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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर ॐ तत्सत् पारमार्थिक संस्था के तत्वावधान में विशाल सामूहिक दीपदान एवं महाआरती का आयोजन किया जा रहा है। संस्था के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित विकास उपाध्याय ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी भी देवालय, शिवालय, नदी तट, तीर्थ या जलाशय पर दीप जलाने से समस्त पापों का नाश होता है और यह भारतीय सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। पंडित उपाध्याय ने कहा कि कार्तिक माह को देव मास भी कहा जाता है और इसमें स्नान, दान, व्रत तथा दीपदान का विशेष महत्व शास्त्रों में प्रतिपादित है।
उन्होंने बताया कि इसी दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का प्राकट्य भी हुआ था, जिसके कारण जल में दीप प्रवाहित करने की परंपरा सनातन धर्म में विद्यमान है। इस दिन दीपदान करने से व्यक्ति के सभी दुर्गुणों का नाश होता है और श्रीहरी नारायण, इष्ट देवता तथा कुलदेवता की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर दुर्लभ एवं विशेष "पद्मक" योग बन रहा है। शास्त्रों में इस योग में भगवान का पूजन एवं दीपदान को विशेष फलदायी बताया गया है।
सर्वजन हिताय और धर्म लाभ की भावना से प्रेरित होकर इस भव्य दीपदान एवं महाआरती का आयोजन शुक्रवार, 15 नवम्बर को सांयकाल 07:15 बजे गंभीरी नदी तट, पन्नाधाय सेतु, बस स्टेंड के समीप किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समिति की बैठक में कार्यक्रम की रुपरेखा एवं व्यवस्थाओं पर चर्चा की गई, जिसमें संस्था के पंडित मदनमोहन उपाध्याय, पंडित दिनेश तिवाड़ी, नरेशदत्त व्यास, योगेश आरो, पंडित रतन पारलिया, पंडित कौशल दांथल, पंडित अशोक तिवारी, पंडित दीपक शर्मा, पंडित पियूष धनेत, पंडित अरविन्द, पंडित ओमप्रकाश, भरत सोनी, और भरत चाष्टा रेलवे सहित अन्य सदस्यों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
समाज के सभी वर्गों से आह्वान किया गया है कि वे इस आयोजन में सहभागी बनें और भारतीय सनातन धर्म की परंपराओं का अनुसरण करते हुए समाज एवं राष्ट्र के कल्याण में अपना योगदान दें।