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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। बड़ीसादड़ी से नीमच रेल लाइन के लिए अधिग्रहित कृषि भूमि के मुआवजा निर्धारण में अनियमितताओं को लेकर क्षेत्र के किसानों ने राष्ट्रपति के नाम एसडीएम यतींद्र पोरवाल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में न तो ग्राम स्तर पर कोई बैठक हुई और न ही किसानों को सूचित किया गया।
ज्ञापन में बताया कि छोटीसादड़ी के ग्राम सेमरडा, मलावदा, बरेखन, अचलपुरा, बरवाड़ा गुर्जर एवं छोटीसादड़ी की भूमि के लिए उचित मुआवजा दिए बिना सीधे 28 फरवरी 2024 को अवार्ड जारी कर दिया गया। मुआवजा वितरण 15 मार्च 2024 को हुआ, जब आचार संहिता लागू हो चुकी थी, जिससे किसानों को विरोध करने का अधिकार भी नहीं मिला। किसानों ने 19 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री को इस समस्या से अवगत कराया, जिसके बाद उनकी अपील संभागीय आयुक्त बांसवाड़ा को भेजी गई। लेकिन, सात माह बाद राज्य सरकार ने प्रकरण को बिना सुनवाई चित्तौड़गढ़ कलेक्टर को और फिर जयपुर संभागीय आयुक्त को स्थानांतरित कर दिया।
एक लाख प्रति आरी मुआवजा देने की मांग
किसानों ने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग 113 के लिए उनकी भूमि का मुआवजा ₹20 लाख प्रति बीघा (₹1 लाख प्रति आरी) दिया गया था। लेकिन रेलवे परियोजना के लिए भूमि का मुआवजा इससे काफी कम निर्धारित किया गया। उन्होंने मांग की कि मुआवजा निर्धारण 2014 के आधार पर हो और उनकी अपील को जिला कलेक्टर प्रतापगढ़ को पुनः सुनवाई के लिए भेजा जाए। किसानों ने 22 अक्टूबर 2024 को जारी राजपत्र में प्रकाशित आदेश निरस्त कर, उनकी अपील गृह जिले प्रतापगढ़ में स्थानांतरित करने मुआवजा राशि को राष्ट्रीय राजमार्ग 113 के आधार पर निर्धारित करने की मांग की है।
सुनवाई स्थानांतरण से बढ़ी परेशानियां
किसानों ने मुआवजे से संबंधित सुनवाई बार-बार स्थानांतरित किए जाने पर भी नाराजगी जताई। पहले यह सुनवाई प्रतापगढ़ में हो रही थी, फिर इसे बांसवाड़ा और उसके बाद चित्तौड़गढ़ ले जाया गया। अब यह सुनवाई जयपुर स्थानांतरित कर दी गई है। किसानों ने इस निर्णय को अनुचित बताते हुए कहा कि इतनी दूर सुनवाई आयोजित करना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने मांग की कि सुनवाई को चित्तौड़गढ़ या प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय पर ही आयोजित किया जाए ताकि किसानों को आने-जाने में परेशानी न हो।
11 वें दिन भी जारी रहा धरना, जल्द हो समाधान
छह गांवो के किसानों द्वारा अपनी जमीनों के उचित और सम्मानजनक मुआवजे की मांग को लेकर 11वें दिन भी धरना जारी रहा। किसानों की मांग है कि रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन का उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। धरने में किसान नेता सोहनलाल आंजना भी शामिल हुए और किसानों को खुला समर्थन देते हुए उनकी मांग को वाजिब बताया। उन्होंने कहा, "जब 2014 में नेशनल हाईवे के लिए प्रति आरी एक लाख रुपये मुआवजा दिया गया था, तो अब किसानों को इससे कम मुआवजा क्यों दिया जा रहा है? किसानों को उनकी जमीन का सम्मानजनक मुआवजा मिलना चाहिए।
धरने में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए और आंदोलन को लेकर एकजुटता दिखाई। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।