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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक- चित्तौड़गढ़ न्यायालय ने 9 वर्ष पुराने प्रकरण में दो पुलिसकर्मियों पर फायर कर जान लेवा हमला करने और मारपीट के मामले में पांच अभियुक्त को दोषी पाया है। पांच ही अभियुक्त को प्रत्येक को चार साल के कठोर कारावास और 10-10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।
अपर लोक अभियोजक संख्या- दो, चित्तौड़गढ़ अब्दुल सत्तार खान ने
प्रार्थी विकास कुमार जाट (कांस्टेबल) पुत्र ओम प्रकाश जाट निवासी पक्का सारना जिला हनुमानगढ़ ने 11 जनवरी 2016 को एक लिखित रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि वह गंगरार थाने में कांस्टेबल है। साथी कांस्टेबल राजमल के साथ वह गंगरार हाइवे टोल प्लाजा पर ड्यूटी कर रहे थे। टोल के बूथ नंबर पर एक डंपर के चालक द्वारा टोल के पैसे नहीं दिए और यह कह कर धमकाया कि यह गाड़ी मदन ठेकेदार की है। उल्टा टोलकर्मी से शराब पीने के पैसे मांगे। टोलकर्मी ने मना किया तो साथ चालक गाली गलौज की। इन्हें समझाया तो उसने टोल के पैसे देने से मना कर रविंद्र सिंह के साथ मारपीट की। दोनों कांस्टेबल ने मौके पर पहुंच समझाईश की तो चालक बोला इस ठेकेदार के डंपर टोल नहीं देते हैं। चालक गणेश ने किसी को फोन लगाया तो 10-15 मिनट बाद एक स्कॉर्पियो गाड़ आई, जिसमें करीबन 5 -6 व्यक्ति बैठे थे। एक दाढ़ी वाला व्यक्ति गाड़ी में से उतरते ही मेरे ऊपर जान से मारने लिए के लिए फायर किया। इस पर कांस्टेबल नीचे बैठ गया। स्कार्पियो में आए लोगों ने कांस्टेबल पर हमला कर वर्दी फाड़ दी। हल्ला किया तो ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल राजमल आया जिसने बीच बचाव करने की कोशिश की। अभियुक्त ने राजमल के साथ भी मारपीट की। दोनों कांस्टेबल भागने लगे तो आड़े फिर ओर मारपीट की। अभियुक्त टोल पर रविंद्र सिकरवाल के पास बूथ में जाकर पूर्व में दिए टोल के पैसे धमकी देकर मांगने लगे और मारपीट की। टोल के अन्य कर्मचारी एकत्रित होकर आए तो यह लोग स्कॉर्पियो को लेकर भाग गए। लोगों ने बताया कि गाड़ी में दाढ़ी वाला मदनलाल अहीर ठेकेदार है वह उसके साथ उसका भाई रतनलाल उसका पुत्र विजय व फफन लाल अहीर, धन्नालाल अहीर, लक्ष्मण आदि थे। प्रार्थी की रिपोर्ट पर थाना गंगरार में मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया गया। अभियुक्त जोजरों का खेड़ा निवासी मदनलाल पुत्र लालू अहीर, रतन पुत्र लालू अहीर, फफनलाल पुत्र राधूलाल अहीर, मंडपिया निवासी गणेश लाल पुत्र नोला अहीर, धन्नालाल पुत्र नेहरू अहीर विरुद्ध अनुसंधान कर चालान न्यायालय में पेश किया। अपर लोक अभियोजक संख्या- दो, चित्तौड़गढ़- अब्दुल सत्तार खान ने प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से 10 गवाहों की साक्ष्य वी 44 दस्तावेज न्यायालय में प्रदर्शित करवाए। विचारण न्यायालय ने प्रकरण के महत्वपूर्ण साक्षी लोक सेवक विकास कुमार जाट (कांस्टेबल), राजमल जाट (कांस्टेबल ) पीपलवास के अलावा मेडिकल साक्षी तथा अनुसंधान अधिकारी की बयानों पर विश्वास किया। अभियोजन और बचाव पक्ष की अंतिम बहस सुन कर न्यायालय के पीठासीन अधिकारी विनोद कुमार बैरवा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक -2 चित्तौड़गढ़ ने पांच ही अभियुक्त को दोषी पाया। प्रत्येक को भारतीय दंड संहिता की धारा 333 में 4 वर्ष का कठोर कारावास तथा 10-10हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया, धारा 332 में 2 वर्ष का कठोर कारावास, धारा 353 सपठित धारा 149 में एक वर्ष का कठोर कारावास, धारा 143 में 3 माह कठोर कारावास, 341 सपठित धारा 149 में एक माह का साधारण कारावास दंडित किया।