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निंबाहेड़ा व कपासन बने ऑनलाइन सट्टे के हब - बैंक खातों का भी हो रहा है दुरुपयोग - 1950 के बाद प्रदेश में नहीं हुआ कानून में बदलाव
अखिल तिवारी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ जिले सहित प्रदेश में ऑनलाइन सट्टा तेजी से पैर पसार रहा है। आज की पीढ़ी इस नए नशे की भेंट चढ़ रही है। यहां तक कि नाबालिग भी इसके दलदल में धंसते जा रहे हैं। सख्त कानून नहीं बनने के कारण प्रदेश में ऑनलाइन सट्टे की गिरफ्त में लोग आ रहे हैं। बड़ी बात यह कि नाबालिग बच्चे इसकी भेंट चढ़ कर अपना भविष्य तो बर्बाद कर ही रहे हैं, साथ ही परिवार को भी आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। बैंक खातों का भी जम कर दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके खिलाफ ना तो समाज आगे आ रहा है और ना ही जनप्रतिनिधि कोई सख्त कदम उठा पा रहे हैं। पुलिस जरूर समय-समय पर ऑनलाइन सट्टा चलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने का दावा करती है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। कानून का फायदा उठा कर ऑनलाइन सट्टे से जुड़े लोग अब नाबालिग बच्चों को टारगेट करने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार जुआ व सट्टा राज्य सूची का विषय है। राज्य की विधायिका इस पर कानून बनाती है। राजस्थान में 1950 में इसे लेकर कानून राज्य विधायक ने बनाया था। लेकिन समय के साथ एवं वर्तमान परिस्थितियों में यह कानून प्रासंगिक हो गया है, जिसमें कि केवल जुर्माना का प्रावधान है। इस कानून में समय व परिस्थितियों जिसमें मुख्य रूप से वर्तमान में इंटरनेट व सोशल मीडिया के इस पर्यावरण में नए कानून की सख्त जरूरत है। इसके पीछे कारण है कि नाबालिक और युवा सबसे ज्यादा ऑनलाइन सट्टे के आदी (शिकार) हो रहे हैं। इसमें वह लाखों रुपए ऑनलाइन जुए में हार जाते हैं। साथ ही आत्मदाह, घर से दूर जाने जैसे गलत कदम भी उठा लेते हैं। इससे बच्चों का बचपन छीना जा रहा है। वर्तमान समय की मांग है कि ऑनलाइन जुआ और सट्टा को लेकर प्रदेश सरकार सख्त कानून बनाए। नाबालिग बच्चों का भविष्य खराब नहीं हो और कई परिवार आर्थिक नुकसान उठाने से बच सके।
आईटी की रडार से बचने की जुगत लगाते सटोरिए
जानकार सूत्रों ने बताया कि ऑनलाइन सट्टे से जुड़े अपराधी बड़े शातिर है। सरकार की जांच एजेंसियों से बचने की जुगत लगाते हैं। इस ऑनलाइन सट्टे से जुड़े आरोपित कई बार अनपढ़ व भोले भाले ग्रामीणों को 10 से 15 हजार रुपए का लालच देकर ऑनलाइन खाता लेते हैं। फिर इसमें एक करोड़ से कम राशि का लेन-देन कर खाते को बंद कर देते हैं, जिससे कि वह आईटी के रडार पर नहीं आ सके। आरबीआई का नियम है कि एक करोड़ का लेन-देन होते ही वह बैंक खाता आईटी की रडार पर आ जाता है। इस पूरी प्रक्रिया बैंककर्मी भी मिले रहते हैं, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
गांव-गांव तक फैला रहे ऑनलाइन सट्टे का नेटवर्क
चित्तौड़गढ़ जिले में भी ऑनलाइन सट्टे का नेटवर्क अब गांव-गांव तक फैलने लगा है। कपासन व निंबाहेड़ा इसके हब बनने लगे हैं। कारुंडा जैसे गांव तक इसके मामले सामने आए हैं। जिले की विशेष तौर पर इन दोनों ही पंचायत समितियां के गांव में रहने वाले युवा इसकी चपेट में आ चुके हैं। ऑनलाइन सटोरियों के खिलाफ मुकदमे भी कपासन वर्ष साइबर थाने में दर्ज हुए हैं। हाल ही में ऑनलाइन जोगनिया बुक के खिलाफ भी मुकदमा हुआ था। इसका दुबई से संचालन चल रहा था, जिसके एक षडयंत्रकर्ता बालमुकुंद ईनाणी की गिरफ्तारी भी ही थी।
कई राज्यों में बने हैं सख्त कानून ऑनलाइन सट्टे को लेकर देश के कई राज्यों में सख्त कानून बने हुए हैं। लेकिन प्रदेश में कानून की कमजोरी का फायदा उठा रहे हैं। नए समय में प्रदेश में भी सख्त कानून की आवश्यकता है। देश के छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल, नागालैंड, सिक्किम, गोवा में समय के अनुसार गैंबलिंग कानून में कानून को कठोर बनाया है। इसके पीछे इससे युवाओं को बर्बाद होने से बचाया जा सके। लेकिन राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस और वर्तमान की भाजपा सरकार सोई हुई है। इस संबंध में कोई कठोर कानून बनाने की पहली नहीं कर रहा है। इसके कारण देश के अन्य राज्यों के तुलना में राजस्थान में साइबर अपराध तीव्र गति से बढ़ रहा है।
टारगेट पर नाबालिग, अभिभावक रखे नजर
जानकारी में सामने आया है कि अब ऑनलाइन सट्टे से जुड़े लोग नाबालिग बच्चों को टारगेट करने लगे हैं। ऐसे में माता-पिता को भी चाहिए कि वह बच्चों को मोबाइल देते समय नजर रखें। साथ ही उन्हें गेम्स आदि से दूर रखने का प्रयास करें, जिससे कि वह ऑनलाइन सट्टे की चपेट में नहीं आए।
छत्तीसगढ़ में है सजा का प्रावधान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऑनलाइन सट्टे को लेकर छत्तीसगढ़ में सख्त कानून बनाया गया है। इसमें ठगी में ऑनलाइन खाते का उपयोग होने पर खाता धारक के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज होकर 6 माह की सजा का प्रावधान है, जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं है। वहीं ऑनलाइन सट्टे का विज्ञापन करने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है। महादेव ऐप पर छत्तीसगढ़ में पुलिस और ईडी की कार्रवाई की, तब वहां स्पेशल एक्ट बनाया गया।
बैंक खाता धारक व बैंककर्मियों की भी मिल भगत, हो कार्यवाही
सूत्रों की माने तो पुलिस ने ऑनलाइन सट्टे के मामलों में खुलासा किया है। कुछ मामलों में बैंक खाताधारक के साथ ही में बैंककर्मियों की भी भूमिका संदिग्ध दिखाई दी थी। ऑनलाइन सट्टे पर रोक लगे इसके लिए इसमें शामिल सभी पर कार्यवाही हो, इसके प्रावधान कानून में हो।
बच्चों के भविष्य की चिंता, नहीं दर्ज करवाते प्रकरण
जानकारी में सामने आया कि कई नाबालिक बच्चे ऑनलाइन सट्टे की चपेट में आ गए और परिवार को आर्थिक नुकसान पहुंचा चुके हैं। जब इस तरह के मामलों का खुलासा हुआ लेकिन परिवारजन अपने नाबालिक बच्चों के भविष्य की चिंता को लेकर पुलिस के सामने जाने बचते दिखे। इसके अलावा स्वयं की सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण भी अभिभावकों ने पुलिस में रिपोर्ट नहीं दी हैं। अपने बच्चों की भविष्य की चिंता के कारण ही परिवार के सदस्य मुकदमा दर्ज नहीं करवाते हैं। लेकिन सूत्रों की माने तो चित्तौड़गढ़ जिले में भी ऑनलाइन सट्टे के कारण कई परिवार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
वर्जन....
यह सही है कि ऑनलाइन गेमिंग के बारे में विशेष कानून नहीं है। आज के युग में लाखों लोग इसके शिकार हो रहे हैं। चित्तौड़गढ़ जिले में भी कई मामले सामने आए हैं। विशेष कर नाबालिक बच्चों के ऑनलाइन टारगेट कर रहे हैं। फिर भी पुलिस जो बीएमएस, जुआ एक्ट व आईटी एक्ट में ऑनलाइन सटोरियों पर शिकंजा कस रही है।
मुकेश सांखला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चित्तौड़गढ़