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अधिशेष शिक्षकों समायोजन प्रक्रिया बनी मुसीबत, पदस्थापन के बाद दूसरे विद्यालय में नहीं जाना चाहते शिक्षक
सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़।
सरकारी नौकरी में रहने के दौरान तबादला एक सामान्य प्रक्रिया है जिससे प्रत्येक कार्मिक को कभी न कभी गुजरना पड़ता है लेकिन शिक्षा विभाग में तबादला एक ऐसी पहेली बन गई है जिसका हल किसी के पास नहीं है। हालत यह है कि शिक्षक कई मामलों में इसलिए नियुक्ति नहीं देना चाहते कि उनके साथ के दूसरे शिक्षक को शहरी क्षेत्र में पोस्टिंग मिल गई। ऐसे हालातो में सवाल खड़ा होता है कि क्या ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को पढ़ने का अधिकार नहीं है। वही अंदरखाने यह जानकारी भी सामने आई है कि समायोजन के बाद शिक्षकों की राजनीतिक पहुंच के चलते जिले के जनप्रतिनिधि भी इसमें पूरा हस्तक्षेप कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिले में न्यायालय के आदेश से आए टीएसपी क्षेत्र के शिक्षक पहले ही काउंसलिंग के जरिए विद्यालयों में लगे हुए हैं ऐसे में जो लोग अपने जिले में जाना चाहते थे वह भी उलझ कर रह गए हैं और उसके चलते जिले की स्थिति शिक्षा विभाग को लेकर हड़बड़ी वाली हो गई है। इस पूरे मामले में शिक्षक संघ भी प्रयास करने से बच रहे हैं। ना ही दूसरे जिलों के शिक्षक जो सीमावर्ती जिला होने के कारण इस जिले में पदस्थापित हुए हैं उन्हें लेकर जन प्रतिनिधि कोई प्रयास कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में समायोजन की प्रक्रिया जो निदेशालय के आदेश पर पूरी की गई उसके बाद विभाग के अधिकारी आक्रोश का शिकार बन रहे हैं।
तो क्या ना पढे ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी ?
चित्तौड़गढ़ जिले के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय माध्यमिक की बात की जाए तो यथावत स्थान पर रखना महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय और प्रारंभिक सेटअप में भेजे जाने के बाद सीधे तौर पर कुल 105 शिक्षकों के विद्यालय बदले गए हैं जिनमे अब तक कुल 40 परिवेदना कार्यालय को प्राप्त हो चुकी है कि शिक्षक उन विद्यालयों में नहीं जाना चाहते हैं और फिलहाल अभी समय और बाकी है, ऐसे में संभावना है कि इस संख्या में और भी अधिक इजाफा होगा। विभाग के सूत्रों की माने तो अधिकांश शिक्षकों को आपत्ति यह है कि उनके घर से विद्यालय की दूरी बढ़ गई है या फिर उनका ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थापन किया जा रहा है। इसलिए वे वहां जाना नहीं चाहते हैं और नियुक्ति देने से बचने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को पढ़ने का अधिकार नहीं है। दूरस्थ विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षकों की आवश्यकता नहीं होती है। साथ ही एक बड़ा सवाल यह भी है कि अपनी नियुक्ति के समय क्या शिक्षकों ने इस प्रकार की शर्त सरकार के सामने रखी थी कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में या दूर स्थित विद्यालय में अध्यापन कराने के लिए नहीं जाएंगे। जब नियुक्ति के समय ऐसी कोई शर्त नहीं थी तो अब पदस्थापन के समय इन क्षेत्रों में नौकरी करने से परहेज समझ से परे है। ऐसे में सीधे-सीधे लगता है कि यह परिवेदना नहीं है अपितु इस बात की वेदना है कि उन्हें उनके इच्छित स्थान पर पोस्टिंग नहीं मिली है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि शिक्षक शहरी क्षेत्र छोड़कर जाना नहीं चाहते हैं और इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र मिलने के बाद वहां से बचने की जुगाड़ लगा रहे हैं।
टीसपी से नॉन टीएसपी से जिले में सर्वाधिक शिक्षक
चित्तौड़गढ़ जिला प्रतापगढ़ जिले का निकट जिला है और ऐसे में लंबे समय से टीएसपी क्षेत्र में काम कर रहे शिक्षकों के न्यायालय द्वारा नॉन टीएसपी क्षेत्र में पदस्थापन के आदेश किए जाने के बाद जिले में कुल 502 शिक्षक प्राप्त हुए जिन्हें काउंसलिंग के जरिए पोस्टिंग दी गई अब शहरी क्षेत्र में अधिकांश पद उनसे भर गए हैं वही समायोजन की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे शिक्षकों को हटाया नहीं जा सकता है भले ही वह पद विरुद्ध लगे हुए हैं। राजस्थान में इस श्रेणी में सर्वाधिक शिक्षक चित्तौड़गढ़ जिले में आए हैं जो प्रदेश के दूसरे जिलों के हैं और यह शिक्षक भी अपने जिलों में पदस्थापन चाहते हैं लेकिन निदेशालय द्वारा अधिकांश शिक्षकों को नॉन टीएसपी क्षेत्र का समीप जिला होने के चलते चित्तौड़गढ़ भेज दिया गया और ऐसे में इस जिले के शिक्षक फुटबॉल बनकर रह गए हैं जो जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट रहे हैं और अपने मूल व्यवस्थापन को बचाने का जुगाड़ लगा रहे हैं।
जनप्रतिनिधि भी नहीं दे रहे हैं मूल समस्या पर ध्यान
पूर्व में तबादलों पर लगी रोक हटाने की जानकारी सामने आई थी इसके बाद शिक्षकों में यह उम्मीद बंधी थी कि तबादला होने पर उनका पदस्थापन उनके मूल जिलों में हो जाएगा लेकिन सरकार इस दिशा में कोई काम नहीं कर रही है। उस पर समायोजन के आदेश में कोढ में खाज का काम किया है क्योंकि पूर्व में अपने राजनीतिक जुगाड़ के दम पर शिक्षक कार्य अन्य स्थान पर कर रहे थे लेकिन वेतन दूसरे विद्यालय से उठा रहे थे अब समायोजन के आदेश आने के बाद अपने राजनीतिक प्रभाव के जरिए जुगाड़ लगा रहे हैं लेकिन नियमों के चलते उनकी नियुक्ति रिक्त स्थानों पर हो रही है जहां वे जाना नहीं चाहते हैं। वहीं अन्य जिलों के अभ्यर्थी भी अपने जिलों में जाना चाहते हैं लेकिन जिले के जनप्रतिनिधि इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। की प्रदेश की तबादला नीति बने जिससे अपने ही जिले में फुटबॉल बने यह शिक्षक इच्छा अनुसार पदों पर काबिज हो सके। सूत्रों का कहना है कि शिक्षक जनप्रतिनिधियों के जरिए दबाव डलवा कर पूर्ववत व्यवस्था पर बने रहना चाहते हैं। जो कि अब संभव नहीं है तबादलो पर लगी रोक हटाने के बाद ही यह संभव है कि ऐसे शिक्षकों का कुछ भला हो जाए लेकिन यह तभी संभव है जब जिले के जन प्रतिनिधि इस दिशा में प्रयास करें। जिसकी फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
प्रारंभिक सेटअप में भर गए पद फिर भी बच गए शिक्षक
जिले के प्रारंभिक सेटअप में अधिशेष रहे 270 शिक्षकों को कार्यालय पदस्थापन भी नहीं कर पा रहा है अब तक 196 शिक्षकों का पदस्थापन हो गया है जबकि 74 शिक्षक फिलहाल पदस्थापित नहीं हो पाए हैं क्योंकि विभाग के पास पद खाली नहीं है। इसी के साथ 196 पदस्थापन करने के बाद भी कार्यालय को 60 परिवेदना प्राप्त हुई है। जिनमें भी अधिकांश शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जाना चाहते हैं।
दूसरों की पोस्टिंग से दुखी
समायोजन की व्यवस्था में प्राप्त परिवेदनाओं की यदि बात की जाए तो अधिकांश परिवेदना इस श्रेणी की है कि उनके साथ काम करने वाले शिक्षक को शहरी क्षेत्र मिल गया जबकि उन्हें घर से 7 किलोमीटर दूर विद्यालय में पदस्थापित किया गया है। ऐसी स्थिति में यह परिवेदना खुद के दुख के स्थान पर दूसरों के खुशी से दुखी होने की ज्यादा प्रतीत हो रही है। इस प्रकार की परिवेदना में देने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है।
शिक्षक संगठनों की भूमिका पर भी सवाल
शिक्षक हित की बात कर आंदोलन करने वाले शिक्षक संगठनो की भूमिका पर भी इस मामले में सवाल खड़े हो रहे हैं। शिक्षक संगठन भी शिक्षकों को न्याय दिलाने में भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं अन्य जिलों के शिक्षक जो टीएसपी क्षेत्र से अपने जिलों में जाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़कर सफल हुए लेकिन अब इस जिले में पदस्थापित हो गए हैं उनके अधिकार के लिए यह संगठन भी कुछ नहीं बोल रहे है। इसके चलते जिले के शिक्षक परेशान हो रहे हैं लेकिन शिक्षकों के संगठन इस मामले में उदासीन दिखाई दे रहे हैं अपनी सशक्त भूमिका नहीं निभा रहे हैं। सरकार तक इस समस्या को पहुंच कर उसके समाधान की दिशा में सकारात्मक भूमिका निभाने में शिक्षक संगठन पूरी तरह से विफल रहे हैं।
निदेशालय से प्राप्त निर्देशों के आधार पर नियमानुसार प्रक्रिया पूरी की गई। परिवेदना निस्तारण के लिए कमेटी बनाई गई है। जांच के बाद निदेशालय से निर्देश मांग कर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
कल्पना शर्मा जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक शिक्षा
ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को भी पढ़ने का अधिकार है ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को सेवा देनी चाहिए लेकिन पहले विभाग सुनिश्चित करे की जहां से शिक्षक हटाए जा रहे हैं वहां पद खाली नहीं हो।
गोपाल स्वरूप त्रिपाठी जिला अध्यक्ष शिक्षक संघ प्रगतिशील
प्रत्येक शिक्षक को नियमानुसार ग्रामीण क्षेत्र में जाना चाहिए। अन्य जिले के शिक्षकों को लेकर हमारे प्रदेश अध्यक्ष मंत्री जी के समक्ष बात रख चुके हैं और उनके पदस्थापन के लिए फिर से बात कर प्रयास किया जाएगा जिससे जिले के शिक्षक परेशान नहीं हो।
राम लक्ष्मण त्रिपाठी जिला अध्यक्ष शिक्षक संघ राष्ट्रीय