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ठेका कर्मचारियों से हो रही अवैध वसूली प्रशासन को शिकायत का इंतजार, शिकायत करने पर कर्मचारियों को नौकरी जाने का डर
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिला मुख्यालय के श्री सांवलिया जी राजकीय चिकित्सालय में जिला कलेक्टर आलोक रंजन के लगातार प्रयासों के बावजूद व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही है। अतिरिक्त जिला कलेक्टर भूमि एवीपीटीआई को प्रभारी बनाए जाने के बावजूद अस्पताल में ठेका कर्मचारियों से चल रही लूट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालत यह है कि दिनभर हार्ड तोड़ मेहनत करने वाले कर्मचारी मेहनत करने के बावजूद अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं। ट्रॉली मेंन एमटीएस ऑपरेटर, और यहां तक की नर्सिंग कर्मचारी भी इस लूट से अछूते नहीं है। हालत यह है कि जब जिला प्रशासन ने सख्ती की तो कुछ समय के लिए समय पर पूरा भुगतान किया गया लेकिन उसके बाद हालत वही ढाक के तीन पात वाला बने हुए है। उसे पर बानगी ये की ठेकेदार की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए जिम्मेदारों को शिकायत का इंतजार है वही शिकायत करने वालों को इस बात का डर है कि उनके द्वारा शिकायत किए जाने पर उन्हें कम से ही हटा दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में मेहनतकश कर्मचारी अपने हक के लिए भी तरस रहे हैं और काम जाने के डर से शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं। ठेकेदार के जरिए विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराने वाले यह कर्मचारी ऐसी स्थिति में है कि उन्हें मार तो पड़ रही है लेकिन रोने का अधिकार नहीं है।
नाम लेबर वेलफेयर मजदूरों के हाथ पर डाका !
श्री सांवलिया जी राजकीय चिकित्सालय से जानकारी लेने पर सामने आया कि अस्पताल में विभिन्न कंप्यूटर सेवाओं के लिए मेन विथ मशीन, जीएनएम नर्सिंग कार्मिक फार्मासिस्ट ऑपरेटर जैसी सेवाओं के लिए 2023 के अगस्त माह से तो गार्ड, एमटीएस और सफाई कर्मियों के लिए दिसंबर माह से मदरलैंड सिक्योरिटी और लेबर वेलफेयर कोऑपरेटिव सोसाइटी को ठेका दिया गया है जिसके नाम में लेबर वेलफेयर यानी मजदूर कल्याण जुड़ा हुआ है लेकिन इस संस्था के जरिये काम करने वाले मजदूरों के हक पर ही डाका डाला जा रहा है। मजदूरों को नौकरी देने के नाम पर उनके वेतन से हजार से लेकर 1200 रुपए काटे जा रहे हैं। यह राशि कभी नगद ली जाती है तो कभी खाते में कम राशि डालकर इसकी वसूली की जाती है। कई कर्मचारियों ने बताया कि जिस फर्म को ठेका दिया गया है उस सोसाइटी ने पेटी कॉन्ट्रैक्ट अन्य व्यक्तियों को यह काम दे दिया है इसके जिम्मेदार कर्मचारियों को जवाब तक देना उचित नहीं समझते हैं।
बदल जाते हैं नाम नहीं बदलते कर्मचारियों के हालात
श्री सांवलिया जी राजकीय चिकित्सालय में कर्मचारियों से वसूली का यह खेल नया नहीं है सालों से यह खेल बदस्तूर जारी है। बस सत्ता बदलने के साथ वसूली करने वालों के नाम और चेहरे बदल जाते हैं केवल नहीं बदलता तो इन कर्मचारियों से वसूली का खेल जो हाड़ तोड़ मेहनत कर व्यवस्थाएं मुखिया करने की कोशिश करते हैं लोगों के आक्रोश का शिकार बनते हैं लेकिन उनके अधिकार को लूटने का ठेका सत्ता और राजनीतिक प्रभाव के चलते नाम बदल बदल कर दिया जाता है जिस दल की सत्ता होती है उसे दल से जुड़े लोग इस वसूली के खेल को अंजाम देते हैं। ऐसे में राजनीतिक संरक्षण होने के चलते सत्ता बदलने पर भी कर्मचारियों के शोषण का सिलसिला नहीं रुकता है। पूर्व में भी मदरलैंड सिक्योरिटी एंड लेबर वेलफेयर कोऑपरेटिव सोसाइटी ठेकेदार के रूप में यहां काम कर चुकी है और तब भी समय पर भुगतान नहीं देने वेतन में एनीमी कटौती करने खातों की बजाय नगद भुगतान देने काम देने की आवाज में वसूली करने जैसे आरोपों से गिरी रही है। लेकिन सत्ता बदलने के साथ ही नए रूप में नए नाम के साथ कर्मचारियों के शोषण का यह खेल शुरू हो गया है।
जानकारी को तो मिलते हैं नंबर
श्री सांवरिया जी राजकीय चिकित्सालय से जानकारी लेने पर सामने आया कि अस्पताल में तो टेंडर मदरलैंड सिक्योरिटी एंड लेबर वेलफेयर कोऑपरेटिव सोसाइटी को दिया है जिसके प्रतिनिधि के रूप में अस्पताल के रिकॉर्ड में किन्ही अरविंद का नाम दर्ज है जब अस्पताल में जुड़ी व्यवस्थाओं से जानकारी लेने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने किसी और के नंबर दिए जो किसी धीरज के नाम पर रजिस्टर्ड है ऐसे में साफ है कि केवल कालजी खाना पूर्ति करते हुए इस टेंडर का संचालन किया जा रहा है जो स्पष्ट तौर पर इंगित करता है कि केवल ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों की हक की कमाई पर कब्जा जमाने का खेल है।
लगातार होते हैं कार्य बहिष्कार
ऐसा नहीं है कि कर्मचारी अपने अधिकार के लिए आवाज नहीं उठाते हैं कई बार कर्मचारियों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से अपनी पीड़ा बतायी और उनके बाद लगभग तीन-तीन चार-चार महीना के लंबित भुगतान इन कर्मचारियों को मिल पाए ऐसी स्थिति में साफ है कि अंदर खाने कर्मचारी शोषण का शिकार हो रहे हैं जबकि प्रदेश और केंद्र की सरकार कर्मचारियों के हितों में काम करने के दावे कर रही हैं श्री सांवरिया जी राजकीय चिकित्सालय की यह तस्वीर सरकार के दावों को आइना दिखा रही है।
व्यवस्था सुधारने के लिए जिला कलेक्टर ने की पहल
जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने चिकित्सालय में आने वाले मरीजों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए लगातार दौरे करने के बाद पहल करते हुए अतिरिक्त जिला कलेक्टर भूमि अवाप्ति को चिकित्सालय का प्रभारी बनाया जिससे व्यवस्थाएं बेहतर हो सके और इसके बाद कर्मचारियों को दो माह तक तो पूरा वेतन मिला लेकिन एडीएम सेकंड के प्रशासनिक कार्य में व्यस्त होते ही फिर ठेकेदार ने अपनी कारगुजारी को अंजाम दिया है। आल्हा की प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दिनेश वैष्णव भी इस बात का प्रयास करते हैं अस्पताल की व्यवस्थाएं बेहतर हो लेकिन इसके बावजूद सिस्टम है कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा है।
अंदर तक जुड़े हैं वसूली के तार
ऐसा नहीं है कि कर्मचारियों के वेतन से या वेतन देने के नाम पर होने वाली वसूली के खेल से जिम्मेदार अनजान है। सभी को पता है कि इस प्रकार की अवैध वसूली ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी फिर चाहे वह ट्रॉली मेन हो एमटीएस हो ऑपरेटर हो या फिर कोई अन्य सबसे लगातार की जा रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि वसूली के इस खेल में केवल ठेकेदार ही नहीं बल्कि व्यवस्थाओं से जुड़े कई अन्य लोगों की भी हिस्सेदारी है। इसलिए सब कुछ जानकार भी पूरे सिस्टम ने चुप्पी साध रखी है।
यदि किसी कर्मचारी से किसी प्रकार की गलत राशि ली जा रही है तो बिना नाम के व्यक्तिगत रूप से आकर शिकायत दर्ज कर सकता है कार्रवाई की जाएगी।
सुरेंद्र राजपुरोहित, अतिरिक्त जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ़