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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। एक मां की अपनी बेटी को वापस पाने की जद्दोजहद आखिरकार सफल हुई, जब छोटीसादड़ी एसडीएम यतींद्र पोरवाल ने आपसी सहमति से निर्णय कर बेटी को मां के सुपुर्द कर दिया। अधिवक्ता प्रकाश साहू ने बताया कि बरकटी निवासी निशा आंजना का विवाह 7 मई 2019 को केसुंदा निवासी विकास आंजना के साथ सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। विवाह के बाद निशा और विकास की एक बेटी प्राक्षी का जन्म हुआ। लेकिन विकास की मृत्यु के बाद पारिवारिक विवाद गहराता गया। विकास के पिता बापूलाल और अन्य परिवारजन प्राक्षी को निशा से अलग कर केसुंदा ले गए। इसी बीच, निशा के पिता शांतिलाल आंजना ने 24 नवंबर को उनका दूसरा विवाह बसेड़ा निवासी राजकुमार आंजना से करवा दिया। अपनी बेटी से दूर रहने का दर्द झेल रही निशा ने एसडीएम यतींद्र पोरवाल के समक्ष अपनी बेटी को वापस पाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। मामले की गंभीरता को समझते हुए एसडीएम ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आपसी सहमति से न्यायपूर्ण निर्णय लिया। एसडीएम पोरवाल ने प्राक्षी को मां निशा के सुपुर्द कर दिया। निर्णय में यह प्रावधान किया गया कि प्राक्षी के दादा-दादी, बापूलाल और सना बाई, बरकटी में आकर प्राक्षी से मिल सकेंगे। छह वर्षों के बाद, नियमानुसार, वे प्राक्षी को अपने साथ ले जाने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से यह तय किया कि प्राक्षी से संबंधित किसी भी निर्णय में सामूहिक राय ली जाएगी। राजीनामा के बाद किसी भी पक्ष या रिश्तेदार द्वारा टीका-टिप्पणी या वाद-विवाद की अनुमति नहीं होगी।
इनका कहना है
हिंदू अप्राप्तवता और संरक्षता अधिनियम, 1956 की धारा 6(क) के अनुसार, पिता की मृत्यु के बाद नाबालिग बच्चे की प्राकृतिक संरक्षक उसकी मां होती है। यह फैसला कानून के अनुरूप है और बच्चे के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
प्रकाश चंद साहू, अधिवक्ता