1617
views
views
विधानसभा सत्र में स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से उठाया मुद्दा

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने बुधवार को विधानसभा सत्र के दौरान विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रो पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को नियमित करने की मांग सदन में रखी।
विधायक आक्या ने बुधवार को विधानसभा सत्र के दौरान राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियमो के नियम 50 के अंतर्गत स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए कहां कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप स्वास्थ्य केंद्रो पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लम्बे समय से नियमित किये जाने की मांग की जा रही है। इस बाबत उनके द्वारा समय समय पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट भी किया जा रहा है। सरकार को समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की मांगो पर सहानुभुतिपुर्वक विचार करते हुए इनका मिड लेवल हेल्थ प्रोवाइडर (MLHP) केडर का गठन कर सीएचओ को पे मैट्रिक्स लेवल (4800 ग्रेड पे) के साथ नियमित करना चाहिए। सीएचओ को नियमित करने से प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओ में भी बढ़ोतरी होगी।
विधायक आक्या ने सदन में कहां की प्रदेश में सीएचओ को 25 हजार फिक्स मानदेय के अतिरिक्त 15 हजार प्रतिमाह इंसेटिव राशि दी जाती है। प्रायः यह देखने व सुनने में आया है कि सीएचओ को इंसेटिव की अलग राशि देने में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार व सीएचओ का शोषण हो रहा है। सरकार जब तक सीएचओ का केडर निर्माण कर नियमित करने का कार्य करती है तब तक वर्तमान में कार्यरत सीएचओ को मानदेय में इंसेटिव राशि को शामिल कर अन्य राज्यो बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखण्ड की तर्ज पर एक मुश्त 40 हजार दिये जाने पर विचार करना चाहिए। इंसेटिव राशि को फिक्स मानदेय राशि में सम्मिलित करने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा साथ ही सरकार पर किसी प्रकार का कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नही आएगा।
विधायक आक्या ने सदन में कहां की प्रदेश में सीएचओ को 25 हजार फिक्स मानदेय के अतिरिक्त 15 हजार प्रतिमाह इंसेटिव राशि दी जाती है। प्रायः यह देखने व सुनने में आया है कि सीएचओ को इंसेटिव की अलग राशि देने में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार व सीएचओ का शोषण हो रहा है। सरकार जब तक सीएचओ का केडर निर्माण कर नियमित करने का कार्य करती है तब तक वर्तमान में कार्यरत सीएचओ को मानदेय में इंसेटिव राशि को शामिल कर अन्य राज्यो बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखण्ड की तर्ज पर एक मुश्त 40 हजार दिये जाने पर विचार करना चाहिए। इंसेटिव राशि को फिक्स मानदेय राशि में सम्मिलित करने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा साथ ही सरकार पर किसी प्रकार का कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नही आएगा।