरीदने से बचना चाहिये ।
ब्रह्म योग – सूर्योदय से रात्रि 1:48 बजे तक ।
अभिजीत मुहूर्त – प्रातः 11:43 से दोपहर 12:29 बजे तक ।
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजे से लेकर 02 बजकर 46 मिनट तक ।
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 48 मिनट से 06 बजकर 14 मिनट तक ।
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक ।
*सरल पूजा विधि*
धनतेरस के अवसर पर शुभ समय में पूर्व अथवा उत्तर दिशा में धन्वंतरि देव के साथ मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना कर घी का दीपक प्रज्वलित करें और संध्या के समय द्वार पर दीपक जलाएं । धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव को पीली मिठाई का भोग एवं धन के देवता कुबेर और मां लक्ष्मी को कुमकुम, हल्दी, अक्षत, हलवा अथवा खीर का भोग अर्पित कर मंत्रों का जाप एवं आरती करें ।मान्यता है कि इस दिन जो भी खरीदे मां लक्ष्मी को अर्पित करने से परिवार में समृद्धि आती है ।
धन्वंतरि देव मंत्र - 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः
कुबेर मंत्र - ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।