views
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। अपने ही सगे पिता की हत्या कर रात्रि में शव को बाइक पर बांध कर खेत के पास जंगल में गाढ़ देने के सनसनीखेज मामले में गुरुवार को अपर सेशन न्यायाधीश ने अभियुक्त को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अपर लोक अभियोजक अब्दुल सत्तार खान के अनुसार प्रार्थी कन्हैयालाल पुत्र लाभचंद धाकड़ निवासी रावत का तालाब थाना विजयपुर व रेगर समाज के माैतबीर जगदीश, ओंकार लाल, हीरालाल, फूलचंद, तुलसीराम, बंसीलाल रेगर ने एक संयुक्त लिखित रिपोर्ट 20 जनवरी 2019 को रावत का तालाब में विजयपुर थाना अधिकारी रतनसिंह के समक्ष पेश की थी। इसमें बताया कि एक दिन पूर्व रेगर समाज की पंचायत गांव में रखी गई थी, जिसमें अभियुक्त सुरेश रेगर भी मौजूद था। इसे मौतबीर पंचो ने पूछा कि "तेरे पिता रामेश्वरलाल (55) पुत्र नानालाल रेगर डेढ़ वर्ष से गांव लापता है। अपने पिताजी का पता लगा वरना समाज से तुझे अलग कर दिया जाएगा। समाज से अलग कर दिए जाने के भय से अभियुक्त सुरेश रेगर ने पांचों के सामने कहा की उसके पिता से परिवार वाले परेशान थे। इसलिए आज से करीब 15 माह पूर्व रात के समय उसने पिताजी के गले में फांसी का फंदा लगा कर हत्या कर दी। शव को बाइक पर बांध जंगल में ले जाकर पत्थरों की बनी कोट में दबा कर वापस घर आ गया। घटना के संबंध में आज तक उसने किसी को नहीं बताया। अभियुक्त सुरेश रेगर द्वारा अपने पिता रमेश उर्फ रामेश्वर लाल रेगर की हत्या का उद्घाटन किए जाने पर उसकी उपस्थिति व निशादेही से घटनास्थल पर उपखंड अधिकारी आदि के समक्ष जंगल में तलाशी कर एक कंकाल निकला और एक कपड़े की साफी भी निकली। अभियुक्त सुरेश रेगर के विरुद्ध थाना विजयपुर में प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान किया। अभियक्त को गिरफ्तार कर के निशादेही से बरामद किए मानव कंकाल का मेडिकल एवं डीएनए टेस्ट करवाया गया कराया गया। डीएनए टेस्ट से प्राप्त रिपोर्ट सकारात्मक रिपोर्ट आई और बरामदसुदा कंकाल सुरेश रेगर के ही जैविक पिता होना पाया गया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक-2 चित्तौड़गढ़ विनोद कुमार बैरवा ने अभियुक्त को दोषी पाया। अपर लोक अभियोजक ने 22 अभियोजन गवाहों की साक्ष्य तथा 50 दस्तावेजी साक्ष्य व 4 आर्टिकल प्रदर्शित किए थे। अभियुक्त सुरेश को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत को आजीवन कारावास के साथ 10 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया। धारा 201 में अभियुक्त को 2 वर्ष का कठोर कारावास तथा 5 हजार रुपए के जुर्माना से दंडित किया।