चित्तौड़गढ़ - निम्बाहेड़ा में बेहतर हो रहे हालात, चिकित्सकों की हो ठोस व्यवस्था
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सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। उपखंड क्षेत्र में कोरोना संक्रमण सामने आने के बाद से ही आम जन जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया था। अब कोरोना संक्रमण की गति थमी है और रोगियों की संख्या में कमी आने लगी है। लेकिन निम्बाहेड़ा नगरपालिका क्षेत्र में अव्यवस्थाओं के स्वर भी मुखर होने लगे हैं। क्वॉरेंटाइन सेंटर में की जा रही व्यवस्थाओं को लेकर लगातार विरोध हो रहा है। वहीं दूसरी ओर पूरे दम से जान झोंक कर व्यवस्थाएं और उपचार मुहैया कराने में जुटी चिकित्सा व्यवस्था भी उदयपुर से आये चिकित्सकों की टीम लौटने के बाद बे पटरी होने से इंकार नहीं किया जा सकता। कोविड-19 के तहत तात्कालिक व्यवस्थाओं में लगाए चिकित्सक वापस लौट चुके हैं। मुख्यालय के चिकित्सक भी अपनी समय सीमा पूरी होने पर क्वॉरेंटाइन में जाने वाले हैं। ऐसे में चिकित्सा व्यवस्थाएं आने वाले समय में प्रभावित हो सकती है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। संक्रमण के बीच जहां जिला व पुलिस प्रशासन, चिकित्सक और चिकित्सा महकमे से जुड़े कार्मिक अपने कार्य क्षमता से अधिक काम कर संक्रमण को रोकने में जुटे हुए है। वहीं अब आपदा की स्थिति में भी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। पहले से सेवा में जुटी संस्थाओं को लेकर प्रशासनिक दखल के बाद हुए बदलावों के चलते आक्रोश के स्वर सार्वजनिक होने लगे हैं। व्यवस्थाओं में हो रही खामियों के चलते इस बात की संभावना और बढ़ने लगी है कि आने वाले दिनों में अगर स्थितियां बिगड़ती है तो हालात खराब होंगे।हालांकि यह सुखद बात है कि कोरोना संक्रमित लोग नेगेटिव हुए हैं तो संक्रमित रोगियों के सामने आने की गति एक दम से कम हुई है। फिर भी व्यवस्थाओं को और मजबूत करने की आवश्यकता है। इससे वैश्विक आपदा की इस घड़ी में पूरी तत्परता से हालातों से निपटा जा सके और संक्रमण को पूरी तरह खत्म कर जनजीवन को सुचारू किया जा सके।

चिकित्सकों के रिक्त पदों से जूझना पड़ेगा

निंबाहेड़ा उपखंड में संक्रमण सामने आने के बाद से ही तात्कालिक परिस्थितियों में चिकित्सकों की टीमें लगाई गई थी, जो समय पूरा होने के बाद पुनः पूर्व पदस्थापित स्थानों पर लौट गए हैं। वर्तमान में जो चिकित्सक काम कर रहे हैं वह भी अपने पूर्व स्थानों पर जाकर क्वॉरेंटाइन हो जाएंगे। ऐसे में पूरी तरह से कोरोना संक्रमण रोकथाम के युद्ध में निंबाहेड़ा उप जिला चिकित्सालय टीम जुटी हुई है। चिकित्सकों के लौट जाने और नए आने के दौरान लगातार निंबाहेड़ा का चिकित्सा महकमा व्यवस्थाओं को सुचारु करने में जुटा हुआ है। हालात यह है कि यहां पर भी पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है। यहां स्वीकृत 24 में से चिकित्सकों के 7 पद रिक्त हैं और उनमें से भी चार विशेषज्ञ चिकित्सक है। अन्य पदों पर भी रिक्तियां है, जो इन हालातों में काम करने में परेशानियां पैदा कर रही है। जिला मुख्यालय पर भी स्थितियां कुछ खास बेहतर नहीं है। स्वीकृत पदों के मुकाबले वरिष्ठ विशेषज्ञों के 9, कनिष्ठ विशेषज्ञों के 16 और चिकित्सा अधिकारियों के 23 पद रिक्त हैं। ऐसे में रैपिड रिस्पांस टीम नमूना संग्रह और अन्य व्यवस्थाओं में मुख्यालय के चिकित्सक अपनी सेवाएं निंबाहेड़ा में दे रहे हैं। इन हालातों में दुर्भाग्यवश यदि संक्रमण कार्मिकों अथवा चिकित्सकों को अपनी चपेट में ले लेता है तो हालात बदतर होते देर नहीं लगेगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एक चिकित्सक के परिजनों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इन स्थितियों से साफ है कि जिले में उपलब्ध चिकित्सा संसाधनों और चिकित्सकों को वर्तमान में काम में लगा दिया गया है। ऐसे में अन्य स्थान पर यदि कोई संक्रमित सामने आ जाता है तो हालातों को काबू करने में समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। 

जांच ने पकड़ी गति, चिकित्सक भी हो स्थाई 

निम्बाहेड़ा में संक्रमण सामने आने के बाद जांच में हो रही देरी को लेकर जिला कलक्टर चेतन राम देवड़ा ने उच्च अधिकारियों को अवगत करा व्यवस्था परिवर्तन की मांग की थी। इस पर समाधान किया गया और जांच भीलवाड़ा होने लगी। लेकिन चिकित्सकों की तात्कालिक नियुक्ति को स्थाई करने के संदर्भ में कोई ठोस मांग नहीं उठाई गई। ऐसे में आधार भूत सुविधाओं के लिए ठोस मांग नहीं किया जाना आने वाले समय के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए विशेष अधिकारी हेमेंद्र नागर की नियुक्ति की गई लेकिन मूलभूत आवश्यकता चिकित्सा को लेकर तात्कालिक नियुक्ति की गई जो नाकाफी सिद्ध हो रही है।

दोबारा लेने पड़े सैंपल

निंबाहेड़ा के बाद भदेसर उपखंड के बरखेड़ा में संक्रमण सामने आने के बाद संपर्क में आए लोगों की स्क्रीनिंग और सैंपलिंग की गई। लेकिन पहली बार भेजे गए 52 सैंपल निरस्त हो गये और उसके बाद सैंपलिंग के लिए जिला मुख्यालय और उसके बाद निंबाहेड़ा से दलों को भेजा गया। ऐसे में साफ है कि यदि किसी नए स्थान पर दुर्भाग्यवश संक्रमण सामने आ जाता है तो हालात बदतर होंगे इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।


इधर, भोजन को लेकर राजनीति

चिकित्सा व्यवस्थाओं के बीच क्वॉरेंटाइन सेंटर पर भी अव्यवस्थाओं की शिकायतें सामने आई है, भोजन वितरण को लेकर क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गये एक व्यक्ति द्वारा विडियो वायरल किया गया था जिसके बाद पुर्व में भोजन उप्लब्ध कराने वाली संस्था को जिम्मेदारी देने की बात सामने आई लेकिन शोशल मिडिया पर जानकारी आने के साथ ही अधिकारियों ने पुनः इस व्यवस्था को रुकवा दिया और नगर पालिका द्वारा भोजन व्यवस्था सुचारु करायी गयी। जबकि पूर्व में श्री सेवा संस्था का उल्लेखनीय योगदान रहा है। इस मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं संस्थान के अध्यक्ष श्रीचंद कृपलानी ने तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। आपदा के बीच राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते हो रही अव्यवस्थाओं का खामियाजा आमजन और क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

कहां करें शिकायत

क्वॉरेंटाइन सेंटर में अव्यवस्था या असुविधा होने की स्थिति में किसी प्रकार की शिकायत के लिए कोई इंतजाम नहीं है। हालांकि यह बात भी सही है कि उपचार केंद्रों में सभी सुविधाएं मुहैया कराना संभव नहीं है। लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि रोगियों व संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगो को संतुलित आहार मिले। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके और रोगों से लड़ने की क्षमता में बढ़ोतरी हो सके। इसका कारण है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी ही इसका सफलतम उपचार है।

सरकार ने तय किया बजट फिर भी व्यवस्थाओं पर बवाल
सोशल मीडिया पर भोजन व्यवस्थाओं को लेकर वीडियो वायरल होने के बाद इंतजामों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। जानकारी में सामने आया है कि इस संबंध में 22 मार्च को एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें क्वॉरेंटाइन सेंटर पर भोजन नाश्ते एवं पेयजल व्यवस्थाओं के लिए 600 रूपये प्रति व्यक्ति का बजट स्वीकृत किया गया। इसमें आवश्यकतानुसार कमी की जा सकती है, ऐसे में जब आपदा की स्थिति में सरकार खुले हाथों से खर्च कर रही है तो जिम्मेदार लोगों द्वारा पर्याप्त इंतजाम करने से परहेज किया जा रहा है। इससे लोग आक्रोशित हो रहे हैं। वहीं सामाजिक संस्थाएं भी आगे आने को तैयार है। इसके बावजूद व्यवस्थाओं को सही ढंग से निष्पादित नहीं किया जाना समझ से परे है। सरकार के बजट के अतिरिक्त स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से उच्च श्रेणी का संतुलित आहार रोगियों व संदिग्धों को उपलब्ध कराया जाना उनके स्वास्थ्य के हित में होगा, लेकिन इसके बावजूद सोशल मीडिया पर आ रहे वीडियो इस बात को इंगित कर रहे हैं कि व्यवस्थाओं में कमी है। लोगों के पास शिकायत करने का भी माध्यम नहीं है। ऐसे में यह आवश्यकता है कि सीधे तौर पर सरकार इसमें हस्तक्षेप करें ताकि व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाया जा सके।


श्री सेवा संस्थान समाज हित में अग्रणी रहा है। लॉक डाउन के दौरान 7 हजार मास्क, 3 हजार राशन किट और प्रतिदिन 1500 से 1800 भोजन पैकेट वितरित किए। क्वॉरेंटाइन सेंटर पर 1 लाख की आवश्यक सामग्री और वर्तमान परिस्थितियों में प्रशासन को सहयोग देने का अनुरोध किया, लेकिन पास जारी नहीं किये गए।
वहीं संस्थान राजस्थान-मध्यप्रदेश सीमा पर भोजन मुहैया करवा रहा है। मीडिया के माध्यम से सूचनाएं सार्वजनिक की जाती है, जिससे व्यवस्थाओं में सुधार हो सके। प्रशासन सहयोग मांगेगा व्यवस्थाओं में सहयोग किया जाएगा।

श्रीचंद कृपलानी पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं अध्यक्ष श्री सेवा संस्थान

क्वॉरेंटाइन सेंटर में मीनू बदल - बदल कर आहार उपलब्ध करवाया जा रहा है और इसमें पूर्व में कार्यरत संविदाधारी की और से व्यवस्था की जा रही है। वायरल वीडियो की कोई जानकारी नहीं है।
मुकेश कुमार अधिशासी अधिकारी नगर पालिका निंबाहेड़ा


चिकित्सकों के पद रिक्त हैं, व्यवस्थाएं सुचारू करने में लगातार कार्मिक कार्यरत है, जिन पदों पर तत्कालीन नियुक्ति की गई थी वह अपना कार्य पूरा कर पुनः लौट गए हैं।

डॉ. मंसूर खान प्रमुख चिकित्सा अधिकारी उप जिला चिकित्सालय निंबाहेड़ा


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