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महिला कांस्टेबल और कांस्टेबल की हालत खतरे से बाहर
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिले के बेगूं थाना क्षेत्र में की गई फायरिंग के मामले में कांस्टेबल और इसी के बैच की महिला कांस्टेबल का उदयपुर के निजी चिकित्सालय में उपचार जारी है। चिकित्सकों के साथ ही पुलिस के अधिकारी भी इनके स्वास्थ्य पर नजर रखे हुवे हैं। वहीं चित्तौड़गढ़ से रेफर करने के बाद चित्तौड़गढ़ पुलिस अधीक्षक और अन्य अधिकारियों का प्रयास रहा कि दोनों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। इसमें चित्तौड़गढ़ पुलिस सफल भी रही। निजी चिकित्सालय में भर्ती करने के साथ ही रात को ही उपचार भी शुरू कर दिया था। यहां तक पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने स्वयं चिकित्सक से बात कर उपचार के लिए कहा। साथ ही मंगलवार सुबह पुनः चिकित्सक से बात कर के दोनों के स्वास्थ्य के बारे में जाना। इसमें चिकित्सक ने दोनों की हालत स्थिर बताई है। इससे सभी ने राहत की सांस ली है। वहीं मामले में पुलिस की और से जांच जारी है। महिला कांस्टेबल के बयान के बाद आगे जांच होगी।
जानकारी के अनुसार घायल प्राेबेशनर सिपाही के तौर पर तैनात कांस्टेबल सियाराम ने सोमवार शाम अपनी साथी महिला कांस्टेबल पूनम को गोली मार दी। बाद में उसने खुद के भी गोली मार दी थी। लेकिन दोनों को प्राथमिक उपचार के बाद उदयपुर के गीतांजलि अस्पताल में भर्ती कराया है। यहां दोनों की हालत स्थिर बताई जा रही है। जानकारी में सामने आया कि कांस्टेबल सियाराम ने सोमवार शाम साढ़े 6 बजे महिला कांस्टेबल पूनम को गोली मार दी। गोली उसके हार्ट से कुछ नीचे लगी, जो सीने से आर-पार निकल गई। शुरुआत में रक्त प्रवाह होने के बाद गंभीर हालत में उदयपुर रेफर किया गया। यहां फेफड़ों में फैले रक्त को चिकित्सकों ने नली लगा कर बाहर निकाल दिया। इससे महिला कांस्टेबल के ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ी। उसके बाद उसकी हालत ठीक बताई जाती है। इधर, सियाराम ने अपनी गर्दन में थोड़ा ऊपर जबड़े के यहां रिवॉल्वर रख गाेली चलाई। इससे इसके जबड़े पर गंभीर चोट आई। गोली लगने से इसके दो दांत उड़ गए। गोली ऊपर जबड़े से बाहर निकल आंख के पास में सिर को छूते हुवे निकल गई। इससे कांस्टेबल को भी जान लेवा चोट नहीं आई और इसकी हालत भी खतरे से बाहर बताई है। फिर भी दोनों का उपचार जारी है। जानकारी के अनुसार बूंदी जिले का रहने वाला सियाराम और दौसा निवासी पूनम दोनों ही 2023 बैच में एक साथ थे और दोनों ही अविवाहित थे।
लाइन से भेजा या थाने से नियुक्त किया गनमैन, जांच का विषय
वहीं इस मामले में पुलिस की ही बड़ी लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। प्रोबेशनर सिपाही को पिस्तौल थमा दी, जो कि देखने में बहुत ही कम सामने आता है। इसे लेकर पुलिस महकमे में ही चर्चाओं का दौर है। प्राेबेशनर को गनमैन रखने और उसे रिवाॅल्वर थमाने का मामला व्यवस्था की भी पोल खोलता नजर आ रहा है। आम तौर पर परिवीक्षा काल में कार्यरत सिपाही को ना तो गनमैन रखा जाता है और ना ही गन थमाई जाती है। पुलिस विशेष परिस्थितियों में ही उन्हें हथियार थमाए जाते है, लेकिन बेगूं थाने में परिवीक्षाधीन सिपाही सियाराम को पुलिस उपाधीक्षक अंजलीसिंह का गनमैन रखा हुआ था। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस लाइन से सीधे गनमैन के तौर पर भेजा या बेगूं थाने से सिपाही को डिप्टी कार्यालय गनमैन के रूप में भेजा, यह जांच का विषय है। ऐसे गंभीर मामले में जिम्मेदारी तो तय होगी और जवाब भी मांगा जाएगा। इस घटना ने पुलिस के सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
बयानों पर होगा खुलासा लेकिन सिपाही ने क्यों खोया आपा?
फिलहाल सिपाही ने गोली क्यों चलाई यह जांच का विषय है। महिला कांस्टेबल के बयानों के बाद ही कुछ स्पष्ट होगा। सूत्रों की माने तो महिला कांस्टेबल व गनमैन के बीच दोस्ती थी। दोनों एक ही बैच के थे और बेगूं में भी इन दोनों ने निकट ही किराए पर कमरा लिया हुआ था। मन मुटाव के बाद महिला कांस्टेबल ने बातचीत बंद कर दी। आशंका है कि इसी चलते ही गुस्से में आकर सियाराम बैरवा ने उसे गोली मार कर खुद को भी गोली मार ली।
दोनों का उपचार प्राथमिकता
बेगूं में हुई घटना के बाद दोनों ही घायलों को उदयपुर रेफर किया गया है। चिकित्सकों ने उपचार के बाद दोनों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। चिकित्सकों से बात कर इनके स्वास्थ्य की जानकारी ली है। आम तौर पर परिवीक्षाधीन पुलिस कार्मिकों को गनमैन आदि नहीं लगाया जाता। विशेष परिस्थितियों में ही हथियार दिए जाते है। फिलहाल दोनों का उपचार प्राथमिकता है। महिला कांस्टेबल की स्थिति ठीक होने के बाद बयान दर्ज किए जाएंगे।
सुधीर जोशी, पुलिस अधीक्षक, चित्तौड़गढ़