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नीम हकीमी का उपचार पड़ रहा भारी, एआरटी सेंटर में उपलब्ध हो रहा रक्षात्मक उपचार
सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़।
एचआईवी एड्स एक जानलेवा बीमारी है लेकिन इसकी रक्षात्मक औषधियां मरीज को एक सुरक्षित जीवन देने में काफी प्रभावी साबित हो रही है। इन सब के बीच चित्तौड़गढ़ जिले में एक ओर जहां राष्ट्रीय एड्स कंट्रोल सोसायटी के तत्वाधान में राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी के निर्देशन पर संचालित श्री सांवलिया जी राजकीय चिकित्सालय का एआरटी सेंटर संक्रमित रोगियों को उनकी जीवन शैली और रक्षात्मक दवाइयां के माध्यम से सुरक्षित जीवन देने में उपयोगी साबित हो रहा है वहीं दूसरी ओर नीम हकीम और झोलाछाप चिकित्सकों की बदौलत संक्रमण को फैलने में मदद मिल रही है। जिलेभर में झोलाछाप नीम हकीम विभिन्न बीमारियों का उपचार करते हैं और ऐसे में बिना पहचान के संक्रमित रोगियों का उपचार करने के चलते इस जानलेवा बीमारी का संक्रमण भी फैलने की संभावना बढ़ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते 1 साल में जिला मुख्यालय के केंद्र पर और अन्य ब्लॉक सेंटर्स पर कई ऐसे मरीज पहुंचे हैं जिन्होंने नीम हकीम झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज कराया और संक्रमण की चपेट में आ गए वही कई संक्रमित ऐसे भी सामने आए हैं जो संक्रमण की पहचान से पहले नीम हकीमो से उपचार करवा रहे थे और मरणासन्न स्थिति में पहुंच गए। हालांकि जिला मुख्यालय पर संचालित ए आर टी केंद्र पर मरीज को आवश्यक परामर्श और औषधियां उपलब्ध करवाए जाने के बाद मरीज को फायदा मिला है लेकिन इन सब के बीच यह नीम की जान के दुश्मन बने हुए हैं। इसी के साथ एक बड़ी बात यह भी है कि जिले के बड़ी सादड़ी ब्लॉक में इस रोग की जांच को लेकर भी उदासीनता बनी हुई है जिसके चलते रोगियों की समय पर पहचान और संक्रमण की रोकथाम के लिए राह का रोड़ा बन रही है।
एक साल में बढ़ी रोगियों की संख्या
जानकारी के अनुसार जिले में जिला मुख्यालय पर संचालित एआरटी केंद्र पर वर्तमान में लगभग 2300 से अधिक रोगी पंजीकृत है। वर्ष 2022- 23 में जहां 255 नए रोगियों का पंजीकरण हुआ था वहीं वर्ष 2023-24 लगभग 263 से अधिक रोगियों का पंजीकरण हुआ है जो गत वर्ष की तुलना में अधिक है।
झोलाछाप चिकित्सक बन रहे बड़ा कारण
एचआईवी का संक्रमण बढ़ाने को लेकर सूत्रों से जानकारी में सामने आया है कि जिला मुख्यालय के केंद्र में यौन संक्रमण से संक्रमित होने वाले रोगियों की संख्या में जहां गिरावट दर्ज की गई है वही दूसरी ओर झोलाछाप चिकित्सकों से उपचार करने वाले रोगियों में संक्रमण की दर ज्यादा है वही संक्रमण के बाद भी पहचान नहीं होने के कारण गंभीर रोगियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है ऐसे में सामान्य बीमारियों के लिए भी जहां झोलाछाप लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं वहीं गंभीर संक्रमण की स्थिति में भी झोलाछाप अपनी कमाई के लिए संक्रमण को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोगियों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं।
स्वस्थ जीवन जी सकता है रोगी
विशेषज्ञों की माने तो एचआईवी एड्स लाइलाज बीमारी है जिसका उपचार संभव नहीं है परंतु संक्रमण रोकने के साधनों के प्रयोग और प्रतिरक्षात्मक दवाइयां के प्रयोग के साथ रोगी संक्रमण के बाद भी एक स्वस्थ जीवन जी सकता है लेकिन उसे समय पर अपनी जांच और चिकित्सकों के निर्देशानुसार औषधीयो के सेवन का विशेष ध्यान रखना होता है। लेकिन यदि समय पर रोगी केंद्र पर नहीं पहुंचता है तो स्थिति जानलेवा हो जाती है ऐसी परिस्थितियों में केंद्र और राज्य सरकार एड्स कंट्रोल सोसाइटी के माध्यम से रोगियों की पहचान गुप्त रखने के साथ-साथ उन्हें उपचार मुखिया करती है लेकिन यदि रोगी केंद्र पर नहीं पहुंचे तो सरकार भी कहां तक व्यवस्था मुस्तैद कर सकती है।
स्वयंसेवी संस्थाओं पर भी मॉनिटरिंग की आवश्यकता
संक्रमण को रोकने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है यह स्वयंसेवी संस्थाएं लोगों के बीच जाकर जांच पहचान और संक्रमितों को केंद्र तक लाने का काम करती है इसके लिए केंद्र सरकार राज्य के माध्यम से इन्हें बजट भी उपलब्ध कराती है लेकिन ऐसी संस्थाओं के लिए भी सख्त मॉनिटरिंग की आवश्यकता है जिससे कि रोकथाम की दिशा में उठाया जा रहे कदम प्रभावी रूप से कारगर साबित हो सके सूत्रों का कहना है कि कहीं स्वयंसेवी संस्थाएं केवल कागजी खानापूर्ति और औपचारिक कार्य में जुटी हुई है ऐसे में सरकार की मंशा के अनुरूप प्रभावी ढंग से रोकथाम पर कार्यवाही नहीं हो पा रही है।
ब्लॉक स्तर पर उदासीनता पड़ रही भारी
एचआईवी एड्स की रोकथाम को लेकर धरातल स्तर पर ब्लॉक चिकित्सा केदो की महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन सूत्रों से जो जानकारी मिली है वह चौंकाने वाली है। सूत्रों का कहना है कि ब्लॉक स्तर पर जांच को लेकर लापरवाही बढ़ती जा रही है कहीं ब्लॉक केदो में एचआईवी एड्स की प्रारंभिक जांच को लेकर उदासीनता का आलम है खास तौर पर चित्तौड़गढ़ जिले के बड़ी सादड़ी क्षेत्र में ब्लॉक केंद्र पर जहां रोगियों की संख्या तो बढ़ रही है लेकिन एचआईवी की जांच उसे अनुपात में नहीं हो पा रही है ऐसी स्थिति में संक्रमण को बढ़ावा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।