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सीधा सवाल।मुम्बई। भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाने के बाद जी. आर. चिंताला ने बुधवार, 27 मई 2020 को कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल लिया। नाबार्ड के अध्यक्ष का पद संभालने से पूर्व श्री चिंताला नाबार्ड की सहायक संस्था ‘नैबफिन्स’ के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत थे।श्री चिंताला ने प्रख्यात भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। नाबार्ड में अधिकारी के रूप में नियुक्त होने के बादउन्होंने नाबार्ड के प्रधान कार्यालय मुंबई और उसके हैदराबाद, लखनऊ, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, नई दिल्ली और बेंगलुरु स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों में विभिन्न पदों पर काम करते हुए विविध दायित्व निभाए। श्री चिंतालाएग्री बिज़नेस फ़ाइनेंस लि. हैदराबाद के उपाध्यक्ष और बैंकर ग्रामीण विकास संस्थान (बर्ड), लखनऊ के निदेशक भी रहे।श्री चिंतालाने अनेक महत्वपूर्ण परामर्श दायित्व निभाए जिनमें 2006 में “क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के समामेलन की रूपरेखा” शामिल है जिसके परिणामस्वरूप 196 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का समेकन का कार्य संभव हुआ। उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सौपा गया “अनुसूचित जातियों/ जनजातियों की आकांक्षाओं की पूर्ति में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना(एसजीएसवाई) की प्रभावोत्पादकता” का कार्य किया जिसकी अनुशंसाओं के कारण पूरे देश में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) शुरू किया गया और एसजीएसवाई को धीरे-धीरे हटा दिया गया। श्री चिंताला ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उत्पादक संगठन मॉडल को सफलतापूर्वक शुरू किया।श्री चिंताला ने शोधपत्रों की प्रस्तुति और अन्य कार्यों के लिए यूएसए,चीन,यूरोपीय देशों, बोलिविया,ब्राज़ील,केन्या,सेनेगल,इन्डोनेशिया सहित 20 से अधिक देशों की यात्रा की है।श्री चिंताला के समृद्ध और विभिन्न क्षेत्रोंमें जमीनी स्तर के अनुभव सेविशेष रूप से कोविड-19 की वैश्विक महामारी से उत्पन्न चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उनके नेतृत्व मेंकृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नाबार्ड द्वारा अधिक व्यापक तथा गहन भूमिका निभाए जाने की उम्मीद है।