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सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। कहा जाता है कि रक्तदान महादान होता है, किसी का दिया गया रक्त एक जीवन को बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रक्तदान की इसी मुहिम को लेकर कई स्वयंसेवी संस्थाएं लगातार काम कर रही है वहीं दूसरी ओर निजी ब्लड बैंक के माध्यम से भी रक्त उपलब्ध कराने का व्यवसाय चल रहा है जिसे अंदरखाने सरकारी व्यवस्था के जरिए ही सहयोग मिल रहा है। जिससे मरीज को रक्त की आवश्यकता होने पर परिजनों को राशि खर्च कर खून खरीदना पड़ रहा है। इसी के साथ कई रक्तदाता भी जानकारी के अभाव में निजी ब्लड बैंक में जाकर रक्तदान कर रहे हैं और उनका दान किया गया रक्त रुपए लेकर बेचा जा रहा है। सूत्रों के हवाले से चित्तौड़गढ़ में जिला मुख्यालय पर संचालित चित्तौड़ ब्लड सेंटर के संबंध में इस प्रकार की जानकारी सामने आई है जो चौकाने वाली है, इसे फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी व्यवस्था से जुड़े लोग काम कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगने दी जा रही है। अंदरखाने चोरी छिपे तरीके से यह खेल खेला जा रहा है जिससे कि मरीज निजी ब्लड बैंक तक पहुंचे और पैसा देकर खून खरीदने के लिए मजबूर हो जाए, वहीं सोशल मीडिया के जारीए मिलने वाली रक्तदान आवश्यकता की सूचनाओं पर पहुंचने वाले रक्तदाता भी जानकारी के अभाव में निजी ब्लड बैंक पहुंच रहे हैं जिससे उनका दान किया गया खून भी पैसा लेकर लोगों को बेचा जा रहा है।
दान की परंपरा हो रही दूषित!
प्रदेश में कहीं जगह निजी ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा है जहां रक्त की आवश्यकता होने पर लोग पहुंचकर रक्त लेते हैं और बदले में उनसे कुछ निर्धारित राशि ली जाती है। इसी तर्ज पर चित्तौड़गढ़ में भी एक संचालक द्वारा चित्तौड़ ब्लड सेंटर के नाम से निजी ब्लड बैंक की शुरुआत की गई लेकिन अपनी कमाई के फेर में इस संचालक ने रक्तदान से जुड़ी पवित्र परंपरा को दूषित करने का काम शुरू कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि जिला अस्पताल में ब्लड बैंक की व्यवस्थाओं से जुड़े कुछ उच्च पदों पर बैठे लोग अंदर खाने इस संचालक को फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं, पहले तो मरीज अथवा उसके परिजनों को रक्त नहीं होने की बात कही जाती है और बाद में उसे निजी ब्लड बैंक में भेजा जाता है जहां से वह पैसा देकर खून खरीदता है। ऐसी स्थिति में जिन मरीजों को अस्पताल में निशुल्क रक्त उपलब्ध करवाना होता है उन्हें भी पैसा देकर खून खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में एक और जहां मरीज परेशान हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर संचालक को फायदा हो रहा है। इसी के साथ कहीं बार विशेष रक्त समूह जो आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं उनके लिए सोशल मीडिया पर परिजन लोगों के माध्यम से संदेश भी भेजते हैं और संदेश पढ़कर रक्तदाता निजी ब्लड बैंक में रक्तदान के लिए पहुंच जाते हैं जिससे उनका दान किया गया खून भी रुपए लेकर मरीज को उपलब्ध कराया जाता है।
पहले भी सामने आया मामला लेकिन नहीं हुई कार्रवाई
अंदर खाने चल रहे इस खेल को लेकर पहले भी मामला सामने आया है जहां एक रक्तदान शिविर कार्यक्रम के लिए सरकारी श्री सांवलिया जी राजकीय चिकित्सालय से टीम मांगी गई थी और प्रभारी को इसके लिए सूचना दी गई थी लेकिन रक्तदान से पहले निजी ब्लड बैंक की टीम खून संग्रहित करने के लिए पहुंच गई, जब आयोजकों को इस बात की जानकारी मिली तो हंगामा खड़ा हो गया और बाद में विरोध के चलते सरकारी चिकित्सालय की टीम ने रक्त संग्रहित कर शिविर संपन्न कराया। लेकिन इससे साफ हो जाता है कि निजी ब्लड बैंक संचालक की ब्लड बैंक की व्यवस्थाओं से जुड़े उच्च पदों पर आसीन लोगों से सीधा संपर्क है और इसका फायदा उसे मिल रहा है।
कई महीनो से चल रहा खेल, बिक रहा दान किया खून!
चित्तौड़गढ़ में जिला मुख्यालय पर मिली भगत कर खून बेचने का यह खेल पिछले कुछ माह से धड़ल्ले से चल रहा है! कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं से जानकारी करने पर सामने आया कि उनके द्वारा आयोजित किए गए रक्तदान शिविर में जिला अस्पताल की टीम के साथ निजी चित्तौड़ ब्लड सेंटर की टीम भी रक्त संग्रहित करने के लिए पहुंची, विरोध करने पर उन्हें बताया गया कि अस्पताल के साथ मिलकर यह ब्लड बैंक काम कर रहा है। विगत 6 माह में हुए कई रक्तदान शिविरों में लोगों का दान किया गया खून बिकने के बाद मरीज तक पहुंचा है। ऐसे में यह जांच का विषय है कि अस्पताल प्रबंधन के ब्लड बैंक से जुड़े किन लोगों की मदद से खेल चलाया जा रहा है साथ ही ऐसी कौन सी संस्थाएं हैं जो रक्तदाताओं को निजी ब्लड बैंक में रक्तदान के लिए प्रेरित कर रही है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि नियम अनुसार निजी ब्लड बैंक को भी रक्त उपलब्ध करवाने के बदले रक्त दिया जाना चाहिए लेकिन जिन मरीजों के परिजन रक्त उपलब्ध नहीं करवा पाते हैं उनसे मोटी राशि वसूल की जा रही है, ऐसे में लोगों का दान किया हुआ खून मोटी कीमत पर बेचा जा रहा है।
सरकारी अस्पताल में करें रक्तदान आवश्यकता होने पर संस्थाओं से करें संपर्क
पूरा मामला सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि कोई रक्तदाता रक्तदान करना चाहता है तो उसे अपना रक्त केवल और केवल सरकारी चिकित्सालय के ब्लड बैंक में ही दान करना चाहिए और रक्तदान के बाद अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाले रक्तदाता कार्ड को भी लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त चित्तौड़गढ़ में टीम जीवन दाता, लायंस क्लब, महावीर इंटरनेशनल, जैन दिवाकर सेवा समिति, जय झूलेलाल सेवा संस्थान, वैष्णो बैरागी युवा संस्थान, क्षत्रिय कुमावत युवा शक्ति संस्थान, अंबेडकर रक्त सेवा समिति, जैसी कहीं संस्थाएं हैं जो आवश्यकता पड़ने पर मरीज को रक्त उपलब्ध करवाती है। ऐसे में यदि किसी को रक्त की आवश्यकता है तो अस्पताल में ब्लड बैंक में उपलब्ध नंबरों के माध्यम से ऐसी संस्थाओं से संपर्क कर रक्तदान की आवश्यकता बतानी चाहिए जिससे कि आवश्यकता अनुसार रक्त उपलब्ध हो सके।