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शिवगंज।राजस्थान के शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी से संयुक्त निदेशक तक के पदों की पदोन्नतियों का कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं ।पदोन्नति में विसंगतियों से छात्र , शिक्षक अहित तो हो ही रहा हैं ।राजकोषीय नुकसान भी बहुत हो रहा हैं । सरकार वेतन व्याख्याता का देकर काम अध्यापक का ले रही हैं।बीस पच्चीस वर्ष की सेवाएँ दे चुके हिन्दी , सामाजिक , वाणिज्य विषय अध्यापक आज भी अध्यापक ही हैं । सरकार ने 2008 से विषयवार पदोन्नति शुरु की ।लेकिन विसंगतियों को दूर नहीं किया ।अब विषयवार पदोन्नति से राज्य में हिन्दी , सामाजिक व वाणिज्य विषय के शिक्षकों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा हैं ।विसंगतियों का फायदा कुछ शिक्षक उठाने से छात्रों का भी नुकसान हो रहा हैं ।कला संकाय में स्नातक इग्नू व कोटा खुला विश्व विद्यालय से गणित ,विज्ञान , अंग्रेज़ी में एडिशनल विषय पास कर तृतीय श्रेणी के अध्याय वरिष्ठ अध्यापक बन जाते हैं ।समय लगता हैं मात्र आठ से दस वर्ष । वापस भूगोल , हिन्दी में एम.ए करके व्याख्याता बन जाते हैं ।समय लगता हैं पांच से सात वर्ष । उदाहरण से समझे - रामलाल ने बी.ए , बी.एड करके तृतीय श्रेणी अध्यापक की राजकीय नौकरी 2008 में शुरु की । विसंगतियों का फायदा उठाने के लिये गणित , विज्ञान , अंग्रेजी में एडीशन कोटा खुला विश्वविद्यालय या इग्नू से पास कर ली । रामलाल कला संकाय पढने और पढाने वाला गणित एडिशन करने से सात आठ वर्ष बाद मे वरिष्ठ अध्यापक गणित बन गया ।अब वह गणित कैसे पढायेगा , सरकार यह नहीं सोचती । शिक्षा विभाग विसंगति के कारण कला संकाय के अध्यापक को वरिष्ठ अध्यापक गणित पर पदोन्नति दे देती हैं ।विसंगति आगे भी जारी हैं ।छह ,सात वर्ष बाद एम.ए करके वापस कला संकाय में व्याख्याता बन जाता हैं।जो वरिष्ठ अध्यापक गणित या विज्ञान का था ।व्याख्याता बनने के लिये हिन्दी ,इतिहास , राजनीति , भूगोल में एम.ए कर लेता हैं ।या पहले से ही इन विषयों में एम.ए होता हैं ।अब गणित विषय का वरिष्ठ अध्यापक हिन्दी , इतिहास , भूगोल , राजनीति विज्ञान का व्याख्याता बन जाता हैं ।उनको वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता बनने मे समय लगेगा 5 से 7 वर्ष ।अब पुरा समझ ले - रामलाल कला संकाय पढ़ने वाला तृतीय श्रेणी अध्यापक लगा 2008 में आठ वर्ष बाद 2016 में एडिशनल गणित में करके वरिष्ठ अध्यापक गणित बन गया ।गणित में एडिशनल बी.ए. पत्राचार से कोटा खुला विश्वविद्यालय व इग्नू कराता हैं । रामलाल 2020 में व्याख्याता बन गया क्योंकि पहले से एम.ए तो था या नहीं था तो पत्राचार से कर दिया ।मतलब 2008 में लगा कला संकाय का व्यक्ति विसंगतियों का फायदा उठाकर 14 या 15 वर्ष की नौकरी में व्याख्याता बन गया । दूसरी तरफ विसंगतियों का फायदा नहीं उठाने वाला सामाजिक विज्ञान , हिन्दी , वाणिज्य का तृतीय श्रेणी अध्यापक 21 से 27 वर्ष की सेवा के बाद भी अध्यापक ही हैं ।जिनकी नियुक्त 1994 -99 के समय हुई ।वह हिन्दी , सामाजिक व वाणिज्य के अध्यापक आज भी अध्यापक ही हैं । उनको 9,18,27 का फायदा मिलने से वेतन व्याख्याता से ज्यादा मिलता हैं ।लेकिन काम अध्यापक का ही लिया जा रहा हैं । जिससे सरकार को भारी नुकसान हैं तो अध्यापक को पदोन्नति नहीं होने की पीड़ा ।ऐसी विसंगतियों का निराकरण नहीं करना सरकार की विफलता को दर्शाता हैं । राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश सहमंत्री व वरिष्ठ शिक्षक नेता राव गोपालसिंह पोसालिया ने मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री गोविंदसिंह डोटासरा को पत्र , मेल व ज्ञापन भेजकर विसंगति को दूर करने की मांग की हैं । सरकार की विफलता से राजकोषीय घाटा , छात्र व शिक्षक हित हो रहा हैं जिसका निस्तारण शीघ्र करने की आवश्यकता हैं ।