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छोटीसादड़ी। शिक्षक चाह जाएं तो स्कूल का माहौल बदल सकता है। कुछ शिक्षकों ने अपने संस्थानों में ऐसा करने का प्रयास भी शुरु किया है। छोटीसादड़ी के बिलिया में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जिसकी तस्वीर स्कूल के अध्यापकों ने बदल कर रख दी है। स्कूल और शिक्षा व्यवस्थाओं को बदलने और सुधारने के जूनून के साथ स्कूल के दो अध्यापकों ने सरकारी स्कूल का कायाकल्प भी कर के रख दिया। स्कूल के दो अध्यापक जयसिंह साहू और साजिद खान ने अपने निजी और ग्राम पंचायत, भामाशाह और खुद के निजी खर्च से गणेशपुरा पंचायत के बिलिया के सरकारी स्कूल की तस्वीर ही बदल कर रख डाली है। स्कूल के शानदार भवन में साफ़ सुधरी और खुबसुरत स्कूल की ड्रेस पहन कर अंग्रेजी पढ़ते बच्चों को देखकर आपको भी यकीन नहीं होगा की यह एक सरकारी स्कूल है। स्कूल की ऐसी तस्वीर बनाने का श्रेय स्कूल के प्रधानाध्यापक जयसिंह साहू को जिन्होंने दिन रात मेहनत के साथ ही अपनी जेब से हजारों रुपये खर्च कर एक सरकारी स्कूल की तस्वीर को बदल कर रख दिया है। इस स्कूल में वह सब कुछ होता है जो एक कॉन्वेंट स्कूल में होता है। बच्चों को पढाई के साथ गेम्स और पिकनिक पर भी लेकर जाया जाता है।
स्कूल में बच्चों की शिक्षा के साथ स्कूल के भवन को भी सुधारा
प्रधानाध्यापक जयसिंह साहू बताते हैं कि स्कूल की दशा सुधारने की ठान ली। सबसे पहले स्कूल में पठन पाठन का माहौल बनाया। हालात सुधरे तो बच्चों को घरों से बुलाकर लाने की जरूरत खत्म हो गई। अभिभावकों ने जब बदलाव महसूम किया तो बच्चों को समय से स्कूल भेजना शुरु कर दिया। इसके साथ ही जयसिंह और साजिद खान ने अपने वेतन से थोड़ा थोड़ा पैसा बचाकर स्कूल में लगाना शुरु किया। स्कूल के भवन की हालत सुधारकर पेड़ पौधे लगाने के बाद स्कूल में छात्र और छात्राओं के लिए पीने के पानी और अलग-अलग साफ सुथरे शौचालय तैयार किए गए। स्कूल में पंखे और लाइट के साथ ही बिजली की व्यवस्था कराई गई। इसके बाद जयसिंह ने स्कूल में कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को अपने लेपटॉप से शिक्षा देनी शुरु कर दी।
महापुरुषों के संदेश और उनके फोटो से स्कूल का बदला वातावरण
शिक्षक साजिद खान बताते हैं कि स्कूल भवन के रंग-रोगन से सूरत बदलने के साथ ही दीवारों पर आकर्षक ढंग से बालिका शिक्षा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी संदेश अंकित किए गए। जबकि, पूरे आंगन में सीसी निर्माण कर चार दिवारी बनाने का काम भी शुरू होने वाला है। स्कूल में हर तरफ हरियाली फैली हुई है। महापुरुषों के संदेश और उनके फोटो से भी स्कूल के वातावरण में बदलाव हुआ हैं। विद्यालय भवन के रंग-रोगन से सूरत बदलने के साथ ही दीवारों पर आकर्षक ढंग से खुद शिक्षकों ने सुंदर चित्र बनाए।
प्रधानाध्यापक की पत्नी भी दे रही सेवा, स्कूल के बच्चे शिक्षा के साथ खेल में भी अव्वल
प्रधानाध्यापक जयसिंह साहू की पत्नी नवीना साहू भी पति के साथ स्कूल में सहयोग करने में जुटी हुई है। नवीना साहू पिछले करीब तीन सालों से इस स्कूल में बच्चों को निशुल्क सेवाएं दे रही है। स्कूल में करीब 53 बच्चों के मनोरंजन के लिए भी झूला भी लगाया है। वही, खेलकूद प्रतियोगिता में भी बढ़ चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। स्कूल जिला स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान भी हासिल कर चुका है। प्रधानाध्यापक और उनकी पत्नी नवीना साहू बच्चों को वर्ष में एक बार भ्रमण के लिए धार्मिक स्थलों पर भी अपने निजी खर्च से ले जाते हैं। और वहां की जानकारी के बारे में बच्चों को बताते हैं।
कोवेन्ट्स स्कूल से भी बेहतर सुविधाएं
इस स्कूल को निजी स्कूलों की तर्ज पर और विकसित करने का प्रयास जारी है। अगले सत्र से एडमिशन में बच्चों की संख्या में वृद्घि हो इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। स्कूल बच्चों के लिए शिक्षकों ने निजी खर्च से आईडी कार्ड भी बनाए गए। रोजाना स्कूल में बच्चे आईडी कार्ड लेकर पहुंचते। और पढ़ाई करने के साथ खेलकूद गतिविधियों में भी भाग लेते हैं।
ऐसे शुरू हुआ कार्य, और बदल गई स्कूल सूरत
जानकारी अनुसार पूर्व पूर्व संस्था प्रधान पारसमल खटीक द्वारा जयसिंह साहू की प्रेरणा से किचन रिपेयर में करीब 16 हजार रुपये से शुरुआत की गई। उसके बाद छत रिपेयर के लिए 38 हजार रुपये सरकार से सहायता मिली। वहीं, इसमें भामाशाह ने सहयोग कर 15 हजार रुपए दिए। छत रिपेयर में राशि कम पड़ने पर दोनों शिक्षकों ने अपने वेतन से राशि मिलाकर छत का निर्माण कार्य पूरा करवाया। वही, ग्राम पंचायत द्वार बिजली, पंखे, पानी की टंकी आदि की व्यवस्था करवाई गई।