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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जैसे-जैसे तापमान घट रहा है वैसे ही किसान रबी फसलों की बिजाई कर रहा है। वर्तमान में चना की बिजाई का अनुकूल समय चल रहा हैं क्षेत्र में एक बड़ा रकबा चना की खेती का लगाया जाता है। अब जागरूक किसान पहले ही फसलों में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए तैयारी करने लगे हैं। प्रगतिशील कृषक नारायण लाल धाकड़ ने चने की खेती के लिए ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करके नवाचार किया है।
जानते हैं इसके फायदे
ट्रिकोडरमा का प्रयोग - ट्राइकोडर्मा एक जैविक मित्र फ़फूंद है. यह मिट्टी में मौजूद हानिकारक फ़फूंदों से फ़सलों की रक्षा करती हैI 100 किलोग्राम गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 5 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाकर के 5 से 7 दिन रख दें और खेत की अंतिम जुताई के समय बिखेर कर जुताई कर दें. फ़िर फसल लगाने के लिए खेत तैयार है।
इसका फायदा
चने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग जड़ गलन, उगटा रोग, कोलर रोट एवं अन्य हानिकारक बीमारियों से चने को प्रभावी ढंग से पौधे को बचाता है. चना बिजाई से पूर्व इसका प्रयोग किसान भाइयों को करना चाहिए जिससे रोगों से एक अच्छा प्रभावी नियंत्रण चना की फसल में मिलता हैI ट्रिकोडरमा की उपलब्धता के लिए नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैI