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छोटीसादड़ी। इस बार झमाझम बारिश की बाट जो रहे क्षेत्र के किसानों और जलस्त्रोतो के लिए सावन तो रीता बिता ही ओर अब भादो भी मनभावन नहीं रहा। क्षेत्र को तरबतर करने की आस अभी तक अधूरी ही है। जिले के बांध रीते होने से अगले वर्ष गर्मियों में पानी की पूर्ति कर पाने में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को पसीना आना तय लग रहा है। कोरोना महामारी से लगे लॉकडाउन ने तो त्रस्त कर आर्थिक क्षति से मायूस लोगो को अब मानसून की बेरुखी ने व रीते पड़े जलाशयों ने चिंतित कर दिया है। क्षेत्र के लोग अब भी जलाशयों में पानी की आवक का इंतजार है। पूरे उपखण्ड में एक साथ तेज बारिश नहीं हो पा रही है। निरन्तर तेज बारिश के अभाव में एक भी बांध अब तक आधा भी नहीं भर पाया है। बागदरी,बसेड़ा,छोटीसादड़ी तालाब ओर तो ओर नगर के पेयजलापूर्ति का प्रमुख आधार बाड़ी बांध में पानी की अब तक बहुत कम आवक हुई है। जहां एक ओर प्रतापगढ जिले के अन्य तहसीलों में पानी की प्रचुरता है। वही, छोटीसादड़ी में बारिश का दौर कमजोर रहा। जिसके चलते किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। किसानों को खरीफ बचाने के साथ मानसून कमजोर रहने पर आगामी रबी फसल बिगडऩे की चिंता भी सता रही है। खरीफ में भी मानसून विलंब होने के कारण कर्ई किसानों ने दुबारा बुवाई की है। रबी फसल का प्रमुख आधार सिंचाई है जिसके लिए जलस्रोतों में पानी की अच्छी आवक होना जरूरी है। गत वर्ष मानसून की मेहरबानी से उपखण्ड में अधिकतर प्रमुख जलस्त्रोत अगस्त से पूर्व ही छलक पड़े और एनीकटों व बांधो पर चादर चली।
अब तक सुस्त मानसून
अगस्त बीत चुका है, लेकिन झमाझम बरसात ने तरबतर नहीं किया है। जलसंसाधन विभाग के अनुसार छोटीसादड़ी क्षेत्र में 1 जून से 5 सितंबर तक 571 मिलीमीटर बरसात हुई है। जबकि गत वर्ष 5 सितंबर तक 941 मिलीमीटर बरसात दर्ज हुई थी। अक्टूबर तक 1405 मिलीमीटर बरसात दर्ज हुई थी।