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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। गुरु शिष्य परंपरा को तार तार करने वाला मामला एक बार फिर चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर संचालित सेंट पॉल स्कूल में सामने आया है। यहां कक्षा 6 और 7 की छात्राओं ने विद्यालय के शारीरिक शिक्षक के विरुद्ध गलत तरीके से छूने की शिकायत संस्थाप्रधान को दर्ज करवाई है। इसमें बड़ी बात यह है कि शिकायत के 24 घंटे बाद भी संस्था के प्रधान द्वारा इस मामले को विद्यालय की कमेटी से जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कह लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है। वहीं इस मामले को लेकर परिजनों में आक्रोश है तो वहीं जांच रिपोर्ट का भी इंतजार है। छात्राओं की लिखित शिकायत के बावजूद ना तो सदर थाने में और ना ही शिक्षा विभाग से उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी है।
इस मामले को लेकर सेंट पॉल विद्यालय के संस्थाप्रधान फादर सेल्विंन राज ने बताया शुक्रवार को कुछ छात्राओं ने मौखिक रूप से विद्यालय के शारीरिक शिक्षक रमेश के द्वारा गलत भावना से छूने की शिकायत की थी। इस पर उन छात्राओं को इस मामले में लिखित शिकायत देने के लिए कहा गया। इसके बाद 8 से अधिक छात्राओं ने शिक्षक के विरुद्ध गलत भावना से छूने की शिकायत दी। संस्थाप्रधान का दावा है कि उन्होंने इस मामले को विद्यालय स्तर पर बनाई गई सेक्सुअल हैरेसमेंट कमेटी को भेजा गया है। यह कमेटी इस मामले में जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि सरकार की और से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इस प्रकार के मामलों में संस्थाप्रधान को शिकायत प्राप्त होने के बाद पुलिस को सूचना देने के साथ ही विभाग के उच्च अधिकारियों को भी सूचना दी जानी चाहिए। लेकिन सेंटपॉल प्रबंधन इस मामले में जांच के नाम पर लीपापोती करने में जुटा हुआ है। उल्लेखनीय है कि राज्य बाल संरक्षण आयोग द्वारा भी ऐसे मामलों में त्वरित कानूनी कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। लेकिन कथित रूप से अंग्रेजी माध्यम के ऐसे प्रतिष्ठित विद्यालय अपने विद्यालय में होने वाली ऐसी हरकतों पर पर्दा डालने की लगातार कोशिश करते हैं।
200 कदम की दूरी पर स्कूल से सदर थाना
चित्तौड़गढ़ शहर में निंबाहेड़ा मार्ग पर यह सेंटपॉल स्कूल स्थित है। वहीं इस स्कूल से मात्र 200 कम की दूरी पर चित्तौड़गढ़ का सदर थाना भी है। लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इस मामले में 24 घंटे से अधिक का समय बितने के बाद भी सदर थाने में रिपोर्ट देना मुनासिब नहीं समझा है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन की मंशा पर ही सवाल उठ खड़े हुए हैं।