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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। विधानसभा चुनाव के साथ शुरू हुई आपसी मनमुटाव और खींचतान भाजपा में कम होने का नाम नहीं ले रही है। निर्दलीय चुनाव जीतने वाले विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने भाजपा को समर्थन दिया और उनके समर्थकों को भाजपा में शामिल कर लिया गया। लेकिन चुनाव के साथ शुरू हुई खींचतान कम होने का नाम नहीं ले रही है। इसकी बानगी मंगलवार रात को हुवे होली मिलन समारोह में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के मंच से भी देखने को मिली है। विधायक आक्या के समर्थन एवं पूर्व विधायक बद्रीलाल जाट को मंच पर जोशी के साथ जाने से रोका गया। यह नजारा कई लोगों ने आंखों से देखा तो कई लोगों के मोबाइल में कैद हो गया। भाजपा में करीब पांच माह बाद जब सब कुछ सही होने की स्थिति में आया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के चुनाव से पहले और मजबूती मिली। लेकिन मंच पर हुई घटना ने एक बार फिर से सवाल खड़े-खड़े कर दिए हैं कि इनके मन कब मिलेंगे। एक तरफ जहां पूर्व विधायक बद्री जाट को मंच पर प्रदेश अध्यक्ष जोशी के पास जाने से रोका और धक्का मुक्की की गई तो उससे बड़ी बात यह है कि आखिर किसके इशारे पर यह सब हुआ। क्योंकि पूर्व विधायक बद्रीलाल जाट का जितना बड़ा कद है उसके आगे उन्हें रोकने वाले नेता छूट भये ही है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या पहले से ही तय था कि विधायक आक्या के समर्थकों को मंच पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से दूर रखना है।
जानकारी में सामने आया कि विधानसभा चुनाव में विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। भाजपा के प्रत्याशी नरपतसिंह राजवी की जमानत जब्त हो गई थी। वहीं सीपी जोशी के समर्थक चुनाव में राजवी के साथ लगे हुए थे। चुनाव में बड़ी संख्या में आक्या समर्थकों ने पार्टी से अपने इस्तीफे दे दिए तो 16 पदाधिकारी को पार्टी ने निकाल दिया था। लोकसभा चुनाव में मतदान से पहले गत सप्ताह ही विधायक आक्या ने भाजपा को लोकसभा चुनाव में समर्थन सीएम भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में दिया था। साथ ही जयपुर में हुए एक कार्यक्रम में निष्कासित किए गए 16 पदाधिकारी को एक बार फिर से पार्टी में शामिल कर लिया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की मौजूदगी में प्रदेश कार्यालय में हुए कार्यक्रम में सभी निष्कासित पदाधिकारियों की घर वापसी हुई थी। यह सभी 16 ही पदाधिकारी चित्तौड़गढ़ लौटे तो विधायक आक्या की ओर से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया था और लोगों की ओर से स्वागत हुआ था।
धुलंडी पर एक फ्रेम में आए थे जोशी और आक्या
सोमवार को भी धूलंडी के अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और विधायक चंद्रभानसिंह आक्या एक फ्रेम में नजर आए और होली पर गुलाल लगा कर सभी को एक होने का संदेश दिया था। ऐसे में संभावना जताई जा रही थी कि लोकसभा चुनाव में मतदान से पहले भाजपा एक होकर चुनाव लड़ेगी। लेकिन लेकिन मंगलवार रात को हुई घटना सभी की अपेक्षाओं से परे गई। अब सोशल मीडिया पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है कि बद्री लाल जाट से इस तरह का व्यवहार क्यों किया गया। हर कोई इसे पूर्व विधायक बद्रीलाल जाट के अपमान से जोड़ कर देख रहा है।
यूं हुआ पूरा घटनाक्रम
जानकारी में सामने आया कि समारोह के दौरान छोटू सिंह रावणा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को मंच पर बुलाया। इस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जोशी पूर्व यूडीएच मंत्री एवं विधायक श्रीचंद कृपलानी कंपनी सहित अन्य वरिष्ठ नेता मंच पर आए। इस पर कार्यक्रम में काफी देर से रुके हुए पूर्व विधायक बद्रीलाल जाट भी सभी के साथ मंच पर पहुंचे थे। यहां जोशी एवं कृपलानी गायक के साथ आगे आए। बद्री लाल जाट भी मंच पर इन दोनों नेताओं के साथ आगे आने लगे। लेकिन इन्हें मंच पर कार्यकर्ता आगे जाने से रोक दिया। इस बात को लेकर बद्रीलाल जाट से अच्छी खासी बहस भी कर दी गई। उन्हें हाथ पकड़ कर रोका गया। भाजपा के सावा मंडल क्षेत्र के एक पदाधिकारी, एक पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और एक अन्य कार्यकर्ता ने बद्री को रोका था, जबकि इन तीनों से ही पूर्व विधायक बद्री जाट का कद काफी बड़ा बड़ा है, ऐसे में बिना किसी इशारे के यह बद्री जाट को रोक भी नहीं सकते। पूर्व विधायक बद्रीलाल जाट एबीवीपी से छात्र अध्यक्ष रहने के साथ ही पूर्व विधायक, डेयरी चेयरमैन रहे हैं। जिला परिषद सदस्य और भूमि विकास बैंक के चेयरमैन है और संगठन में भी कई पदों पर रह चुके हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को तो यह तक नहीं पता कि पीछे क्या हुआ, जबकि मंच पर आगे इतनी जगह थी कि बद्री जाट सहित अन्य नेता भी जोशी के पास जा सकते थे। जबकि वहां पर ऐसे लोग थे, जिनकी आवश्यकता नहीं थी।
आक्या भी पहुंचे थे कार्यक्रम में
जानकारी में सामने आया कि इस कार्यक्रम के दौरान विधायक चंद्रभान सिंह आक्या भी कार्यक्रम में आए थे। वह भी काफी देर तक इस कार्यक्रम में रुके। लोगों से मिले और होली की शुभकामनाएं दी। इसके बाद में पुनः वहां से रवाना हो गए थे।
क्या आवरण से बाहर निकलने को तैयार नहीं कार्यकर्ता?
विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक एक बात देखने को सामने आई है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने जो आवरण विधानसभा चुनाव में बनाया था। उससे वे बाहर निकलने को तैयार नहीं है। निर्दलीय चुनाव लड़ने या बगावत को इश्यू बना कर जिस तरह का व्यवहार आक्या समर्थकों से किया वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। जबकि विधानसभा चुनाव में बाहरी होने के कारण भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई थी। वहीं अब जब सीपी स्थानीय है और सभी पास साथ आना चाहते है लेकिन भाजपा कार्यकर्ता उस आवरण से बाहर नहीं आना चाहते। इसके पीछे कारण निजी हो या और कोई लेकिन यह भूल रहें है कि इस बार कांग्रेस ने भी स्थानीय को टिकट दिया है।