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छोटीसादड़ी। कोरोना को जंग में हराकर बम्बोरी का नरेश घर लौटा और अब लोगों को कोरोना से सावधान रहने के लिए जागरूक कर रहा है। जानकारी के अनुसार छोटीसादड़ी उपखंड क्षेत्र के बम्बोरी गांव के रहने वाले नरेश सोनावा जो की चित्तौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा की एक फैक्ट्री में काम करता था। अपने काम के दौरान नरेश का पांव फ्रेक्चर हो गया था जिसका उपचार निम्बाहेड़ा के राजकीय अस्पताल में चल रहा था। 23 मई को फ्रेक्चर ठीक होने के बाद अपने घर को जिले के बम्बोरी गांव में लौट आया था। लेकिन दवाइयों की कमी के चलते एक बार फिर दवाइयां लेने नरेश निम्बाहेड़ा गया था। यहां से दवाई लेने के बाद जब नरेश वापस अपने गांव लिए लौट रहा था तो उसकी मुलाकत अपने ने एक अजीज दोस्त से हुई जो की निम्बाहेड़ा का ही रहने वाला था। जिस दोस्त से मुलाक़ात की वह कोरोना संक्रमित निकल गया। नरेश ने बताया की कुछ दिन बाद ही उसे पता चला की जिस दोस्त से वह मिलकर आया था वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। ऐसे में वह भी अस्पताल पंहुचा और अपनी जांच करवाई जिसमें नरेश की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई लेकिन हिम्मत और सावधानी के चलते नरेश ने कोरोना को हरा कर लोगों को सावधानी बरतने की हिदायत दी है।
नरेश की समझदारी और सूझ बुझ से घर के लोग नहीं हुए संक्रमित
निम्बाहेड़ा में कोरोना पॉजिटिव का पता चलने पर जिस दिन नरेश निम्बाहेड़ा से दवाई लेकर वापस अपने गांव लौटा तो नरेश ने समझदारी और सावधानी के साथ घर के अन्य सदस्यों से दुरी बना ली। नरेश ने बताया कि जब वह अपने गांव बंबोरी पंहुचा तो उसने अपने परिवार के लोगों को बोला की वह निम्बाहेड़ा जा कर आया है और वहां कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आए है इस लिए वह कुछ दिन घर के सदस्यों से दुरी बना कर अलग रहेगा। 30 मई को निम्बाहेड़ा में जिन मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई उसमे नरेश के उस दोस्त का भी नाम था जिस से वह निम्बाहेड़ा में मिल कर आया था। नरेश ने तुरंत अपने परिवार के सदस्यों से बात कर अस्पताल में फोन लगा कर इसकी जानकारी दी। इस पर नरेश की स्क्रीनिंग की गई और कोरोना के लक्षण होने पर उसे जिला अस्पताल के लिए रवाना किया गया।
घर और गांव के लोगों ने भी बढ़ाया हौसला
नरेश ने बताया की यह बिमारी उसके गांव और घर में भी फेल सकती थी लेकिन नरेश के खुद को होम आइसीउलेट करने के फैसले से यह बीमारी अपने पैर नहीं पसार पाई। घर से उसके माता पिता और गांव के लोगों ने उसका हौसला बढ़ाते हुए उसे जल्द ठीक होकर आने की बात बोले कर अस्पताल के लिए रवाना किया। अस्पताल पंहुचने के बाद थोड़ा डर जरूर लगा लेकिन अस्पताल स्टाफ और डाक्टरों के दिए गए हौसले से मुझे में हिम्मत आई और आज में पूरी तरह से स्वस्थ हूं।
कोरोना को हराने के लिए केवल हिम्मत और हौसले की जरूरत
कोरोना के बारे में तमाम सर्वे में साफ़ है कि कमजोर इम्युनिटी वाले, कैंसर, हार्ट, किडनी, और डायबिटीज के पेशेंट बहुत जल्दी इसकी जद में आते है। हांलाकि अगर आप ठान लेते हैं कि मुझे ठीक होना ही है फिर आप ठीक होकर ही रहते हैं। जिले का नरेश भी एक ऐसा ही कोरोना सर्वाइवर है। इस बीमारी से बचना है तो आपको हर कदम पर सिर्फ और सिर्फ अलर्ट रहना होगा।