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..…..........राजेन्द्र चतुर्वेदी
कोरोना का बढ़ता भार,
देखो इसके भीन्न भीन्न प्रकार।
गांवों के अब हाल बुरे है वहां पे बढ़ता इसका भार।
अंधविश्वास की भी है भरमार,
कोई कहता टाइफाइड और कोई कहता साधारण बुखार।
कोरोना का बढ़ता जाता प्रहार
दुःखी बहुत है राज्य सरकार
केंद्र को कोसती बारम्बार।
असमंजस में केंद्र की सरकार
देता रेमिडिसिवर, ऑक्सीजन, वेक्सीन बार बार।
अब क्या करें केंद्र सरकार
जनसंख्या का बोझ है अपार।
कोरोना का बढ़ता भार
देखो इसके अनेक प्रकार।
मौत के तांडव की आती चीत्कार,
श्मशानों में लाशें आती अपार ।
चहुं और हे चीत्कार हाहाकार ।
कोरोना का बढ़ता भार
कोरोना का बढता भार
समय के रहते नही संभले तो
कैसे बचेगा ये संसार..कैसे बचेगा ये संसार।